आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 को लेकर भारत और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के बीच जारी घमासान बढ़ता जा रहा है। इस बात की संभावनाएं जताई जा रहीं हैं कि पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी आयोजित करने से पीछे हट सकता है। यदि ऐसा होता है तो पाकिस्तान को करीब 65 मिलियन डॉलर यानि करीब 5484846250 रुपए का नुकसान झेलना होगा।
दरअसल, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम इंडिया के पाकिस्तान न जाने की सूचना अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) को भेजी थी। इसके बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने टीम इंडिया के पाकिस्तान न आने के पीछे का कारण पूछा है। हालांकि इस बीच मीडिया में यह भी कहा जा रहा है कि यदि टीम इंडिया पाकिस्तान नहीं जाएगी तो फिर पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी आयोजित नहीं कराएगा।
दरअसल, शुरुआत से ही पाकिस्तान को लेकर भारत का रवैया स्पष्ट रहा है। जब से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हुए हैं, तब से भारतीय टीम पाकिस्तान नहीं गई है और निकट भविष्य में भी इसकी संभावना न के बराबर ही है। इस बार भी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत ने पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया है।
हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत ने आईसीसी से चैंपियंस ट्रॉफी एशिया कप की तरह हाइब्रिड फॉर्मेट में कराने की मांग की है। वहीं पाकिस्तान हाइब्रिड फॉर्मेट में टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए तैयार नहीं है। यही नहीं, अब पीटीआई ने आईसीसी से जुड़े सूत्र के हवाले से कहा है कि यदि चैंपियंस ट्रॉफी हाइब्रिड फॉर्मेट में होती है तो भारत के सभी मैच दुबई में होंगे। इसके अलावा बीसीसीआई ने फाइनल भी दुबई में ही रखने की मांग की है।
पाकिस्तानी मीडिया हाउस द डॉन ने सूत्रों के हवाले से कहा कि पाकिस्तान की सरकार चैंपियंस ट्रॉफी के मुद्दे पर गंभीर है। साथ ही सरकार की ओर से पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) को कहा गया है कि वह चैंपियंस ट्रॉफी में शामिल ही न हो।
सूत्र के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि यदि पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी में भाग लेने से मना कर दिया तो उसे कानूनी प्रक्रिया का भी सामना करना पड़ सकता है। कहा जा रहा है कि ICC का ब्रॉडकास्टर और स्पॉन्सर के साथ इस बात को लेकर करार हो चुका है कि चैंपियंस ट्रॉफी में सभी टॉप टीमें हिस्सा लेंगी। लेकिन पाकिस्तान के इनकार करने पर उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि यदि पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी से हट जाता है तो फिर टूर्नामेंट के यूएई और दक्षिण अफ्रीका में हाइब्रिड फॉर्मेट में होने की उम्मीद है। वहीं यदि पाकिस्तान के साथ हाइब्रिड फॉर्मेट में होंगे तो फिर पाकिस्तान के अलावा एक अतिरिक्त वेन्यू भी यूएई ही होने के आसार हैं।
पाकिस्तान के हाल बहाल
पाकिस्तान क्रिकेट बीते कुछ सालों में काफ़ी उतार-चढ़ाव से गुज़र रहा है। सुरक्षा समेत अन्य कई कारणों से अधिकांश टीमें पाकिस्तान की यात्रा करने से करती रही हैं। हालांकि इसमें सबसे बड़ा कारण हमेशा से सुरक्षा ही रहा है। साल 2021में इंग्लैंड ने खिलाड़ियों की सुरक्षा का हवाला देते हुए अपनी टीम पाकिस्तान नहीं भेजी थी। ऐसा ही कुछ न्यूजीलैंड के साथ भी हुआ। हालांकि न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम तो पाकिस्तान पहुंच भी गई थी। लेकिन स्टेडियम के बाहर संभावित हमले की चेतावनी के बाद न्यूजीलैंड ने घर वापसी करना ही बेहतर समझा था।
यही नहीं, बीते कुछ सालों में कई टीमें पाकिस्तान दौरे पर गई तो हैं, लेकिन ये देश की बी और सी टीमें अर्थात युवा खिलाड़ियों से भरी हुई टीमें रही हैं। ज्यादातर टीमों ने पाकिस्तान दौरे पर अपने स्टार खिलाड़ियों को आराम देने का का फैसला किया है। यह सब साल 2009 में श्रीलंका टीम पर हुए हमले के बाद और भी अधिक बढ़ चुका है, उस हमले में 7 लोगों की जान चली गई थी।
