टीएफ़आई प्रीमियम में आपका स्वागत है। कभी आपने विचार किया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को निम्नतम से उच्चतम के पथ की ओर पुनः ले जाने में किस व्यक्ति की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही है? पीवी नरसिम्हा राव? अरे, उन्होंने तो भारत को अर्थव्यवस्था के असीमित गगन में पुनः उड़ना सिखाया था। नरेंद्र मोदी? हो सकता है, परंतु उनके प्रयास भी अधूरे रहेंगे, यदि उनके पास उनका संकटमोचक न हो, जो हर विकट स्थिति में न केवल सरकार को अपितु देश की भी नैया पार लगाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं पीयूष गोयल की। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे मोदी सरकार के ‘खेवैया’ बने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय अर्थव्यवस्था की नैया पार लगाई है और कैसे आने वाले दिनों में वो भारतीय अर्थव्यवस्था के तारणहार सिद्ध होंगे!
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‘महारथी’ हैं पीयूष गोयल
हाल ही में यूरोपीय यूनियन ने भारत के साथ एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड समझौता किया है, जिसके अंतर्गत बातचीत का प्रथम दौर भारत में प्रारंभ हो चुका है। 8 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद भारत और EU के बीच ये ऐतिहासिक समझौता आखिरकार सुनिश्चित होने जा रहा है। इस अवसर पर जब यूरोप में इसकी पुष्टि हुई तो केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “इन समझौतों के कार्यान्वयन से महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारे पास हमारी टीमें हैं, यह हमारे संबंधों को और मजबूत करेगी। पिछले कुछ महीनों में हमारे द्विपक्षीय व्यापार में काफी वृद्धि हुई है।”
लेकिन पीयूष गोयल को कोई ऐसा वैसा व्यक्ति मत समझिए। आपने कक्षा में वो विद्यार्थी तो अवश्य देखे होंगे, जो अपनी धुन में चलते हैं, किसी से विशेष मतलब नहीं रखते, परंतु जब उन्हें चुनौती के तौर पर एक लक्ष्य दिया जाता है, तो उनके लिए वो लक्ष्य नगण्य हो जाता है। उनके लिए असल समस्या तो यह होती है कि उस लक्ष्य का दोगना या तिगुना कैसे प्राप्त करें और पीयूष गोयल इसी में महारथी हैं। उन्हें कोई भी विभाग दे दीजिए – रेल, ऊर्जा, कपड़ा या वाणिज्य मंत्रालय इत्यादि और वो उसका ऐसा कायाकल्प कर देंगे कि आप भी एक पल के लिए सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।
वो कैसे? इसका उदाहरण ट्विटर पर एक विश्लेषक महा सिद्दीकी ने देते हुए कहा, काफी अड़चनों के पश्चात भारत और EU ने व्यापार समझौते पर बातचीत प्रारंभ कर दी है। अब बाकी समझौतों पर एक दृष्टि डालें तो –
UAE के साथ समझौता – 3 माह में FTA पर हस्ताक्षर
ऑस्ट्रेलिया – अंतरिम समझौता सुनिश्चित
UK – समझौता जारी है। बोरिस जॉनसन के अनुसार दिवाली तक काम सुनिश्चित हो जाना चाहिए
After hiccups in the past, #India & #EU start trade negotiations. Update on other recent trade talks w/-
* #UAE – deal signed in 3 months
* #Australia – interim deal done
* #UK – negotiations underway. As per @BorisJohnson both sides are aiming at a #Diwali (Oct/Nov) deadline https://t.co/WN3NdME3HL— Maha Siddiqui (@SiddiquiMaha) June 27, 2022
निर्यात में हुई है रिकार्ड वृद्धि
