उत्तरकाशी: हिमाचल प्रदेश के बाद अब एक और पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में मस्जिद पर विवाद खड़ा हो गया है। मामला उत्तरकाशी जिले का है, जहां एक ‘अवैध’ मस्जिद गिराने की मांग हो रही है। हिंदू संगठनों ने इस सिलसिले में जन आक्रोश रैली आयोजित की थी। इसके बाद वहां तनाव बढ़ गया। गुरुवार को हिंसा में आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए। 55 साल पुरानी मस्जिद जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से महज 100 मीटर दूर है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि बिना नक्शा पास कराए अवैध रूप से मस्जिद का निर्माण हुआ। गुरुवार को जन आक्रोश रैली के दौरान पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इसके विरोध में आज बाजार बंद रहे। इलाके में पुलिस बल तैनात है और फ्लैग मार्च किया गया है।
‘मस्जिद में काफी अजनबी आते-जाते हैं’
इससे पहले हिमाचल प्रदेश के शिमला और कांगड़ा में मस्जिद का मामला सुर्खियों में रहा था। हिंदू संगठनों का कहना है कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में डीएम कार्यालय के पास स्थित मस्जिद अवैध रूप से निजी जमीन पर बनाई गई है। आरोप यह भी है कि बड़ी तादाद में यहां पर अजनबी लोगों का आना-जाना होता है। इस वजह से उत्तरकाशी का माहौल बिगड़ रहा है। स्थानीय लोगों में भी इसको लेकर नाराजगी देखी जा रही है। आरोप है कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, उसका दाखिल-खारिज भी नियमों के खिलाफ जाकर हुआ है। इसको लेकर लंबे समय से इलाके में आक्रोश देखा जा रहा है। बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ उत्तराखंड ने गुरुवार को जन आक्रोश रैली का आह्वान किया था। उत्तरकाशी के हनुमान चौक पर गुरुवार सुबह दस बजे हिंदू संगठनों के लोग इकट्ठा हुए। इसके बाद पथराव की घटना हुई। वहीं पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज किया। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इससे पहले 10 सितंबर को भी इस मस्जिद पर कार्रवाई की मांग को लेकर हिंदू संगठनों ने विरोध रैली निकाली थी।
Hindu organisations' protest demanding action against the illegal mosque in #Uttarkashi, #Uttarakhand
A bandh was observed in protest against the police lathicharge on the protestors!
Why did the protest arise regarding the illegal mosque construction?
Even after repeated… pic.twitter.com/fo85RNT0TM
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 25, 2024
जमीन के दाखिल-खारिज में साजिश का आरोप
हिंदू संगठनों का कहना है कि जिस जमीन पर मस्जिद है, उसके मूल विक्रेता सरदार सिंह अब जीवित नहीं हैं। 1991 के बाद यह जमीन कागजात माल में सरदार सिंह के नाम दर्ज नहीं थी। मृतक के खिलाफ चुपके से साजिशन एक मुकदमा चलाया गया। मृतक के दोनों पुत्र उस समय जीवित थे और बतौर भूस्वामी नाम दर्ज था। लेकिन दाखिल-खारिज के दौरान दोनों भूमि मालिकों और उनके परिजनों को और गांव के जनप्रतिनिधियों को जानकारी नहीं दी गई थी। हिंदू संगठनों का दावा है कि मुकदमा संख्या 406/2004-05 भू अधिनियम की धारा 34 की फाइल से पूरी साजिश से पर्दा उठ जाता है। एक सोची समझी साजिश के तहत मरे हुए शख्स को फाइल के अंदर कागजों में प्रतिवादी बनाया गया है। छह महीने तक अदालत में जब पुकारे जाने पर मृतक सरदार सिंह नहीं उपस्थित हुए (होते भी कैसे जब जीवित नहीं थे) तो एकतरफा फैसला लिया गया। जमीन के मालिक और परिजन दाखिल-खारिज के पक्ष में नहीं थे। यही कारण था कि सारी प्रक्रिया को उनसे छिपाकर किया गया।
‘बिना नक्शा पास कराए अवैध मस्जिद निर्माण’
हिंदू संगठनों का यह भी कहना है कि भूस्वामियों के दादा और पिता ने 36 साल तक दाखिल-खारिज प्रक्रिया से इनकार किया था। गांव के लोगों का कहना था कि 1969 में धोखे से पांच नाली जमीन का बैनामा लिखवा लिया गया था। इसीलिए मौत के 36 साल बाद 2004-05 में भूस्वामियों और परिजनों को जानकारी दिए बिना दाखिल-खारिज हुआ। मुकदमे के फैसले में साफ दर्ज है कि जमीन पर भवन बना था, जिसे मस्जिद लिखा गया है। हिंदू संगठनों ने आरटीआई से मिली जानकारी और दूसरे दस्तावेजों के आधार पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को एक चिट्ठी भेजी है।
इस खत में दावा है कि मस्जिद को डीएम दफ्तर से 100 मीटर की दूरी पर बिना नक्शा पास कराए बनाया गया है। निजी जमीन पर अवैध रूप से आवासीय भवन का निर्माण हुआ है। हिंदू संगठनों ने सीएम से मांग की है कि 2004-05 के मुकदमे की फाइल का निरीक्षण हो और पूरे मामले की जांच की जाए। यह भी कहा गया है कि वहां चल रही संदिग्ध गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। बाहरी राज्यों से फेरी के नाम पर या दूसरे छद्म तरीके से आने वाले अजनबियों के प्रवेश पर रोक लगे।