Adipurush release postponed: हमारे वृद्धजन जीवन के गूढ रहस्य इतनी सरलता से समझाते थे कि आज भी वह सार्थक प्रतीत होते हैं। “दुर्घटना से देर भली” कुछ को केवल एक वाक्यांश लगे परंतु यह कई लोगों के लिए किसी महत्वपूर्ण संदेश से कम नहीं है। अनर्थ से अच्छा अगर विलंब हो तो कोई समस्या नहीं और शायद यह बात कहीं न कहीं ओम राउत और प्रभास को समझ में आ रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वे अपनी भूल को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे प्रभास स्टारर ‘आदिपुरुष’ का स्थगित (Adipurush release postponed) होना न केवल प्रभास एवं ओम राउत के हित में है बल्कि इसके कारण उन्होंने जो खोया था, उससे दोगुना यश प्राप्त हो सकता है।
इन दिनों भारतीय सिनेमा की हालत बहुत अच्छी नहीं है। अगर बहुभाषीय सिनेमा को छोड़ दें तो बॉलीवुड वेंटिलेटर पर जाने के मुहाने पर आ चुका है। ऐसे में आदिपुरुष से लोगों की आशाएं बंधी हुई थी कि वह भारतीय सिनेमा विशेषकर बॉलीवुड की नैया पार लगाएगी, जबकि वह समान रूप से तेलुगु में भी बन रही है। परंतु टीज़र की झलकियों ने तो एकदम कहर मचा दिया और सोशल मीडिया पर इसके बॉयकॉट की मांग तक उठ गई।
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Adipurush Release Postponed: टीजर को लेकर मचा था बवाल
अब टीज़र में ऐसा क्या था भई? उदाहरण के लिए 500 करोड़ के बजट में बनी फिल्म ‘आदिपुरुष’ के टीजर पर विवाद जारी है। फिल्म में भगवान राम, महाबली हनुमान और रावण के गलत चित्रण को लेकर इस पर तत्काल बैन लगाने की मांग की गई। माना कि रावण को हमें सकारात्मक चित्रण नहीं देना था परंतु आदिपुरुष का टीज़र देखकर तो स्वयं दशानन भी अपना चंद्रहास निकालकर ओम राउत और सैफ अली खान को दौड़ा देगा। सोशल मीडिया पर ‘रावण में लाख बुराइयां थीं’ वाला मीम अब वास्तव में सत्य प्रतीत हो रहा क्योंकि रावण के रूप में सैफ अली खान, रावण कम, एक मुस्लिम आक्रांता अधिक प्रतीत हो रहे हैं। और कोई मुझे ये बताए कि इतना परफेक्ट ट्रिम कट त्रेता युग में कब से मिलने लगा?
अब बात संस्कृति के अपमान की हो और नरोत्तम मिश्रा पीछे रहें ऐसा हो सकता है क्या। उन्होंने आदिपुरुष में भारतीय संस्कृति को अपमानित करने वाले दृश्य विशेषकर बजरंगबली द्वारा कथित रूप से चमड़े के सामग्री के उपयोग पर आपत्ति जताई और उन दृश्यों को हटाने को कहा अन्यथा उन्होंने कानूनी कार्रवाई को तैयार रहने के लिए कहा।
[VIDEO] MP Home Minister Narottam Mishra slams Prabhas and Saif Ali Khan starrer #Adipurush for 'hurting religious sentiments'; warns the film makers of legal action
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— OTV (@otvnews) October 4, 2022
ठीक इसी भांति में अयोध्या के राम मंदिर के प्रमुख पुजारी सत्येन्द्र दास ने कुछ समय पूर्व कहा कि भगवान राम, हनुमान और रावण का चित्रण महाकाव्य के अनुसार नहीं है। यह फिल्म उनकी गरिमा के खिलाफ है। मुख्य पुजारी ने आगे कहा कि फिल्म बनाना कोई अपराध नहीं है परंतु केवल सुर्खियों में लाने के लिए और जानबूझकर विवाद पैदा करने के लिए नहीं बनाया जाना चाहिए।
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Adipurush release postponed – खिसक गई रिलीज डेट
ऐसे में अब यह खबरें सामने आ रही हैं कि आदिपुरुष अब अपने प्रस्तावित रिलीज़ डेट यानी 12 जनवरी 2023 (Adipurush release postponed) को प्रदर्शित ही नहीं होगी। प्रारंभ में यह केवल भ्रम हो सकता है परंतु इसका अभी तक आधिकारिक तौर पर खंडन भी नहीं किया गया है और जब इतने बड़े फिल्म को टक्कर देने के लिए क्षेत्रीय स्तर पर ‘वरीसु’ समेत अनेक फिल्में तैयार हो, तो कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है, जिसकी ओर बड़े बड़े ट्रेड विश्लेषकों ने भी संकेत दिया हैं।
Confirmed: #Adipurush out of Sankranti release. Team planning for Summer 2023 release. pic.twitter.com/QDfUYeG4Od
— LetsCinema (@letscinema) October 30, 2022
We have a good news and a bad news 🥲🥳
Bad news: Adipurush release has been postponed! 😭
