वर्तमान समय में भारत विकास के क्रम में नए आयामों को छूता जा रहा है। आज कोई भी क्षेत्र उठाकर देख लें, उसमें हमें किसी से पीछे नहीं पाएंगे। डिजिटलीकरण के मामले में ही देख लीजिए, कुछ समय पहले क्या आप कल्पना कर सकते थे कि किसी भी प्रकार के भुगतान डिजिटली यूं संभव हो पाएगा? परंतु कुछ ही वर्षों में भारत डिजिटलीकरण के मामले में ना केवल बहुत तेजी से आगे बढ़ा, बल्कि नयी ऊंचाईयों को भी छुआ। डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने से भारत के आर्थिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया, जिसका श्रेय NPCI द्वारा विकसित UPI को जाता है।
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा विकसित एक तत्काल रियल-टाइम भुगतान प्रणाली है। इसका इंटरफ़ेस ”अंतर-बैंक” पीयर-टू-पीयर (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है। UPI का उपयोग मोबाइल उपकरणों पर दो बैंक खातों के बीच तुरंत धन हस्तांतरित करने के लिए किया जाता है। यह तत्काल भुगतान सेवा (IMPC) के शीर्ष पर एक ओपन सोर्स एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) के रूप में चलता है एवं इसका नियमन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा किया जाता है।
इसमें कोई संदेह नहीं यूपीआई ने लोगों के जीवन को बेहद ही आसान बना दिया। आजकल कैश लेकर चलने की झंझट ही खत्म हो चुकी है। बस स्मार्टफोन जेब से निकाला, QR कोड स्कैन किया और कुछ ही सेकेंड में भुगतान हो गया। देखा जाए तो UPI लेनदेन की संख्या के मामले में नए रिकॉर्ड बना रहा है।
अप्रैल 2016 में UPI के लॉन्च होने पश्चात इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसके लेनदेन से लगाया जा सकता है। कुछ आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में अगस्त 2022 में UPI के माध्यम से कुल 10.73 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ। NPCI द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अगस्त के दौरान UPI के जरिए कुल 6.57 अरब (657 करोड़) लेन-देन किए गए। जबकि पिछले महीने जुलाई में यह 6.28 अरब (628 करोड़) UPI ट्रांजेक्शन हुए थे।
और पढ़े- जोमैटो-ब्लिंकिट का विलय दोनों कंपनियों को ले डूबेगा
UPI पर कुछ चुनिंदा कंपनियों का कब्जा
देश में लगातार UPI लेनदेन बढ़ रहा है, वो तो अच्छा है। परंतु इसके साथ ही इसमें एक समस्या भी है। वो यह कि UPI विदेशी प्रौद्योगिकी भुगतान ऐप द्वारा अधिक किया जाता रहा है। आप किसी भी प्रकार का भुगतान करने के लिए अक्सर गूगल पे, फोन पे और पेटीएम का ही उपयोग अधिक करते होंगे। इनमें से किसी को भी 100 प्रतिशत देसी नहीं कहा जा सकता।
फोन पे, गूगल पे और पेटीएम एक प्रकार से UPI के माध्यम से भुगतान पर एकाधिकार स्थापित करते नजर आ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार मार्च 2022 तक शीर्ष UPI ऐप्स में फोन पे, गूगल पे और पेटीएम का यूपीआई लेनदेन का 94.8% और UPI लेनदेन मूल्य का 93% हिस्सा था। इसी क्रम में मार्च 2022 तक UPI P2P लेनदेन के लिए औसत टिकट आकार (ATS) 2455 रुपये और P2M लेनदेन के लिए 860 रुपये था।
यदि भारत का एक बड़ा ऑनलाइन भुगतान का हिस्सा कुछ कंपनियों के हाथ में रहेगा, तो कही ना कही यह समस्या बढ़ाने वाला तो है ही। इससे वह बाजार में मनमाने तरीके से कार्य करते हैं। साथ ही यह ग्राहकों की सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो भी हानिकारक लगता है। पेटीएम पर कई बार भारतीय ग्राहकों का डेटा चीन के साथ साझा करने के आरोप लगते आए है। ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि UPI के लिए अन्य ऐप को शामिल करें और मुख्य तौर पर भारतीय खिलाड़ियों को इसमें आगे किया जाए।
ध्यान देने योग्य है कि गूगल अमेरिका की दिग्गज कंपनी है। अपार धन के बल पर उसने बेहतर इंफ़्रास्ट्रक्चर का विकास करते हुए भारत के अंदर UPI के बड़े मार्केट पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। परंतु भारत अमेरिकी कंपनी पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं कर सकता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यह देखा गया की अमेरिकी कंपनी पलायन करने के क्रम में सबसे आगे रही थी। अंतः यह आवश्यक हो जाता है की UPI भारतीय कंपनियों का अधिक से अधिक योगदान रहें।
और पढ़ें- UPI पर कोई शुल्क नहीं, सरकार ने अपनी नीयत स्पष्ट कर दी है
स्विगी-जोमैटो एंट्री की तैयारी में
रिपोर्ट्स के अनुसार इस बीच फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्विगी और जोमैटो UPI पेमेंट प्लेटफॉर्म में थर्ड पार्टी पेमेंट ऐप के तौर पर एंट्री करना चाहते हैं। खबरों की मानें तो इनकी सेवाएं वॉलेट की तरह नहीं होगी। इसकी जगह वो स्वीकृत होने पर UPI सेवाओं को तीसरे पक्ष के भुगतान ऐप के रूप में पेश करेंगे। यदि उन्हें इस क्षेत्र में प्रवेश मिलता है तो ग्राहक, मर्चेंट के साथ साथ पूरे भुगतान परिस्थिकी तंत्र को लाभ होगा।
आंकड़ों के अनुसार जून 2022 तक देश में यूपीआई की 60 से अधिक ऐप हैं। एनपीसीआई द्वारा प्रत्येक कंपनी की बाजार हिस्सेदारी को 30 फीसदी तक सीमित करने पर जोर दिया जा रहा है।
वैसे देखा जाए तो NPCI द्वारा विकसित UPI भुगतान प्रणाली बेहद ही सरल एवं सुगम हैं, जिस कारण UPI में लोकल से ग्लोबल होने की सभी संभावनाएं विद्यमान हैं। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि देश से बाहर भी UPI का जलवा दिखना शुरू हो चुका है। कुछ समय पहले ही यह खबर आई कि शीघ्र ही ब्रिटेन में UPI की मदद से लेनदेन संभव होने वाला है। वहीं इसके अलावा फ्रांस, भूटान, सिंगापुर, यूएई और नेपाल जैसे देश भी UPI को स्वीकार कर चुके हैं।
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें.