आज, 28 दिसंबर 2024 को, हम उद्योगपति और परोपकारी रतन टाटा को उनकी 87वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। पद्मविभूषण और पद्मभूषण से सम्मानित रतन टाटा की जयंती के मौके पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित कई कैबिनेट मंत्रियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक, रतन टाटा ने व्यापार में उल्लेखनीय सफलता हासिल की, साथ ही अपनी मानवता और परोपकारिता के जरिए समाज पर गहरी छाप छोड़ी।
65% संपत्ति दान करते थे टाटा
रतन टाटा ने 1990 से 2012 तक टाटा समूह का नेतृत्व किया और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम चेयरमैन के रूप में भी अपनी भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने व्यावसायिक सफलता के नए आयाम छुए, वहीं उनकी परोपकारी पहलों ने लाखों जीवन बदल डाले। उनका नेतृत्व सिर्फ व्यापार में नहीं, बल्कि समाज की भलाई में भी दृढ़ था।
रतन टाटा ने साबित किया कि असली संपत्ति केवल धन में नहीं, बल्कि समाज को देने में है। भले ही वह दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन दिल से अमीर और परोपकारी हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति का 65% से अधिक हिस्सा विभिन्न परोपकारी ट्रस्टों को दान किया है, जो उनकी महानता को दर्शाता है।
टाटा का यह कहना, “एक व्यवसाय का असली उद्देश्य समाज के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है” उनके नेतृत्व की सच्चाई और उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है। वे एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने अपनी शक्ति और संपत्ति से अधिक समाज की भलाई को प्राथमिकता दी, और इस कारण उनकी 87वीं जयंती पर उन्हें सम्मान से याद किया जा रहा है।
टाटा ग्रुप का इतिहास
टाटा ग्रुप का इतिहास भारतीय उद्योग की एक महत्वपूर्ण यात्रा को दर्शाता है, जो 1868 में जमसेदजी टाटा द्वारा टाटा कंपनी लिमिटेड की स्थापना से शुरू हुआ। टाटा ने व्यापार की दुनिया में कदम रखा और इसे एक स्थिर आधार प्रदान किया, जो भविष्य में कई उद्योगों में विस्तार का कारण बना। 1903 में टाटा स्टील की स्थापना ने इस्पात उद्योग में टाटा की पहचान बनाई, और 1907 में यह भारत के पहले एकीकृत स्टील प्लांट के रूप में स्थापित हुआ। इस्पात क्षेत्र में यह सफलता भारत के औद्योगिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।
1910 में टाटा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर सप्लाई कंपनी की स्थापना के साथ, टाटा ने बिजली उत्पादन में भी कदम रखा, और भारत के हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर उत्पादन में अग्रणी बने। इसके बाद, 1912 में मुंबई में ताजमहल पैलेस होटल की स्थापना ने टाटा को आतिथ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम बना दिया। 1917 में टाटा ऑयल मिल्स कंपनी (TOMCO) की स्थापना ने उपभोक्ता उत्पाद उद्योग में टाटा की भूमिका को सुदृढ़ किया, जो खाद्य तेल, साबुन और पर्सनल केयर उत्पादों का निर्माण करता था।
1932 में टाटा ने एविएशन सर्विस की शुरुआत की, जिससे विमानन क्षेत्र में भी टाटा ने अपनी पहचान बनाई। 1938 में टाटा केमिकल्स की स्थापना ने रासायनिक उद्योग में टाटा का कदम रखा और कृषि और औद्योगिक विकास में योगदान दिया। 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना ने ऑटोमोबाइल उद्योग में टाटा की उपस्थिति को मजबूत किया और 1948 में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की स्थापना ने समाज सेवा और शैक्षिक क्षेत्र में टाटा के योगदान को प्रदर्शित किया।
1954 में टाटा पावर ने भारत का पहला पूरी तरह से एकीकृत पावर कॉर्पोरेशन स्थापित किया, जो सस्ती और विश्वसनीय बिजली प्रदान करने में सहायक साबित हुआ। 1958 में टाटा टी की स्थापना ने चाय उद्योग में टाटा की उपस्थिति दर्ज कराई, और 1968 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) की स्थापना ने टाटा को वैश्विक आईटी सेवा प्रदाता बना दिया।
2000 के बाद, टाटा ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे 2007 में जागुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण, 2008 में टाटा नैनो की लॉन्चिंग, और 2010 में गुजरात में दुनिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना की शुरुआत। 2012 में टाटा ग्रुप ने अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाई, जो इसके विकास और सफलता का प्रतीक थी। 2017 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS) ने दुनिया के सबसे मूल्यवान आईटी सेवा प्रदाता के रूप में अपनी स्थिति बनाई। 2019 में टाटा सन्स को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में बदलने का निर्णय लिया गया, जिससे समूह को नए सामरिक लाभ प्राप्त हुए। टाटा ग्रुप का इतिहास भारतीय उद्योग और वैश्विक स्तर पर इसके योगदान को दर्शाता है, जो समय के साथ लगातार विस्तार और नवाचार के माध्यम से एक विशाल और विविध समूह में बदल चुका है।