परंतु पीयूष गोयल केवल समझौते में विशेषज्ञ नहीं है। आप उन्हें कोई लक्ष्य दीजिए, उससे कहीं अधिक प्राप्त करने में भी वो काफी निपुण हैं। उदाहरण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात किसी भी देश की स्वस्थ अर्थव्यवस्था को इंगित करता है। इसी क्रम में भारत ने निर्यात के मोर्चे पर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की, जब दिसंबर 2021 में भारत का निर्यात सालाना आधार पर 37 प्रतिशत बढ़कर 37.29 अरब डॉलर हो गया। परंतु सभी को चकित करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि “देश के माल का निर्यात चालू वित्त वर्ष में $400 बिलियन को पार कर जाएगा।”
पिछले दिसंबर की तुलना में इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में 37% की वृद्धि हुई है। रत्न और आभूषण के निर्यात में 15.8%, रेडीमेड कपड़ों में 22%, सूती धागे/ फैब/मेड-अप/हथकरघा के निर्यात में 46% और इलेक्ट्रॉनिक सामान में 33% की वृद्धि हुई और वास्तव में 2022 तक भारत ने वैश्विक एक्सपोर्ट्स में 400 बिलियन से अधिक का आंकड़ा पार करके दिखाया। परंतु जो चीज पीयूष गोयल के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, वह है स्वाभिमान। अभी दो ही हफ्ते पूर्व पीयूष गोयल ने WTO जैसी शक्तिशाली संस्था को भारत के समक्ष आत्मसमर्पण करने पर विवश कर दिया। वो कैसे?
वैश्विक मंचों पर छोड़ रहे हैं छाप
TFI Post के एक विश्लेषणात्मक पोस्ट के अंशानुसार, अभी कुछ ही समय पूर्व पीयूष गोयल ने इसी सम्मेलन में डिजिटल एक्सपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव रखा था। उनका कहना था कि डिजिटल एक्स्पोर्टस पर भी कस्टम ड्यूटी लगाई जाए, ताकि जिस राजस्व पर अब तक केवल बिग टेक और कुछ चुनिंदा देशों का वर्चस्व था, उसका लाभ ‘विकासशील और उभरते हुए देशों को भी मिले। दूसरे शब्दों में पीयूष गोयल का एजेंडा स्पष्ट था – अकेले अकेले क्या मजे लूट रहे हो, हमें भी हमारा हिस्सा दो। इसके साथ ही डिजिटल एक्स्पोर्ट के विषय पर अमेरिका जैसे देशों को आड़े हाथों लेते हुए पीयूष गोयल ने ये भी कहा कि एक ओर तो बड़े-बड़े तकनीक और उसे संचालित करने वाले लोग एवं राष्ट्र बिना कोई विशेष कर या ड्यूटी दिए बच निकलते हैं, वही कपड़ा उद्योग जैसे छोटे काम के लिए भी तरह-तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा भेदभाव नहीं चलेगा।
इस पूरे प्रकरण में एक बात तो स्पष्ट हुई है कि अब भारत वो पहले वाला भारत नहीं रहा जो बातें तो लंबी चौड़ी करेगा और जब बात दम दिखाने की आएगी तो शक्तिशाली देशों के समक्ष विशाल मंचों पर नतमस्तक हो जाएगा। अब भारत जवाब देता है, जमकर जवाब देता है, वैश्विक मंचों से महाशक्तियों को जवाब देता है। इसका प्रमाण WTO पर मत्स्यपालन संबंधी चर्चा से ही मिल गया था। परंतु ये पीयूष गोयल के लिए कोई नई बात नहीं है। WTO की बैठक से काफी पूर्व ही पीयूष गोयल ने स्पष्ट कर दिया था कि भारत WTO अथवा उसके आकाओं के इच्छानुसार नहीं चलेगा।
अभी तो हमने RCEP पर इनके अप्रत्याशित कारनामों की चर्चा भी नहीं की है, अन्यथा उपन्यास लिखने पड़ जाएंगे। परंतु इस बात में कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए कि यदि नए भारत को आर्थिक शिखर की ओर पुनः कोई ले जा रहा है, तो उसमें सर्वाधिक योगदान केवल एक व्यक्ति और एक ही व्यक्ति का है और वह है – पीयूष वेदप्रकाश गोयल।
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