भारत में जहां एक ओर सनातन परंपराओं और राष्ट्रवाद को सम्मान देने वाले लोग हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग लगातार इसे अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। आमतौर पर किसी भी देश के महान व्यक्तियों के प्रति एक समान सम्मान की भावना होती है, लेकिन भारत में विचारधाराओं का टकराव इतना गहरा हो गया है कि राष्ट्र के नायकों को लेकर भी दो ध्रुवों में बंटकर चर्चा की जाती है। एक पक्ष ऐसे महापुरुषों को राष्ट्रनिर्माता और पथप्रदर्शक मानता है, तो दूसरा पक्ष उन्हें बदनाम करने और अपने राजनीतिक एजेंडे को साधने में लगा रहता है। समय-समय पर सत्ता संतुलन तय करता है कि कौन-सा पक्ष प्रभावी रहेगा, लेकिन जब राष्ट्रवादी विचारधारा को दबाने के प्रयास किए जाते हैं, तब सत्य को निर्भीकता से सामने रखना साहस की मांग करता है।
विनायक दामोदर सावरकर ऐसे ही एक विलक्षण व्यक्तित्व थे, जिनके योगदान को कमतर दिखाने के लिए कांग्रेस और वामपंथी गुट लगातार प्रयासरत हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका अतुलनीय रही, लेकिन कांग्रेस और उसके नेता बार-बार सावरकर के खिलाफ दुष्प्रचार करने में जुटे रहते हैं। जहां राष्ट्रवादी विचारधारा उन्हें महान क्रांतिकारी और हिंदू राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में देखती है, वहीं कांग्रेस उन्हें बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ती।
इसी क्रम में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर सावरकर पर विवादित बयान दिया, जिसके चलते लखनऊ की अदालत ने उन पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल गांधी को 14 अप्रैल 2025 को पेश होना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सावरकर के लिए कहा था- अंग्रेजों से लेते हैं पेंशन
वीर सावरकर पर विवादित बयान देने के मामले में लखनऊ की अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह फैसला अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (ACJM) कोर्ट ने उनकी लगातार गैरहाजिरी के चलते सुनाया। अदालत ने साफ निर्देश दिया है कि राहुल गांधी को 14 अप्रैल 2025 को पेश होना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राहुल गांधी के वीर सावरकर को लेकर दिए गए बयान पर पहले से ही अदालत में सुनवाई चल रही थी, जहां उन्हें पेश होने का आदेश दिया गया था। हालांकि, बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण अदालत ने उनके खिलाफ यह जुर्माना लगाया। सुनवाई के दौरान उनके वकील प्रांशु अग्रवाल ने अदालत में पेश होकर पेशी से छूट के लिए आवेदन दिया। उन्होंने दलील दी कि राहुल गांधी इस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं और दिल्ली में उनकी एक महत्वपूर्ण बैठक थी, साथ ही अन्य कार्यक्रमों में भी उन्हें शामिल होना था, जिसके चलते वह अदालत में हाजिर नहीं हो सके। वकील ने दावा किया कि राहुल गांधी अदालत के आदेशों का सम्मान करते हैं और जानबूझकर पेशी से बचने की कोशिश नहीं कर रहे।
राहुल गांधी ने अकोला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वीर सावरकर को ‘अंग्रेजों का नौकर’ और ‘पेंशन लेने वाला’ कहकर अपमानित किया था। उनके इस बयान को लेकर नृपेन्द्र पांडे ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 153(ए) और 505 के तहत राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की गई।
दरअसल वीर सावरकर जैसे अमर क्रांतिकारी, जिन्होंने अपने जीवन का हर क्षण राष्ट्र की सेवा और स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित किया, उनके खिलाफ इस तरह के अपमानजनक बयान देना कांग्रेस की पुरानी आदत बन चुकी है।