बीते कुछ समय में भारत बिग टेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर अपनी पैनी नज़र बनाये हुए है क्योंकि उन्हें शक था कि ये कंपनियां नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी का गलत उपयोग करती हैं। ऐसे ही डर के चलते देश से टिकटॉक को निकाल दिया गया और ट्विटर को समय-समय पर फटकार लगती रहती है। अब हाल ही में लीक हुई ‘उबर फाइल्स’ की जांच ने भारत सरकार की चिंताओं को और भी सही साबित कर दिया है। बाहर से आयीं ये बड़ी-बड़ी कंपनियां सिस्टम और उपभोक्ताओं के साथ खिलवाड़ करने के लिए नयी टैकनोलजी का उपयोग कर रही हैं। लेकिन सरकार अब ऐसे नये नियम और कानून लाने के लिए दृढ़ है जो इन कंपनियों पर लगाम कसेगा। उनके लिए अवसरों को कम करेगा। भारतीय कानूनों का उल्लंघन करें या कुछ अवैध करें।
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राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने क्या कहा?
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “अधिकतर लोग इस बात से भली भांति परिचित हैं कि कैसे बड़े टेक प्लेटफॉर्म सिस्टम और उपभोक्ताओं दोनों को मूर्ख बनाने के लिए नयी-नयी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं, और कैसे नयी परियोजनाओं या नवाचारों (इनोवेशन) की सहायता से बार- बार जांच से बच जाते हैं।”
ये नयी खोजें और नवोन्मेष महत्वपूर्ण है और सरकार एक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को प्रोत्साहित करना जारी रखेगी, लेकिन साथ ही हम यह सुनिश्चित करने के लिए कानून और नियम बनाएगे जिससे कि इंटरनेट सबके लिए सुरक्षित और विश्वसनीय हो और साथ ही अपने कृत्यों के लिए जवाबदेह हो।
भारत जैसा देश जिसकी बड़ी जनसंख्या स्मार्टफोन और इंटरनेट का इस्तेमाल करती है, ऐसे देश को इसके लिए कुछ कठोर नियम बनाना और भी आवश्यक है। मंत्री का यह बयान उबर फाइल्स लीक होने के तुरंत बाद आया। कुछ समय पहले एक गुमनाम स्रोत ने द गार्जियन अखबार तक एक खबर पहुंचायी जिसे इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) और 42 अन्य मीडिया भागीदारों के साथ साझा किया गया। खबर को नाम दिया गया ‘उबर फाइल्स’.
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द उबर फाइल्स
द उबर फाइल्स 182 गीगाबाइट डेटा का लीक है जिसमें 2013 से 2017 तक ईमेल, टेक्स्ट संदेश, कंपनी प्रस्तुतियां और अन्य दस्तावेज शामिल हैं।
लीक हुई उबर फाइल्स ने उबर की अंदर की कहानी का खुलासा किया है कि कैसे टेक दिग्गज उबर ने कई देशों में कानून और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए शहरों में घुसा, करों को चकमा दिया, उस जगह के कैब बिज़नेस को हटाकर अपने उबर ड्राइवरों के लिए जगह बनाने की कोशिश की, अपने ड्राइवरों के खिलाफ हुई हिंसा का फायदा उठाया और अपने आक्रामक वैश्विक विस्तार के दौरान कैसे नेताओं और मंत्रियों से सहायता प्राप्त की।
जानकारी में यह भी बताया गया कि उबर आंतरिक सॉफ्टवेयर को बंद करके सरकार द्वारा किए जाने वाले छापे से बचने के लिए “किल स्विच” नामक एक आंतरिक रणनीति का उपयोग करता है। इसमें उबर के अधिकारियों को अपने कार्यालयों में संभावित छापे के बारे में सीखना और आईटी कर्मचारियों के कंपनी के मुख्य डेटा सिस्टम तक पहुंच को काटने के निर्देश भेजना शामिल है। यह अनिवार्य रूप से अधिकारियों को सबूत इकट्ठा करने से रोकता है।
द गार्जियन के मुताबिक़ उबर ने भारत, फ्रांस, नीदरलैंड, बेल्जियम, हंगरी और रोमानिया में छापे के दौरान कम से कम 12 बार इस रणनीति का इस्तेमाल किया। इसके बेंगलुरु कार्यालय पर 2014 में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा छापा मारा गया था, और गैर-अनुपालन शिकायतों के आधार पर जुलाई 2021 में एक और छापा मारा गया था। लेकिन दोनों बार कुछ ख़ास हाथ नहीं लगा.
ऐसी बड़ी कंपनियों का जांच से बचने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचारों का उपयोग कर देश के क़ानून को इस तरह से चकमा देना एक बहुत ही परेशान करने वाली बात है लेकिन कोई और ऐसी कंपनियां भारत में ऐसा न कर सके इसके लिए अब भारत सरकार नये नियम और क़ानून बनाने की तैयारी में है जिससे कि इन प्लेटफॉर्म्स पर लगाम कसी जाएगी जिससे भविष्य में बड़े तकनीकी प्लेटफार्मों के भारतीय कानूनों का उल्लंघन करने या ऐसा कुछ अवैध करने का अवसर काफी कम मिल पाएगा या फिर ना के बराबर। साथ ही नये कानूनों में “दंडात्मक” प्रावधान होंगे जिससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसे प्लेटफॉर्म जवाबदेह हों और साथ ही नागरिकों के हितों की रक्षा हो सके।
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