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केजरीवाल के हर घोटाले पर पर्दा डालने वाले मीडिया का शर्मनाक सच ये रहा

Nitesh Kumar Harne द्वारा Nitesh Kumar Harne
17 April 2017
in मत
केजरीवाल, मीडिया, शुंगलू समीति, दिल्ली, एमसीडी
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एक कहावत है दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है भले ही हम उसे जानते न हो उदाहरण के तौर पर अगर मोदी आपके राजनैतिक शत्रु है तो उनके हर विरोधी आपके मित्र हुए | अब रही बात मीडिया की तो भारत में मीडिया का मतलब ही मोदी-विरोध हो गया है | ये वही मीडिया है जिसने पिछले १५ सालो में मोदी की छवि धूमिल करने के लिए हर मुमकिन प्रयास किये | पूरी कोशिश कि गयी की मोदी प्रधानमंत्री न बने, इसके बावजूद मोदी प्रधानमंत्री बने और पूर्ण बहुमत की सरकार बनायीं |

अब मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है की मोदी-शाह के विजयी रथ, जो एक के बाद एक राज्य जीतते हुए आगे बढ़ रहा है, उसे २०१९ में रोकना है और इसके लिए उन्हें मोदी के समकक्ष किसी नेता को खड़ा करना होगा, या यूँ कहे की उसे बनाना होगा | ये दिखाना होगा की देखो मोदी के बराबर भी कोई है जो उनसे ज्यादा महान, उनसे ज्यादा ईमानदार है और जनता की सेवा करता है |

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राहुल गाँधी के किस्से, कहानियां तो अब बच्चे भी समझ गए की राहुल जिस ‘एस्केप वेलोसिटी ऑफ़ जुपिटर’ से सोचते है ये राजनीति अब उनके बस की नहीं, हालाँकि ये अलग बात है कांग्रेसियों को ये बात समझने में आधा दशक और लग जायेगा और जो समझ गए है वो कांग्रेस छोड़ चुके है | २०१९ में विपक्ष का नेतृत्व करने लिए जो चेहरे नजर आते है उसमे राहुल, केजरीवाल, नितीश, ममता प्रमुखता से है लेकिन इनमें से कोई मोदी के टक्कर का नही है, फिर भी मीडिया ऐसे ही हार नही मान सकती | उसे केजरीवाल में वो लीडर नजर आता है जिसे वो १९ के लोकसभा चुनाव में सबसे कद्दावार नेता बनाकर पेश करना चाहती है | बस यही एक वजह नजर आता है कि तमाम घोटाले-दर-घोटालों की खुलती परत के बावजूद मीडिया शांत बैठा है |

बीते महीने एक NGO द्वारा संज्ञान में लाया गया मोहल्ला क्लिनिक घोटाला, पर मीडिया के लिए ये इतनी छोटी बात थी की मीडिया ने इसे अपनी सुपरफास्ट १०० छोटी न्यूज़ में भी जगह देना मुनासिब नहीं समझा | शिकायतकर्ता NGO ने बताया की आम आदमी पार्टी द्वारा स्थापित किये गए मोहल्ला क्लिनिक जिसे केजरीवाल पूरी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बताते फिरते है जैसे की वो आप की हर योजनाओं को बताते है, में से कुछ मोहल्ला क्लिनिक तो ४ लाख पर माह तक चार्ज करते है माने एक दिन में पांच सौ मरीजों का निरीक्षण किया जाता है लेकिन अब आप को सनके हैरानी होगी की मोहल्ल क्लिनिक का टाइम है सुबह ९ से दोपहर १ बजे तक मतलब सिर्फ ४ घंटो में ५०० मरीजों को चेक करके उन्हें दवा दी जाती है यानी अकेला डॉक्टर हर एक मिनट में २-३ पेशेंट चेक कर लेता है | है न ताज्जुब की बात !

नोटबंदी के बाद पहला कोई घोटाला सामने आया तो वो है डीटीसी बसों में जमा टिकटों के पैसो का जिसमें केजरीवाल सरकार ने अपने ५०० और १००० की नोटों को बदलने के लिए इस्तेमाल किया | ये मामला तब प्रकाश में आया जब डीटीसी ने ३ करोड़ का रेवेन्यु जमा करवाया जिसमे ज्यादातर नोट बैन थे यानी ५०० और १००० की नोट जमा करवाई गयी थी | आरोप में कहा गया था की ५-२५ रु तक टिकेट में ५००/१००० की नोट इतनी तादाद में कैसे आ सकती है इसके पीछे का मामला ये बताया गया की केजरीवाल सरकार अपना चंदे से मिला काला धन डीटीसी के रेवेन्यु के रूप में जमा करवा कर इसे सफ़ेद बना रही थी लेकिन इस सबके बावजूद हमारी मीडिया के लिए ये भी कोई न्यूज़ नहीं थी मीडिया को इंटरेस्ट था तो इसमे की नोटबंदी के कारण बैंकों में कितनी लम्बी लाइनें लगी है और जनता को कितनी परेसानी हो रही बावजूद इसके की जनता ये परेसानी उठने के लिए तैयार दिखाई दी, लेकिन मीडिया को इसमे कोई बड़ी बात नजर नहीं आती ये तो उनके लिए कोई न्यूज़ ही नहीं है जी !