Good news: The teaser of Shah Rukh Khan starrer Pathan will be released on 2nd November! 💃#ShahRukhKhan𓀠 #Adipurush #Pathaan
— Paytm Entertainment (@PaytmTickets) October 31, 2022
Report: #Prabhas starrer #Adipurush has postponed release from Sankranthi 2023 to a later date. #Adipurushpostponed https://t.co/798MJzKC9P
— India TV (@indiatvnews) October 31, 2022
रामानंद सागर और यूगो साको की रामायण यादों में है
यदि ऐसा है तो संभव है कि आदिपुरुष अप्रैल-जून के पाली से पूर्व प्रदर्शित न हो और ऐसा कर प्रभास और ओम राउत राष्ट्रहित में बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं। ये राष्ट्रहित में भी लाभकारी है और स्वयं के लिए भी। ऐसा इसलिए क्योंकि रामायण केवल एक महाकाव्य नहीं है, यह हमारे इतिहास का एक महत्वपूर्ण भाग है और हमारी संस्कृति की धरोहर है। जब से आदिपुरुष का टीज़र प्रदर्शित हुआ है, क्रोधित जनता ने पुनः रामानंद सागर के रामायण को स्मरण किया है और कई लोगों ने तो युगो साको के बहुचर्चित, एनिमेटेड संस्करण को भी स्मरण किया है, जो दुर्भाग्यवश भारत में 1993 में प्रदर्शित नहीं हो पाई थी।
ज्ञात हो कि वर्ष 1983 में जापानी फिल्ममेकर यूगो साको (Yugo Sako) पहली बार भारत आए थे। यहां उन्हें रामायण की कहानी के बारे में पता चला। उन्हें कहानी इतनी पसंद आई कि उन्होंने इस पर और रिसर्च करनी शुरू कर दी। उन्होंने जापानी में रामायण के 10 अलग-अलग वर्जन तक पढ़ डाले। तभी उन्हें इस पर फिल्म बनाने की ख्वाहिश हुई। वह इस पर एक एनिमेशन फिल्म बनाना चाहते थे, जिस पर 1990 में काम शुरू हुआ। 450 एक्टर फिल्म के लिए चुने गए। इस फिल्म को बनाने में भारतीय कलाकारों और तकनीशियनों का भी अहम योगदान रहा परंतु इसे विरोध भी झेलने पड़े। परंतु इंडियन एक्सप्रेस की एक भ्रामक खबर के कारण तब यह फिल्म सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं हो पाई। परंतु वो कहते हैं न, सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं और शीघ्र ही इसकी कीर्ति चहुंओर फैलने लगी।
लगभग 20 वर्ष पूर्व, कार्टून नेटवर्क पर दीपावली के शुभ अवसर जब यह फिल्म प्रदर्शित हुई थी तो यह जनमानस में कितनी लोकप्रिय होगी, इसका अंदाज़ा लेशमात्र भी किसी को नहीं था। पर ऐसी ही थी ‘रामायण – द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम’ और जो प्रभुत्व चंद्रमौली चोपड़ा यानी रामानंद सागर के बहुचर्चित ‘रामायण’ ने फैलाया था, उसे इस फिल्म ने भयानक टक्कर दी। आज जब ओम राउत के हाल ही में प्रदर्शित ‘आदिपुरुष’ के टीज़र से लोग इतनी बुरी तरह भड़के हुए हैं तो ऐसे में इस चलचित्र का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
अपनी भूल को सुधार सकते हैं ओम राउत और प्रभास
अब आते हैं ओम राउत और प्रभास पर। एक खराब फिल्म से कोई भी अपनी प्रतिष्ठा पर कीचड़ नहीं उछलवाना चाहेगा, वो भी ऐसे लोग, जो भव्य परियोजनाओं से संबंधित हो। अगर ‘राधे श्याम’ को छोड़ दें तो प्रभास राजू को उनके ‘बाहुबली’ के भव्य रोल और अद्वितीय स्क्रीन प्रेजेंस के लिए आज भी लोग जानते हैं और वैसा ही उन्हें देखना चाहते हैं। ‘आदिपुरुष’ में उन्हें उसी रूप में दिखाने का एक सुनहरा अवसर था परंतु टीज़र ने तो मानो उनका उपहास उड़ाने का कोई अवसर नहीं छोड़ा। ऐसे में तनिक विलंब के साथ एक बेहतर उत्पाद देने में कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि विलंब के बाद ‘रौद्रम रणम रुधिरम’ कितना निखरा, इसे बताने की कोई आवश्यकता नहीं।
वहीं, ओम राउत भी अपने प्रतिष्ठा को धूल में कतई नहीं मिलाना चाहेंगे, जिन्होंने ‘लोकमान्य’ जैसे ओजस्वी प्रोजेक्ट से प्रारंभ किया और फिर ‘तान्हाजी – द अनसंग वॉरियर’ जैसी फिल्म देकर भारतीय सिनेमा विशेषकर बॉलीवुड के मठाधीशों की चूलें हिला दी, वह निस्संदेह जनादेश की अवहेलना तो नहीं करना चाहेंगे। ऐसे में आदिपुरुष को स्थगित कर प्रभास और ओम राउत बहुत अच्छा कार्य कर सकते हैं और अपनी भूल को सुधार सकते हैं।
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