देश को हिलाकर रख देने वाली रेप की भयावह घटना पर कई बॉलीवुड सितारों ने अपनी सहानुभूति जताई थी। भावनात्मक अपीलों के साथ, अपने सोशल मीडिया पर हाथ से लिखा हुआ पोस्टर भी साझा किया। इस अभियान को मशहूर अभिनेत्री सोनम कपूर ने शुरू किया था, उन्होंने इस घटना पर अपनी शर्मिंदगी जाहिर करते हुए रेप पीड़िता के लिए न्याय की मांग की थी। इस अभियान से कुछ समय के लिए लगा था कि अब हमारे बॉलीवुड के बड़े सितारे देश से जुड़े मामलों के प्रति भी गंभीर हो गये हैं और सरकार पर इस तरह के मामलों के प्रति सख्त रवैया अपनाने के लिए दबाव बना रहे हैं। लेकिन फिर एक बयान सामने आता है,
“…ये अभी से नहीं बल्कि बाबा आदम के जमाने से चला आ रहा है और हर कोई लड़की का फायदा उठाने की कोशिश करता है…”
इस एक बयान से महिला सशक्तिकरण और न्याय की मांग करने वाले पीड़िता के प्रति बॉलीवुड की सहानुभूति का सच सामने आ गया। अगर आप सोच रहे हैं कि ये बयान बॉलीवुड का गंभीर मामलों के प्रति प्रतिक्रिया है जो इस तरह के जघन्य अपराध पर न्याय की मांग कर रहे हैं तो आप गलत हैं। एक बॉलीवुड सितारे ने कास्टिंग काउच पर बेतुका बयान दिया है जिस बॉलीवुड के सितारे ने ये बयान दिया है वो हैं निर्मला नागपाल (जो अब सरोज खान के नाम से मशहूर हैं) जोकि एक मशहूर कोरिओग्रफर हैं।
जी हाँ, वही सरोज खान जिन्होंने फिल्म तेजाब से “एक दो तीन’ और थानेदार फिल्म से तम्मा तम्मा और मशहूर फिल्म देवदास से ‘डोला रे डोला’ जैसे जोशीले गानों में डांस को कोरिओग्रफ किया था जो आज भी लोगों की पसंदीदा सूची में शामिल है। उन्होंने ऐसा बेतुका बयान दिया है।
कास्टिंग काउच पर अपने बयान में उन्होंने कहा,
“….इसमें कुछ नया नहीं है, ये बाबा आदम के जमाने से चला आ रहा है। हर कोई लड़की का फायदा उठाने की कोशिश करता है। सरकार भी यही करती है तो इसमें फिल्म इंडस्ट्री क्यों पीछे रहे?
कम से कम ये रोटी तो देता है। रेप करके छोड़ तो नहीं देता। ये सब लड़की के ऊपर होता है की वो चाहती क्या है। यदि वो किसी गलत के हाथो में नहीं आना चाहती तो न आये। यदि उसके पास कला है तो वो अपने आपको क्यों बेचेगी? फिल्म इंडस्ट्री का नाम न लें, ये हमारे लिए सब कुछ है…..”
सही सुना आपने, सरोज खान ने तय कर लिया है कि वो कास्टिंग काउच की भयानक अवधारणा को न्यायसंगत बनाएंगी, लेकिन कास्टिंग काउच है क्या? सरोज खान के बयान की मानें तो कास्टिंग काउच, बॉलीवुड में प्रवेश के लिए कास्टिंग क्रू, या निदेशक/निर्माता या किसी व्यक्ति को ये अधिकार देता है कि वो अभिनेता या अभिनेत्री को काम देने के नाम पर उनसे यौन सुख प्राप्त कर सकता है, जोकि यौन उत्पीड़न के बराबर है। वहीं, रणवीर सिंह, आयुष्मान खुराना और कंगना रानौत जैसे सितारे इस मामले पर खुलकर बात करते हुए अपने भयावह अनुभवों को साझा कर चुके हैं, हालांकि, अभी तक किसी ने भी किसी का नाम नहीं लिया था। अब सरोज खान के बयान पर गौर करें तो क्या उनके द्वारा कहे गये ये शब्द बलात्कार जैसे हिंसक अपराध से अलग हैं ? यदि नहीं, तो क्यों इस तरह के घटिया बयान पर किसी ने आक्रोश व्यक्त नहीं किया? क्या कठुआ रेप के बाद इस तरह का बयान आदर्श है? या कठुआ मामले के प्रति बॉलीवुड का आक्रोश मात्र लोगों का ध्यान अपनी ओर करने के लिए दिखावा था? हो भी सकता है, क्योंकि किसी ने भी सरोज खान के इस विवादित बयान पर टिप्पणी नहीं की और न ही उनकी सोच पर कोई सवाल किया।
https://twitter.com/ippatel/status/988657617642840064
सच कहूं तो सरोज खान के बयान ने कास्टिंग काउच से जुड़े एक ऐसे गहरे सच को सामने रखा है जिससे बॉलीवुड के कई दिग्गजों को बहुत लगाव है। उनके ‘शर्मनाक धर्म’ को बड़े ही शाही तरीके से सामने रखा है और सभी लोगों द्वारा इसका मजाक भी बनाया गया, वहीं, सरोज खान ने अपने बयान से इस विषय को और तूल दे दिया है।
आने वाले समय में यदि कोई बॉलीवुड की अंधेरी दुनिया से उठकर इस गंदी प्रचलित सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाता है तब शायद इस सिस्टम के खिलाफ कड़े कदम उठाये जा सकेंगे। फिलहाल, कास्टिंग काउच के खिलाफ हम कुछ कर तो नहीं सकते लेकिन इस तरह के दृष्टिकोण के प्रति शर्मिंदगी जरुर जाहिर कर सकते हैं। वहीं, देश में जब रेप के खिलाफ आक्रोशित माहौल तब इस तरह के बयान देने से पहले सरोज खान को शर्म आनी चाहिए।