अक्सर आपने चुनावों और चर्चाओं में बार-बार सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली के बारे में सुना होगा| इसके अतिरिक्त कहा जाता है कि कांग्रेस पार्टी अपने इस गढ़ से कभी चुनाव नहीं हारती है| हालाँकि इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले इस क्षेत्र में, भाजपा ने सेंध तो लगा दी है परन्तु अक्सर इस क्षेत्र में कांग्रेस का एक सिपहेसलार इस पार्टी की डूबती नैया को पार लगाता रहा है| जिसके फलस्वरूप इन विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी, इस कांग्रेसी गढ़ से कुछ सीटें बचाने में सफल रही|
मैं बात कर रहा हूँ रायबरेली से विधान परिषद सदस्य एवं वित्तीय और प्रशासनिक विलम्ब समिति के सभापति दिनेश प्रताप सिंह की| जी हां, मीडिया से अक्सर दूर रहने वाला और रायबरेली की राजनीती का चाणक्य कहा जाने वाला यह नेता, इस क्षेत्र में अपना खासा प्रभाव रखता है|
हम समाचार पत्रों और मीडिया चैनल्स को देखने के बाद समझते हैं कि रायबरेली क्षेत्र कांग्रेस की झोली में जाती है क्यूंकि वहां सोनिया गांधी और राहुल गांधी का प्रभाव है किन्तु सत्यता इसके विपरीत है| इस क्षेत्र में “व्यक्तिगत प्रभाव और जनता से जुड़ाव” रखने वाले दिनेश की व्यवहार कुशलता की वजह से इस क्षेत्र में कांग्रेस का झंडा बुलंद है| एक समय रायबरेली से समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधत्व करने वाले दिनेश ने कुछ समय पश्चात ही पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए और यहीं से इनके वास्तविक राजनैतिक भविष्य की शुरुवात हुयी|
इसी क्रम में इन विधानसभा चुनावों में हरचन्दपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह अपने छोटे भाई राकेश प्रताप सिंह को विजयी श्री दिलाने में सफल रहे| जिसका श्रेय अगर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को दिया जाए तो यह एक श्रमिक के साथ छल होगा| आइये जानते है किन कार्यकुशलताओं की वजह से दिनेश प्रताप सिंह रायबरेली क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं –
१. गरीब तबके से खासा जुड़ाव :- किसान पुत्र दिनेश की प्रारम्भिक जीवन एवं पढ़ाई रायबरेली में हरचंदपुर के नेवाजगंज गाँव से हुयी| समाज में व्याप्त गरीबी को देख उन्होंने राजनीति को बदलने का निर्णय लिया और छात्रों द्वारा चलाये जाने वाले विभिन्न गरीबी उन्मूलन आंदोलनों में हिस्सा लेने लगे| जिसकी वजह से खासकर गरीब तबके से उनका जुड़ाव होता चला गया|
२. मीडिया से दूर :- उत्तर प्रदेश की कांग्रेसी राजनीति में अहम रोल अदा करते रहने वाले दिनेश प्रताप सिंह, अक्सर मीडिया से दूर रहते हैं| जहाँ आज के समय में लोग मीडिया में प्रसिद्ध होने के लिए लालायित रहते हैं, वहीँ दिनेश ज्यादातर अपनी बातें लोगों से मिलकर उन तक पहुचाने में रूचि रखते हैं|
३. व्यवहार कुशलता :- शालीनता और व्यवहारकुशलता दिनेश प्रताप सिंह को अन्य नेताओं से अलग पंक्ति में खड़ी करती है| जिसकी वजह से रायबरेली क्षेत्र के एक बड़े जनाधार पर उनकी पकड़ है|
४. क्षत्रिय समाज के प्रतिनिधि :- क्षत्रिय समाज में अपनी विशेष पहचान रखने वाले दिनेश प्रताप सिंह, अक्सर समाज से जुड़ें सम्मेलनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहें हैं और व्यक्तिगत रूप से अपने विचारों और सुझावों को समाज के सामने रखते रहे हैं| जिसके फलस्वरूप कुछ महीनों पहले ही भारत के क्षत्रिय समाज की प्राचीन संस्था “अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा” का उन्हें “राष्ट्रीय अध्यक्ष” मनोनीत किया गया है|
जहां आज कांग्रेस लगभग समाप्ति की ओर है वहां दिनेश जैसे नेता कांग्रेस की बची सांसों में हवा भरने का काम कर रहें हैं| उत्तर प्रदेश की कांग्रेसी कड़ी को दिनेश कब तक जोड़कर रख पाते हैं यह तो समय बताएगा परन्तु व्यक्तिगत प्रभाव से उन्होंने इस क्षेत्र की राजनीति में खासा परिवर्तन किया है| कुछ समय पहले यहाँ कांग्रेसी सभाओं में लोग फटकते तक नहीं थे परन्तु अब जनसभाओं में खासा भीड़ आ जाती है, यह मेहनत पार्टी विशेष की मेहनत से नहीं अपितु निजी व्यवहार कुशलता की वजह से है| पार्टी के भविष्य का तो नहीं पता परन्तु नेताओं को सौम्य, शीतल और शालीन व्यक्तित्व की जरूरत है| चुनावों में जीत या हार के अपने अलग अलग मायने हैं परन्तु लोगों पर छाप छोड़ने वाला नेतृत्व सदा याद किया जाता है|