भारत की सबसे बड़ी एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी, ‘एयरो इंडिया शो’ 2023 का 14वां संस्करण सोमवार से कर्नाटक के बेंगलुरु में चल रहा है। इसमें 80 से अधिक देश और 800 से अधिक रक्षा कंपनियां शामिल हुई हैं। इस शो का उद्देश्य मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाते हुए घरेलू हवाई उद्योग को बढ़ावा देना है। यह एयर शो हवाई क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत का प्रदर्शन करेगा। लेकिन एयरो इंडिया शो 2023 में एक मिनी वॉर भी छिड़ा हुआ है। अब आप ये सोच रहे होंगे ये कैसा युद्ध है? चलिए आपको समझाते हैं।
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रूस-अमेरिका के बीच लड़ाई
दरअसल, अमेरिका और रूस के बीच भारत के करीब आने की होड़ लगी हुई है। अमेरिका ने एयर इंडिया शो का अवसर देखकर अपना अब तक का सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल भारत भेजा है। एयरो इंडिया शो 2023 में पहली बार युनाइटेड स्टेट्स एयर फोर्स के नवीनतम 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एफ-35ए लाइटनिंग टू और एफ-35ए ज्वाइंट स्ट्राइक फाइटर ने एशिया के सबसे बड़े एयर शो ‘एयरो इंडिया’ में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। हवाई युद्धाभ्यास के इस सार्वजनिक प्रदर्शन का उद्देश्य भारत को इस महंगे अत्याधुनिक विमान को खरीदने के लिए तैयार करना तथा भारत को रूस से दूर करना नजर आता है।
वहीं इस दौरान भारत में पहली बार रूस के Su-75 ‘चेकमेट’ लड़ाकू विमान का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। आपको बता दें कि रूस इससे पहले भारत के साथ चेकमेट पर सौदा करने का प्रस्ताव दे चुका है। रूस चाहता है किसी भी तरह भारत के साथ चेकमेट के सौदे पर मुहर लग जाए। इस एयर शो में रूस और अमेरिका के बीच भारत का साझेदार बनने को लेकर रस्साकशी चल रही है।
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NSA अजीत डोभाल के दौरे
आपको याद दिला दें कि हाल ही में ही भारत के NSA अजीत डोभाल मॉस्को दौर पर गए थे। इस दौरान उन्होंने वहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक की थी। साथ ही उन्होंने रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव से भी मुलाकात की थी। जिसमें दोनों पक्षों ने भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया था। रूस दौरे से पहले NSA अजीत डोभाल अमेरिका का दौरा भी किया था। तब भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच आपसी समन्वय और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी बातचीत की गई थी। इस दौरान भारत और अमेरिका के बीच iCET डील हुई थी। इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की भेंट हुई। डोभाल इस डील के लिए ही 30 जनवरी को वॉशिंगटन पहुंचे थे। डील को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का भी कहना था कि इसके माध्यम से दोनों देश चीन के सेमीकंडक्टर्स, मिलिट्री इक्विपमेंट्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सामना कर सकेंगे।
निश्चित रूप से जिस तरह से रूस और अमेरिका के बीच भारत को अपना साझेदार बनाने की होड़ मची है, वो भारत और उसके रक्षा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण क्षण है।
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