क्या रणबीर पाजी, इतनी जल्दी पीछे खिसक लिए? क्या क्या आशाएँ पाली थी आपके जबरा फैन क्लब ने! इस लेख में जानिये कि कैसे तारा पाजी की एक हुंकार सुनके ही रणबीर बाबू के पसीने छूटने लगे हैं!
22 वर्ष बाद, सिनेमा की युद्धभूमि में पुनः एक संग्राम होने वाला था। एक ओर थे अपने धुरंधर तारा पाजी, जिनके कारण आज भी पाकिस्तान को अपने शस्त्रों के साथ अपने हैंडपंप के लिए विशेष सुरक्षा की व्यवस्था करनी पड़ती है। दूसरी ओर थे पेशावरी छोकरे रणबीर कपूर, जो “तू झूठी मैं मक्कार” की क्षणिक सफलता से स्वयं को बॉलीवुड का उभरता हुआ मेगास्टार मान बैठे थे। परंतु भाग्य का खेल देखिए, तारा पाजी ने एक उबासी क्या ली, रणबीर कपूर तो रोड रनर से भी तेज भग लिए!
असल में “एनिमल” अब 11 अगस्त को नहीं, 1 दिसंबर को प्रदर्शित होगी। पर पाजी, 11 अगस्त को ऐसा क्या था, कि रणबीर पाजी के चहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी? कहने को उस दिन एक नहीं, पाँच फिल्में प्रदर्शित हो रही थी। तो? असल में उन पाँच फिल्मों में वह फिल्म भी थी, जिसका सम्पूर्ण भारत कई दशकों से प्रतीक्षा कर रहा था : गदर 2!
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देखो जी, इतना तो आप भी मानेंगे और हम भी कि अब अनिल शर्मा और सनी देओल दोनों में अब वो पहले वाली बात नहीं। परंतु Nostalgia की भी अपनी एक खास जगह है। जो फिल्म केवल एक री रिलीज़ में पुनः हाउसफुल का टैग लगवा दे, वो भी सीमित स्क्रीनों पर, तो उसमें कुछ तो बात होगी। कहीं ऐसा तो नहीं कि इसी बात के पीछे रणबीर कपूर ने अपने कदम पीछे खींच लिए?
पॉसिबल है, क्योंकि अटकलें तेज़ हैं! क्या रणबीर कपूर को अपने प्रोजेक्ट को लेकर ट्रस्ट issues हैं? या क्या वह सचमुच बॉक्स ऑफिस पर सनी पाजी के तेवर का सामना करने से डरते हैं? हम केवल कल्पना ही कर सकते हैं कि बेचारा रणबीर अपनी शानदार हवेली में घूम रहा है और अपनी टीम से उत्सुकता से पूछ रहा है, “क्या होगा अगर सनी पाजी एक हाथ में हैंडपंप और दूसरे हाथ में पॉपकॉर्न का टब लेकर असली ‘गदर’ शैली में थिएटर में आ जाएं? भय तो स्वाभाविक है! जिससे भिड़ने में आमिर खान तक के पसीने छूट गए, उसके समक्ष रणबीर जैसा नौजवान तो भिड़ने से पूर्व एक बार तो अवश्य सोचेगा!
एक कारण “उड़ जा काले कावां” भी हो सकता है। वो कैसे? जिस गीत में आधुनिक तकनीक का तड़का लगाकर पेश करने के बाद भी वह मूल गीत जितनी लोकप्रियता बटोरे, तो सोचिए फिल्म के बारे में किस स्तर तक पिलानिंग हुई होगी? ये तो कुछ भी नहीं है, अपने उदय अन्ना, यानि नाना पाटेकर भी इस प्रोजेक्ट से जुड़ गए हैं। जो काम ओम पुरी अधूरा छोड़ गए थे, उसे अब नाना भाऊ पूरा करेंगे! अच्छा है, बहुत अच्छा है!
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देखिए, पूरी ईमानदारी से कहें तो, हम रणबीर कपूर को उनकी घबराहट के लिए पूरी तरह से दोषी नहीं ठहरा सकते। बहाने जो बना लीजिए, पर जो भौकाल “गदर” ने सिनेमाघरों में मचाया था, उसके आसपास भी पहुँचने में अच्छे अच्छों की कमर टूट जाएगी। किसने सोचा था कि तारा पाजी के वृद्ध होने के बाद भी उनकी एक हुंकार बड़े बड़े बॉलीवुडिया मठाधीशों की सिट्टी पिट्टी गुल कर देगी?
तो, प्रिय व्यूअर्स, आइए आराम से बैठें और भावनाओं और अटकलों की रोलर-कोस्टर सवारी का आनंद लें क्योंकि रणबीर कपूर एंड कंपनी अपने पत्ते बदल रही है और अपनी चाल की रणनीति बना रही है। अब समय ही बताएगा कि क्या तारा पाजी का पुनः डंका बजेगा, या फिर दिसंबर में “एनिमल” विजयी होगा? स्मरण रखें कि बॉलीवुड में, नाटक कभी नहीं रुकता!
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