Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव का मतदान 5 फरवरी को पूरा हुआ था, और आज सुबह 8 बजे से वोटों की गिनती शुरू हो गई है। शुरुआती रुझानों से साफ हो गया है कि मुकाबला इस बार भी बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच ही सिमट गया है। बीजेपी 2 बार की सत्ता रूढ़ आम आदमी पार्टी को पटकनी देती नजर आ रही है, लेकिन जो बात सबसे ज्यादा ध्यान खींच रही है, वह है कांग्रेस की लगातार गिरती साख।
कभी 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस इस बार भी चुनावी मैदान से पूरी तरह गायब नजर आ रही है। कांग्रेस की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि वह लगातार तीसरी बार दिल्ली में “0 की हैट्रिक” लगाने की कगार पर है।
दिल्ली में कांग्रेस की “हैट्रिक हार”
दिल्ली की राजनीति में कभी कांग्रेस का डंका बजता था, लेकिन अब यह पार्टी चुनावी मैदान में ‘गायब पार्टी’ बनकर रह गयी है। 1998 से लेकर 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर कब्जा करने वाली कांग्रेस के लिए 2013 का चुनाव ऐसा झटका साबित हुआ, जिसने पार्टी को पूरी तरह से बैकफुट पर धकेल दिया।
2013 में आम आदमी पार्टी के उभार ने कांग्रेस के वोट बैंक को जबरदस्त झटका दिया। 2008 में जहां कांग्रेस का वोट शेयर 40% से भी ऊपर था, वहीं 2013 में यह गिरकर सिर्फ 24.25% पर आ गया। कांग्रेस, जिसने पहले 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी, वह महज 8 सीटों पर सिमट गई। यह हार केवल सीटों की नहीं थी, बल्कि पार्टी की जनता से जुड़ाव खोने का संकेत भी था।
इसके बाद के चुनावों में कांग्रेस की स्थिति और खराब होती गई। 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन नतीजा शून्य रहा। उस समय उसका वोट शेयर भी सिर्फ 9.7% तक गिर चुका था। 2020 के चुनाव में तो पार्टी का प्रदर्शन और भी बदतर हो गया। कांग्रेस को न तो कोई सीट मिली और न ही सम्मानजनक वोट प्रतिशत। उसका वोट शेयर 4.26% तक गिर गया, जिससे यह साफ हो गया कि दिल्ली की जनता ने कांग्रेस को पूरी तरह नकार दिया है।
अब 2025 के ताजा रुझानों में कांग्रेस की हालत पहले से भी ज्यादा चिंताजनक नजर आ रही है। 70 सीटों में से एक भी सीट पर कांग्रेस का खाता खुलता नहीं दिख रहा। 12:00 तक के वोट प्रतिशत के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस को सिर्फ 6.59% वोट मिले हैं। दूसरी ओर, बीजेपी 46 सीटों पर आगे चल रही है, और आम आदमी पार्टी 24 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
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यह साफ है कि दिल्ली की जनता ने कांग्रेस को एक बार फिर हाशिए पर धकेल दिया है। कभी जो पार्टी दिल्ली की हर गली और मोहल्ले में अपनी गहरी पैठ रखती थी, वह अब पूरी तरह अप्रासंगिक हो गई है। कांग्रेस का यह प्रदर्शन केवल हार नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। आज की राजनीति में जनता विकास और पारदर्शिता चाहती है, और कांग्रेस इन मोर्चों पर फिसड्डी साबित हुई है।
भाजपा का वनवास खत्म
दिल्ली में इस बार के चुनावी रुझान भाजपा के लिए बड़ी राहत लेकर आए हैं। लंबे समय से सत्ता से दूर रहने के बाद भाजपा आखिरकार अपनी मजबूत वापसी की ओर बढ़ती दिख रही है। सुबह 12 बजे तक के ताजा रुझानों के मुताबिक, भाजपा ने 47.10% वोट शेयर के साथ 46 सीटों पर बढ़त बना ली है।
वहीं, 2013 से लगातार सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी इस बार पिछड़ती नजर आ रही है। पार्टी को अब तक 43.06% वोट मिले हैं, और वह केवल 24 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। यह नतीजे साफ संकेत देते हैं कि दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। भाजपा, जो पिछले कई सालों से सत्ता से बाहर थी, अब जनता के भरोसे के साथ दोबारा राजधानी में अपने कदम जमाने की ओर बढ़ रही है।