केरल का वायनाड लोकसभा क्षेत्र बीते 5 सालों से लगातार चर्चा में रहा है। पहले यहां कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने ‘शासन’ किया और अब उनकी बहन प्रियंका गांधी इसी सीट पर ‘राज’ कर रही हैं। केरल की वामपंथी सरकार और वायनाड की सांसद प्रियंका के राज में वायनाड की हालत बस से बदतर होती जा रही है। खासतौर से जनजातियों पर अत्याचार हो रहा है। लेकिन फिलीस्तीन का दर्द देख लेने वाली प्रियंका को वायनाड की पीड़ा नजर नहीं आ रही।
दरअसल, बीते एक सप्ताह में वायनाड में जनजातियों के साथ हुई दो घटनाएं सामने आई हैं। एक ओर जहां जनजातीय व्यक्ति को कार में बांधकर बुरी तरह घसीटने का मामला सामने आया। वहीं दूसरी ओर जनजातीय महिला के निधन के बाद उसके परिवार को एंबुलेंस नहीं मिला। इसके बाद पीड़ित परिवार मृतका को मजबूरन महिला का शव ऑटो रिक्शा में रखकर ले जाना पड़ा।
इस दौरान महिला का आधा शव ऑटो रिक्शा से बाहर लटका हुआ नजर आया। ये दोनों ही घटनाएं राहुल गांधी के 5 साल के कार्यालय के साथ ही अब प्रियंका गांधी के सांसद बनने के बाद वहां की स्थितियों की सच्चाई बता रही हैं।
वायनाड में जनजातीय युवक को कार में बांधकर घसीटा
वायनाड में हुई पहली घटना को विस्तार से देखें तो यह वायनाड जिले के मंनथवडी क्षेत्र की है। यहां रविवार (15 दिसंबर 2024) को 49 वर्षीय माथन नामक जनजातीय व्यक्ति पर पहले तो पत्थर से हमला किया गया। इसके बाद उसे कार में बांधकर करीब आधा किलोमीटर तक घसीटा गया। इससे माथन के शरीर में गंभीर चोटें आई हैं।
डॉक्टर्स का कहना है कि सड़क पर रगड़ लगने की वजह से पीड़ित युवक के पैरों समेत कई अन्य हिस्सों का मांस पूरी तरह निकल चुका है। इससे उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। आरोपितों की पहचान मोहम्मद अर्शिद, नावील, अभिराम और विष्णु के रूप में हुई। वहीं इस पूरे मामले में इस्तेमाल की गई कार का मालिक मोहम्मद रियास है, पुलिस उसकी भी तलाश में जुटी हुई है। =
वायनाड में जनजातीय परिवार को नहीं मिला एंबुलेंस
वहीं वायनाड की दूसरी घटना पर नजर डालें तो इससे चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, यहां 76 वर्षीय जनजातीय महिला चूंडम्मा का सोमवार (16 दिसंबर, 2024) को निधन हो गया था। उसके परिवार ने शव को श्मशान ले जाने के लिए जनजातीय विकास विभाग से एंबुलेंस की मांग की थी।
एंबुलेंस नहीं मिलने पर पीड़ित परिवार ऑटो रिक्शा के जरिए शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के लिए मजबूर हुआ। इस दौरान मृतका का शव ऑटो से बाहर लटका हुआ नजर आया। इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद प्रशासन ने स्थानीय अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए निलंबित कर दिया।
5 साल भाई और अब बहन सांसद लेकिन वायनाड बेहाल
केरल के वायनाड में राहुल गांधी 2019 से लेकर 2024 तक राहुल गांधी सांसद रहे। इसके बाद प्रियंका गांधी वहां से सांसद हैं। ऐसे में सवाल यह है कि इतने सालों में राहुल वहां की चिकित्सा व्यवस्था को सही क्यों नहीं कर पाए? क्या कारण है कि आज भी लोगों को शव के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पाता। इतना ही नहीं क्या पहले राहुल और अब प्रियंका द्वारा कानून व्यवस्था सही करने की भी कोशिश नहीं की गई? यदि प्रयास किया गया तो फिर कुछ गुंडे एक व्यक्ति को कार में बांधकर 500 मीटर तक दिनदहाड़े घसीट देते हैं और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लग पाती, इसका क्या कारण है?
वायनाड पर चुप्पी कुछ तो कहती है
चूंकि वायनाड एक मुस्लिम बाहुल्य सीट है। वहीं माथन जनजातीय अर्थात हिंदू है। उसे घसीटने वाले लोगों में मुख्य आरोपित और वाहन मालिक मुस्लिम है। इसलिए प्रियंका गांधी ने इस मामले में पहले तो चुप्पी साधे रखी। लेकिन जब भाजपा नेताओं ने उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए तो प्रियंका ने आरोपितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील कर डाली। बड़ी बात यह है कि इस अपील में ना तो नाम था, ना जाति और न धर्म। क्या यह इसलिए था कि आरोपितों में मुस्लिम शामिल हैं?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि हाथरस मुद्दे पर राहुल गांधी द्वारा शेयर किए गए वीडियो में जाति का उल्लेख किया गया है। लेकिन जहां कहीं भी मुस्लिम आरोपित होते हैं वहां या तो मौन साध लिया जाता है या फिर बचने की कोशिश की जाती है। इतना ही नहीं, जब हाथरस जैसे मुद्दे पर साल-दर-साल राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए यदि भाई-बहन यानी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी यदि वहां जा सकते हैं तो फिर उनके संसदीय क्षेत्र में जनजातीय वर्ग पर हो रहे अत्याचार पर भी मुखर होना चाहिए। यदि हाथरस पर हो-हल्ला मचाने वाले लोग वायनाड पर चुप रह जाते हैं तो इससे साफ पता चलता है कि ये सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ये सब स्टंट कर रहे हैं।