भारत अपने विकास के क्रम में जिन ऊंचाइयों को छू रहा है उसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लगभग प्रत्येक देश आज भारत के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए हर संभव प्रयास करता है। अपने विकास यात्रा के दौरान भारत ने बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा जैसे प्रगतिशील अवधारणाओं पर बल दिया। इन सबका समग्र परिणाम यह हुआ कि भारत रूस, फ्रांस एवं ब्रिटेन जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
इसमें कोई दो राय नहीं कि इस महत्वपूर्ण स्थान पर पहुंचने के लिए निजी संस्थाओं ने भी अथक प्रयास किए। इस मुकाम को हासिल करने में कारोबारी जगत का अहम योगदान रहा, जिन्होंने भारत की आर्थिक सेहत मजबूत की है। भारत के ऐसे कई उद्योगपति हैं, जो विश्व में देश को एक अलग पहचान दिलाने का काम कर रहे हैं। इन्हीं में एक नाम आता हैं अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी का भी।
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इतिहास रच रहे हैं गौतम अडानी
वर्तमान समय में गौतम अडानी पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं। भारतीय अरबपति गौतम अडानी की संपत्ति इन दिनों रॉकेट की रफ्तार से बढ़ती ही चली जा रही है। अडानी दिग्गजों को पछाड़कर दुनिया के दूसरे सबसे अमीर शख्स बन चुके हैं। संपत्ति के मामले में उनके आगे अब केवल टेस्ला के CEO एलन मस्क ही हैं।
देखा जाए तो अडानी का काम करने का तरीका अलग है। वे सौदेबाजी करने में अधिक वक्त नहीं लगाते और शायद यही कारण है कि जहां अन्य उद्योगपति सोच विचार में अधिक समय लेने के कारण कई मौकों को अपने हाथ से गंवा बैठते हैं, वहीं अडानी अपने मेहनत के बलबूते इतिहास रचते जा रहे हैं।
इसी क्रम में वे भारत में बुनियादी ढांचा के विकास को लेकर भी सजग है। अडानी की कंपनियां भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण जैसे रोड, पोर्ट इत्यादि के क्रम में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इसके साथ ही सीमेंट क्षेत्र में भी उतरकर वो इस उद्योग के दूसरे बड़े खिलाड़ी बन गए हैं। अडानी ग्रुप ने अंबुजा सीमेंट और एसीसी में होल्सिम की पूरी हिस्सेदारी खरीद ली है। इसके बाद अब एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति की नजरें अब स्टील उद्योग में अपनी बादशाहत हासिल करने की हैं और इसके लिए उनके पास एक सुनहरा मौका भी है।
सीमेंट उद्योग में धूम मचाने के बाद अडानी समूह जनवरी में विनिवेश के लिए राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (RINL) के लिए बोली लगाकर इस्पात क्षेत्र में कदम रखने के लिए तैयार हैं। दरअसल, रिपोर्ट्स के अनुसार अडानी समूह RINL के लिए बोली लगाने की योजना बना रहा है, जिसकी जनवरी 2023 में नीलामी होने की उम्मीद है। जनवरी के मध्य तक कंपनी अपने 100 प्रतिशत विनिवेश को मंजूरी देने की उम्मीद कर रही है। RINL, जिसे विजाग स्टील के नाम से भी जाना जाता है विशाखापत्तनम में स्थित एक सरकारी स्वामित्व वाली स्टील निर्माता है। यह कंपनी इस्पात मंत्रालय के स्वामित्व में है।
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कंपनी का निजीकरण
RINL लगातार घाटे में चल रही है। घाटे की वसूली के लिए केंद्र ने कंपनी का निजीकरण करने का निर्णय लिया है। RINL के पास 24,000 एकड़ से अधिक भूमि है, जिसकी कीमत 1.5 लाख करोड़ रुपये है। सरकार अधिक बोली लगाने वालों को लुभाने के क्रम में अतिरिक्त भूमि को अलग इकाई में बदल सकती है। RINL की उत्पादन क्षमता 7.3 मिलियन टन प्रति वर्ष है और कंपनी में 6500 अधिकारी, 12000 नियमित कर्मचारी और 20,000 अनुबंध कर्मचारी कार्यरत हैं। कोकिंग कोल और लौह अयस्क जैसे कच्चे माल को आयात करने और तैयार उत्पादों के साथ वैश्विक बाजारों को टैप करने के लिए गंगावरम बंदरगाह तक इसकी पहुंच है।
स्टील व्यवसाय में एक नए प्रवेशकर्ता के रूप में अडानी समूह के JSW स्टील, टाटा स्टील और आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील जैसे पुराने खिलाड़ियों की तुलना में अधिक आक्रामक होने की संभावनाएं हैं।
इससे पूर्व जनवरी में अडानी समूह ने गुजरात में एक एकीकृत इस्पात संयंत्र लगाने और अन्य कारोबारी संभावनाओं की तलाश के लिए दक्षिण कोरियाई कंपनी पॉस्को के साथ पांच अरब डॉलर के एक गैर-बाध्याकारी समझौते पर हस्ताक्षर भी किए थे। जिस तरह से अडानी एक के बाद एक विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश और तमाम बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण करने में जुटे हैं, उससे तो ऐसा ही लगता है कि वो यूं ही आगे बढ़ते हुए हर जगह अपना दबदबा बनाते चले जाएंगे।
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