सुरक्षा के साथ ही, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पुराने और खराब होते स्टेडियम से भी जूझ रहा है। पीसीबी के चेयरमैन मोहसिन नकवी ने पहले भी देश के जीर्ण-शीर्ण स्टेडियमों को बेहतर बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया था, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों से काफी पीछे हैं। नकवी ने कहा था, “हमारे स्टेडियम और बाकी दुनिया के स्टेडियमों में बहुत अंतर है। कोई भी स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है ढंग की सीट नहीं, कोई बाथरूम नहीं और ऐसा लगता है कि आप 500 मीटर दूर से मैच देख रहे हैं।”
गरीबी गुजर कर रहा पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड
गौरतलब है कि पूरी दुनिया को यह पता है कि सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं वहां के क्रिकेट बोर्ड की हालत भी खस्ता है। स्टेडियम के सुधार व अन्य चीजों में करीब 12.8 बिलियन रुपए खर्च होने हैं। इसके अलावा, एशिया कप हाइब्रिड फॉर्मेट में हुआ था, जिसके चलते भी पाकिस्तान को काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
वास्तव में देखें तो चैंपियंस ट्रॉफी पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा मौका है। दरअसल, पाकिस्तान ने आखिरी बार साल 1996 में वनडे विश्व कप की मेजबानी थी। इसके बाद से उसे कभी भी आईसीसी टूर्नामेंट आयोजित करने का मौका नहीं मिला। इसके अलावा, पाकिस्तान के पास पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी करने का भी मौका है और वह ऐसे मौका छोड़ना नहीं चाहता।
यहां बात सिर्फ मौकों नहीं बल्कि पैसों की भी है। दरअसल, पाकिस्तान को चैंपियंस ट्रॉफी आयोजित करने से पैसा तो मिलेगा ही, लेकिन यदि भारतीय टीम पाकिस्तान जाती है तो वहां के क्रिकेट बोर्ड की कमाई कई गुना तक बढ़ जाएगी। इसके अलावा, उसके पास चैंपियंस ट्रॉफी के राइट्स भी हैं। तो इससे भी अच्छी खासी कमाई हो जाएगी। लेकिन यदि चैंपियंस ट्रॉफी पाकिस्तान में नहीं हुई तो पाकिस्तान को सीधे तौर पर 65 मिलियन डॉलर यानि करीब 5484846250 रुपए का नुकसान झेलना होगा।
भारत भरोसे चल रहा PCB
इसके अलावा यह भी साफ हो चुका है कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड भारत के भरोसे ही चल रहा है। पूर्व पीसीबी प्रमुख रमीज राजा ने भी इसकी ओर ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा था “पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को 50% फंडिंग आईसीसी से मिलती है और आईसीसी को 90% फंडिंग बीसीसीआई से मिलती है। एक तरह से भारत के व्यापारिक घराने पाकिस्तान क्रिकेट को चला रहे हैं। अगर कल भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगता है कि हम पाकिस्तान को कोई फंडिंग नहीं देंगे, तो यह क्रिकेट बोर्ड ढह सकता है।”
रमीज राजा इस बात पर बेहद मुखर रहे हैं कि पाकिस्तान की क्रिकेट प्रणाली पूरी तरह से ICC से प्राप्त फंडिंग पर चलती है और अगर किसी दिन किसी कारण से यह फंडिंग बंद हो जाए तो इससे कितना बड़ा नुकसान होगा। पाकिस्तान की यह स्थिति यह तब है जबकि साल 2008 के बाद से भारतीय टीम पाकिस्तान नहीं गई है और दोनों देशों के बीच मैच केवल ICC टूर्नामेंट में ही होते हैं। भारत का पाकिस्तान दौरा न करना पहले से ही पाकिस्तान के लिए राजस्व और रेटिंग का बहुत बड़ा नुकसान है, अब अगर हाइब्रिड फॉर्मेट में चैंपियंस ट्रॉफी होगो तो ICC इवेंट के राइट्स खोना उसके लिए और भी अधिक नुकसानदेह हो सकता है।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है। साल 2023 तक BCCI के पास 2.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और इसका वार्षिक राजस्व 517 मिलियन डॉलर है। वहीं PCB बहुत पीछे है, पाकिस्तान को महज $127 मिलियन का राजस्व ही मिल पा रहा है। वहीं PCB के पास $59 मिलियन ही है। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की कुल संपत्ति ₹13,753 करोड़ है जबकि पाकिस्तान सुपर लीग की कुल संपत्ति सिर्फ़ ₹57.8 करोड़ है। यानी कि दोनों देशों के क्रिकेट बोर्ड के बीच हिमालय जितना अंतर है।