सुबह का भूला अगर शाम को लौट आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। ये बात अब नेपाल पर भी लागू होती है। एक समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि नेपाल पूरी तरह चीन के मोहपाश में फंस चुका है, और उसका भी वही हाल होगा, जो आज श्रीलंका का है, परंतु नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के विचार तो कुछ और ही हैं। नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपने नीतियों से नेपाल को आर्थिक संकट से भी बाहर निकाल रहे हैं और चीन के मकड़जाल से भी।
हाल ही में नेपाल सरकार ने पश्चिमी सेती हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के विकास को लेकर भारत से बातचीत करने का फैसला किया है। अपने एक महत्वपूर्ण हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए अब नेपाल ने चीन को ठेंगा दिखाकर भारत का हाथ थामने का निर्णय किया है। प्रारंभ में इस प्रोजेक्ट को लेकर नेपाल चीन के साथ बातचीत कर रहा था।
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हिंदुस्तान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार
“2012 और 2017 में इस हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट को लेकर चीनी कंपनियों से समझौता किया था। लेकिन अब नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा ने जानकारी दी है कि सेती हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट को लेकर नेपाल भारत से बातचीत कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस से 1250 मेगावाट की बिजली पैदा की जा सकती है”।
रोचक बात तो यह है कि इस प्रोजेक्ट का अनावरण उसी समय होगा, जब पीएम मोदी नेपाल यात्रा पर आएंगे। इसकी पुष्टि स्वयं पीएम देउबा ने की है, जिन्होंने आगे बताया है कि चूंकि भारत नेपाल में चीनी कंपनियों द्वारा उत्पादित ऊर्जा खरीदने को लेकर अनिच्छुक है, ऐसे में हम भारतीय डेवलपर्स की भागीदारी के लिए पीएम मोदी से बात करेंगे। बता दें कि नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रदेश में सेती नदी पर बनने वाली प्रस्तावित 1250 मेगावाट की पश्चिमी सेती हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट को लेकर पिछले छह दशकों से बातचीत हो रही है।
देउबा के अनुसार, पश्चिमी सेती हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट के विकास के लिए एक विश्वसनीय भारतीय कंपनी के साथ निर्णायक बातचीत की जरूरत है। हमें सर्दियों में ऊर्जा सुरक्षा के लिए भंडारण-प्रकार के प्रोजेक्ट्स में निवेश करने की जरूरत है। बता दें कि नेपाल और भारत पंचेश्वर बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट को भी विकसित करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
चीन को कैसे नुकसान और भारत को क्या लाभ होगा?
चीन प्रेमी, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व में नेपाल ने जिस तरह आर्थिक और सामरिक रूप से अपने विनाश की नींव स्थापित की थी, और चीन के हाथों में अपने आप को पूर्ण रूप से सौंप दिया था, उससे बाहर निकालने के लिए शेर बहादुर देउबा एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं।
इसी परिप्रेक्ष्य में लगभग एक माह पूर्व भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से नेपाल में RuPay कार्ड लॉन्च किया, जिसमें रेलवे, वित्त और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के लिए एक चार-समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जबकि कई क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाया गया। इसके अलावा, उन्होंने भारत और नेपाल के बीच एकमात्र सीमा पार रेलवे लिंक का उद्घाटन भी किया। इस घोषणा को लेकर भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, ‘’नेपाल में RuPay की शुरुआत दोनों देशों के बीच वित्तीय संबंधों को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।’’
इसी तरह, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘’नेपाल में RuPay कार्ड की शुरुआत से हमारी वित्तीय कनेक्टिविटी में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। नेपाल पुलिस अकादमी, नेपालगंज में एकीकृत चेक पोस्ट, रामायण सर्किट आदि जैसी अन्य परियोजनाएं भी दोनों देशों को करीब लाएँगी। “ पीएम शेर बहादुर देउबा ने कहा, ‘’नेपाल के भारत के साथ संबंध बेहद अहम हैं।’’
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आज के भू-राजनीतिक परिवेश में चीन दोस्त नहीं, बल्कि उपनिवेश बनाता है। मदद के नाम पर वह दूसरे राष्ट्रों को मित्र नहीं बल्कि अपना दास बना के रखता है, और उसकी अर्थव्यवस्था को बर्बाद करके ही दम लेता है, जैसा उसने श्रीलंका के साथ किया। लेकिन अब चीन को उसी के दांव से भारत परास्त करने लगा है, जिसमें नेपाल के पीएम शेर बहादुर देउबा अपनी नीतियों से भरपूर सहयोग दे रहे हैं।