गत वर्ष ४०० करोड़ का वाटर टैंकर घोटाला सामने आया था जिसमे शिला दीक्षित सरकार के ३८५ वाटर टैंकर के टेंडर पास करने में कई अनियमितता पायीं गयी थी जिसके खिलाफ बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता ने FIIR करवाई, लेकिन इस सबके बावजूद केजरीवाल सरकार ने वाटर टैंकर के टेंडर कैंसिल न करवाके जांच को भी रद्द करवा दिया इसलिए इसमे शिला दीक्षित के साथ केजरीवाल सरकार की मिलीभगत का आरोप लगता रहा क्यूंकि कुछ ही दिनों में उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य का चुनाव विधानसभा था जिसमे कांग्रेस की तरफ से शिला दीक्षित मुख्यमंत्री उमेदवार थी | यहाँ भी मीडिया मूक दर्शक बना देखता रहा |

लाभ के पद का मामला : आप ने दिल्ली सरकार के मंत्रियों के सहयोग के लिए असंवैधानिक तरीके से 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। इसके बाद सरकार ने दिल्ली विधानसभा सदस्यता अधिनियम-1997 में संशोधन का प्रयास किया। मामला कोर्ट के अधीन है और २१ विधायकों पर अब भी सदस्यता निलंबन की तल्क्वार लटक रही है |

इसके बाद अनेकों घोटालों में केजरीवाल सरकार के मंत्रियों का नाम सामने आता रहा है लेकिन हर बार की तरह मीडिया ने इसमे भी कोई रूचि नहीं दिखाई है | दिल्ली ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री से सम्बंधित नंबर प्लेट घोटाला से लेकर प्याज घोटाले तक, जिसमे केजरीवाल सरकार ने नाफेड से प्याज न खरीद कर नासिक से १८ प्रति किलो के प्याज खरीद कर उसे जनता को ३० रुपये प्रति किलो से बेच ये बताया गया की ये तो सब्सिडी दर है वरना मार्किट में ४० रू. किलो है प्याज, लेकिन मीडिया के कानों में जूं तक नहीं रेंगी |

हाल ही में शुंगलू कमिटी ने अपने रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के तमाम अनियमित्ताओ की परत खोल के रख दी, लेकिन मीडिया को जैसे सांप सूंघ गया हो | बड़ी ही सावधानी पूर्वक मीडिया ने इस रिपोर्ट को किनारे कर, आईपीएल की मैच कितनी रोमांचक है, पर्पल कैप राशीद खान को क्यों मिली ये दिखाने में मशगुल है |

कमेटी ने दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक के सलाहकार पद पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी की नियुक्ति को गलत बताया है. इसके अलावा निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी तथा रोशन शंकर को पर्यटन मंत्रालय में ओएसडी नियुक्त करने पर सवाल उठाया गया है. शंकर को ऐसे पद पर बिठाया गया, जिसका पहले अस्तित्व ही नहीं था और उपराज्यपाल की पूर्वानुमति के बिना उनकी इस पद पर नियुक्ति नहीं हो सकती थी | समिति ने दिल्ली सरकार द्वारा आम आदमी पार्टी के मुख्यालय के लिए जनता के पैसे से फर्नीचर तथा अन्य वस्तुएं खरीदने का भी उल्लेख किया है। साथ ही समिति ने दिल्ली सरकार पर भाई भतीजावाद का भी आरोप लगाया है।

दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने 206 रोज़ एवेन्यू स्थित बंगले को पार्टी दफ्तर के लिए आवंटित कर दिया. वहीं स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष बनने से पहले आवास मुहैया करा दिया गया | इसके साथ ही AAP विधायक अखिलेश त्रिपाठी को अनुचित ढंग से टाइप 5 बंगला आवंटित कर दिया | हाल ही में जेटली मानहानि केस में राम जेठमलानी ने केजरीवाल को 3.8 करोड़ रुपये का बिल भेजा है, जो की सिसोदिया ने उप राज्यपाल के संज्ञान के बिना ही पास करने के आर्डर दे दिए थे |

जिस तरह से मनमानी ढंग से केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार के घोटाले हर दिन सामने आ रहे है देश के लिए चिंता का विषय है लेकिन इन सबके बावजूद मीडिया इन सब घोटालों पर कोई मीडिया ट्रायल या कोई प्राइम टाइम चलाना भी जरुरी नही समझती | ये वही मीडिया है जिसने केजरीवाल के मख्यमंत्री बनने पर उनके बचपन के हॉस्टल के कमरे से लेकर उनका बाथरूम तक २४ घंटे दिखाया था | ये वही मीडिया है बीजेपी-शासित प्रदेश में किसी के आरोप लगा देने भर से खुद ही उस राज्य के मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर सजा सुनाने लगती है तो अब तक चुप क्यों बैठी है ? ये देखने वाली बात होगी की मीडिया अपने इस एजेंडे में कहा तक सफल होती है और महा गठबंधन के सहारे बैठा विपक्ष केजरीवाल को अपना नेता मानने को तैयार है या नहीं |

Tags: एमसीडीकेजरीवालदिल्लीमीडियाशुंगलू समीति
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