फेक न्यूज़ फैलाने के लिए कुख्यात मोहम्मद ज़ुबैर एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में है. उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर पुलिस थाने में AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर FIR दर्ज की है। ये मामला खुब्बापुर गाँव स्थित ‘नेहा पब्लिक स्कूल’ के वायरल वीडियो से जुड़ा है।
वहीं मोहम्मद ज़ुबैर ने इस मामले में वीडियो वायरल किया था, लेकिन बच्चों के चेहरों को ब्लर नहीं किया था। इस FIR में बताया गया है कि AltNews के पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा ‘किशोर न्याय अधिनियम’ का उल्लंघन करते हुए बच्चे की पहचान उजागर की गई है। इसके लिए उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने की माँग की गई है। ये FIR सोमवार (28 अगस्त, 2023) को दर्ज की गई है। मोहम्मद ज़ुबैर ने बाद में इस वीडियो को डिलीट कर लिया था, लेकिन माफ़ी तक नहीं माँगी थी।
An FIR has been registered against alleged fact- checker Mohammad Zubair in Uttar Pradesh.
He is accused of sharing a video from Muzaffarnagar that revealed the identity of a victimized child.#TriptaTyagi case pic.twitter.com/DxTdrxLHgJ
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) August 28, 2023
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। इस वीडियो के आधार पर एक स्कूल की शिक्षिका पर छात्र को अन्य बच्चों से पिटवाने का आरोप लगा था। मोहम्मद जुबैर, संजय सिंह, सदफ अमीन जैसे कइयों ने अपने सोशल मीडिया हैंडलों के जरिए इस मामले को सांप्रदायिक एंगल देने का प्रयास किया। इस्लामी मुल्क क़तर के मीडिया संस्थान ‘अल जजीरा’ ने भी विदेश से बैठ कर इस मामले में हिन्दू-मुस्लिम की हवा देनी शुरू की।
An FIR has been registered against alleged fact- checker Mohammad Zubair in Uttar Pradesh.
He is accused of sharing a video from Muzaffarnagar that revealed the identity of a victimized child.#TriptaTyagi case pic.twitter.com/DxTdrxLHgJ
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) August 28, 2023
और पढ़ें: Tripta Tyagi Case: मुज़फ्फरनगर काण्ड का अधूरा सच!
अब किसी नाबालिग बच्चे की पहचान उजागर करना ‘किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015’ का उल्लंघन है। NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) पहला ही चेतावनी दे चुका है कि इस मामले में बच्चों वाला वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर न किया जाए और इस घटना की जानकारी संस्था को ईमेल के द्वारा दिया जाए। बता दें कि इस कानून के सेक्शन-74 के तहत, दोषी पाए जाने पर 6 महीने तक की जेल और 2 लाख रुपए तक के जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है।
परन्तु यहाँ तो बात मोहम्मद ज़ुबैर की है, जिसने आज तक नूपुर शर्मा के विरुद्ध भ्रामक ख़बरों के लिए ग्लानि तक नहीं प्रदर्शित की, क्षमा माँगना तो बहुत दूर की बात! ये अपनी फेक न्यूज़ के पीछे कई बार कोर्ट के चक्कर काट चुके हैं, पर मजाल है कि ये एक भी वास्तविक पत्रकारिता पे ध्यान दे!
पिछले ही वर्ष कन्हैयालाल की हत्या समेत कई मामलों में मोहम्मद ज़ुबैर पर दिल्ली पुलिस एवं यूपी पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की थी. सारे साक्ष्य चीख चीखकर ज़ुबैर की संलिप्तता की दुहाई दे रहे थे, और इसके बाद भी CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने ‘अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता’ के नाम पर इसे खुला छोड़ दिया. २०२१ की लोनी घटना से भी इसने कोई सीख नहीं ली. उस समय एक आपसी झड़प को सांप्रदायिक रंग देकर मोहम्मद ज़ुबैर, राणा अयूब जैसे कथित बुद्धिजीवी इसे अनावश्यक तूल दे रहे थे.
परन्तु जैसे ही ट्विटर ने हस्तक्षेप किया, तो फिर यूपी प्रशासन और न्यायपालिका की कार्रवाई ऐसी रही कि इन्हे नाक रगड़कर न्यायपालिका के समक्ष क्षमा याचना करनी पड़ी.
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।