पद्मावती, जब से यह फिल्म लोगों के संज्ञान में आई है, तभी से इस फिल्म को कई बड़े और भंयकर विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ रहा है। इस फिल्म का सबसे अधिक विरोध विशेष रुप से राजपूतों द्वारा किया जा रहा है, क्योंकि राजपूतों ने यह दावा किया कि इस फिल्म में एक ऐसे स्वप्न दृश्य को शामिल किया गया है, जिसमें अल्लाउद्दीन खिलजी और महारानी पद्मावती को एक अंतरंग स्थिति में दिखाया गया है। महारानी पद्मिनी या पद्मावती, चित्तौड़ की एक सुप्रसिद्ध राजपूत रानी थीं। जिन्होंने स्वंय को अलाउद्दीन खिलजी द्वारा अपमानित किए जाने से बचाने के लिए और अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए खुद को आग के हवाले करते हुए जौहर कर लिया था। अलाउद्दीन खिलजी एक तुर्क शासक था जिसने एक युद्ध के दौरान चित्तौड़ के किले को अपने कब्जे में कर लिया था और चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह को मार डाला था।
यह फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा लिखित “पद्मावत” नामक महाकाव्य पर आधारित है, जो कि राजपूत रानी पद्मावती के दृढ़ विश्वास और उनकी वीरता को एक समृद्ध श्रद्धांजलि अर्पित करता है। राजस्थान में आज भी महारानी पद्मावती की एक देवी के रुप में पूजा की जाती है। राजपूतों का ये तर्क है कि चूंकि संजय लीला भंसाली कलात्मक स्वतंत्रता के नाम पर वास्तविक तथ्यों को बिगाड़ने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए वे महारानी पद्मावती की कहानी से संबंधित अपनी फिल्म पद्मावती को भी विकृत रुप प्रदान कर सकते हैं जो कि रानी पद्मावती और उनके वंश के लोगों लिए अपमानजनक साबित होगा। इस फिल्म का ट्रेलर जारी किए जाने के बाद से ही फिल्म को लेकर चारों ओर हंगामा शुरु हो गया और विभिन्न हिंदू समुदायों ने एक साथ मिलकर इस फिल्म के खिलाफ उच्च स्तर पर भंयकर विरोध प्रदर्शन करने प्रारम्भ कर दिए।
दीपिका पादुकोण, जो कि फिल्म पद्मावती में महारानी पद्मावती की भूमिका निभा रही हैं, उन्हें भी इसके लिए मौत की धमकियाँ दी गयीं। इस प्रकार दूसरों के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए एक महिला को मौत की धमकियाँ देना सरासर पाखंड है। जो कि ठीक तालिबानियों जैसा है। इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर पूरा बॉलीवुड एक एकल मजबूत इकाई के रूप में इसके विरोध में खड़ा हो गया, जिसकी रिलीज की तारीख अब एक अनिश्चित अवधि के लिए स्थगित कर दी गई है। हालांकि, अब बॉलीवुड की कथित एकता में पहली दरार दिखाई देने लगी है।
शबाना आजमी द्वारा दीपिका पादुकोण को दी गई मौत की धमकियों के खिलाफ दायर की गई एक याचिका पर अभिनेत्री कंगना राणावत ने हस्ताक्षर करने से साफ़ इन्कार कर दिया। हालांकि कंगना, दीपिका के समर्थन में हैं।
दीपिका पादुकोण को अपनी आने वाली फिल्म पद्मावती के लिए लगातार कई जानलेवा धमकियों का सामना करना पड़ा। जिस लिए बालीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी द्वारा एक याचिका दायर की गई, इसमें कई अन्य महिला कलाकारों द्वारा हस्ताक्षर किए गए और इस याचिका को कथित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दिया गया ताकि उनके द्वारा तत्काल कोई सख्त कार्रवाई की जा सके।
हालांकि, इससे संबंधित एक रिपोर्ट से यह पता चला है कि जब शबाना आजमी ने अभिनेत्री कंगना राणावत को इस पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए संपर्क किया तो उन्होंने इस पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। कंगना राणावत द्वारा हाल ही में दिए गए एक बयान ने इस विवाद को और अधिक हवा दी है।
अभिनेत्री की ओर से जारी एक बयान –
“मैं जोधपुर में “मणिकर्णिका” फिल्म की शूटिंग कर रही थी, तभी मुझे मेरी दोस्त अनुष्का शर्मा का फोन आया और उन्होंने मुझे शबाना आजमी द्वारा शुरु किए गए एक पिटीशन (याचिका) पर साइन करने को कहा, मैंने अनुष्का को समझाया कि दीपिका को मेरा पूरा समर्थन है, लेकिन मैं शबाना आजमी की लेफ्ट बनाम राइट की राजनीति में नहीं पड़ना चाहती।”
कंगना ने बयान में आगे कहा, “हमारे देश में फिलहाल जिस तरह का माहौल है उसे लेकर मेरे अपने विचार और राय हैं, जब मुझे धमकाया जा रहा था तब जिसने मेरा चरित्र हनन किया, आज उसी के नेतृत्व में ‘दीपिका बचाओ’ जैसे नारीवादी आंदोलन का हिस्सा होना मुझे उसके जैसा ही एक व्यक्ति बना देगा। अनुष्का समझ गई, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि वे मेरे पास आए, जैसा मैंने कहा, दीपिका को मेरा पूरा समर्थन है। मैं बिना किसी के समर्थन के अकेले ही उसका साथ देने में समर्थ हूँ, जिसका मैं साथ देना चाहती हूँ।”
कंगना ने यह भी कहा कि पद्मावती के खिलाफ विरोध गलत था। उन्होंने ये तक कह दिया कि ये विरोध पितृसत्तावादी प्रदर्शन है।
कंगना द्वारा उठाया गया यह कदम काफी सराहनीय है क्योंकि उन्होंने हमेशा की तरह इस बार भी अपने मन की बात मानी और शबाना आजमी की इस कट्टर वामपंथी राजनीति के दिखावे में शामिल हुए बिना दीपिका पादुकोण को अपना समर्थन दिया।
कंगना राणावत और शबाना आजमी से संबंधित विवाद से हमें एक महत्वपूर्ण सबक सीखने को मिलता है कि राजनीतिक रूप से प्रेरित लोग और जो स्पष्ट रुप से पक्षपात के लिए जाने जाते हैं, उन्हें गैर-राजनीतिक आंदोलन का नेतृत्व नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे इसे पूरी तरह से एक अलग दिशा में ले जाने का कार्य करते हैं। कंगना राणावत द्वारा शबाना आज़मी के दिखावे पर अपने ख़ास अंदाज में टिपण्णी करने के लिए उन्हें बधाई दी जानी चाहिए।