सूर्यकुमार यादव को कब मिलेगा न्याय?
जातिवाद की विषबेल सूर्यकुमार यादव को लील गई!
संजू सैमसन को मिला अल्पसंख्यक होने का श्राप!
Casteist BCCI Trend: अब क्या है न, आजकल समाज में कुछ स्वघोषित एक्सपर्ट्स की बाढ़ सी आ चुकी है। राजनीति से लेकर खेल तक में ये अपने एजेंडे के अनुसार कुछ न कुछ नौटंकी ढूंढ ही लेते हैं। परंतु अब जो हो रहा है, वह न केवल घृणित है अपितु चिंताजनक भी! इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे समाज और राजनीति में छीछालेदर फैलाने वाले जातिवादी अब खेलों में भी इस घृणित विचारधारा को ठूंसने में लगे हुए हैं।
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Casteist BCCI Trend: गजब कुंठा है भाई
दरअसल, सूर्यकुमार यादव एक बार फिर से वायरल हो रहे हैं परंतु अपने छक्कों चौकों के लिए नहीं, एक अन्य कारण से। अब कई लोग इनकी आड़ में जातिवाद का विषबेल खेल के मैदान में भी लाना चाहते हैं। परंतु इनमें सबसे अग्रणी है कथित पत्रकार दिलीप मण्डल। इनके नाम पर मत जाइए जातिवाद इनके रग रग में बसा है, इतना कि इन्होंने ट्विटर पर Casteist BCCI जैसा ट्रेंड ही वायरल करा दिया। इनके ट्वीट के अनुसार, “सूर्य कुमार यादव को समय रहते भारतीय टीम में क्यों नहीं लिया? कोई जवाब है? उसके इतने साल किसने ख़राब किए? #CasteistBCCI”
सूर्य कुमार यादव को समय रहते भारतीय टीम में क्यों नहीं लिया? कोई जवाब है? उसके इतने साल किसने ख़राब किए। #Casteist_BCCI pic.twitter.com/5quZ6U26sY
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) November 24, 2022
बंधु ये तो कुछ भी नहीं है। अभी हाल ही में जब सूर्यकुमार यादव को बांग्लादेश टूर के लिए आराम दिया गया तो बंधु ने ये आरोप लगाया कि BCCI ने एक ब्राह्मणवादी टीम बना रखी है। इनके अनुसार भारत के 11 खिलाड़ियों में 7 ब्राह्मण होते हैं। मौजूदा समय में टीम के कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ भी ब्राह्मण हैं –
7 of the 11 men are indeed Brahmins! #Casteist_BCCI https://t.co/rR0987zrYk
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) November 24, 2022
परंतु बंधु इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने भारतीय क्रिकेट में पिछड़ी जातियों और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव का आरोप भी लगाया है। इसके समर्थन में उन्होंने एक पोस्ट भी शेयर किया है जिसके मुताबिक भारत के लिए अब तक टेस्ट खेल चुके 302 क्रिकेटर्स में सिर्फ 5% मुसलमान शामिल रहे हैं। वहीं, शेड्यूल्ड कास्ट की जातियों को महज 8% प्रतिनिधित्व मिला है। भारत की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 15% और शेड्यूल्ड कास्ट जातियों की हिस्सेदारी 25% है।
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महाशय, इस लॉजिक से तो 1983 वर्ल्ड कप की टीम तो शुद्ध सेक्युलर थी और इस लॉजिक से 90 के दशक की टीम इंडिया तो इस्लामीकरण के साये में थी क्योंकि यहां तो कपिल देव और मोहम्मद अज़हरुद्दीन का प्रभाव था। विरोध करने के लिए और ऐसे ढपोर शंख लॉजिक के लिए तो इस महानुभाव को 21 लठ की सलामी मिलनी चाहिए, क्योंकि तोप भी तो आपके लिए ब्राह्मणवादी हुई न भैया!
ऐसे लोग दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण देते हैं, जहां पर रंगभेद का आधार देते हुए कोटा का सिस्टम लागू किया गया और जिसमें टेम्बा बवुमा जैसे लोगों को कप्तान बनाया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह अश्वेत हैं। परिणाम क्या हुआ? जो दक्षिण अफ्रीकी टीम कभी विश्व की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से एक हुआ करती थी, आज वो टॉप 5 टीमों में भी नहीं आती है। विश्व कप से बाहर हुई सो अलग और अब तो इनका 2024 टी20 विश्व कप में क्वालिफ़ाई करने पर भी प्रश्न चिह्न लग रहा है। तो प्रश्न स्पष्ट है- अक्ल बड़ी या एजेंडा? यहां तो कुछ लोगों के लिए एजेंडा बड़ा दिखता है क्योंकि वे जब ओलंपिक पदकधारियों की जाति तक पर फोकस कर चुके हैं, तो फिर सूर्यकुमार यादव कौन हैं? पर ये घृणित सोच एक दिन इस देश का नाश करेगी और यह स्वीकार्य नहीं!
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