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5 गैर-भाजपाई नेता जिन्होंने इस साल किया हमें गर्वान्वित, पटनायक हैं शीर्ष पर

Mahima Pandey द्वारा Mahima Pandey
15 August 2018
in मत
नवीन कमलनाथ अमरिंदर
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मोदी सरकार के कैबिनेट के मंत्रियों और अन्य भाजपा नेताओं के बारे में हमने आपको पहले भी बताया है जिन्होंने बतौर मंत्री या एमपी या एमएलए बेहतरीन प्रदर्शन किया है लेकिन कुछ ऐसे भी गैर बीजेपी नेता हैं जिनका प्रदर्शन शानदार रहा है। राजनीति के वो चेहरे जिन्होंने अपने स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जिन्होंने देश और जनता को अपने स्वार्थ से ऊपर रखा है। आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राईटलॉग ने 5 बेहतरीन गैर बीजेपी नेताओं की एक सूची तैयार की है, जिन्होंने इस साल कुछ ऐसा किया है जो हर भारतवासी के दिल छू के गया है।

१.) नवीन पटनायक

नवीन कमलनाथ अमरिंदर

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नवीन पटनायक भारत के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं ओड़िशा के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं और लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री भी हैं। लगातार राजनीति में सक्रिय रहने के बाद भी नवीन पटनायक की लोकप्रियता बढ़ती ही रही है और ओडिशा की जनता उन्हें बार-बार अपना मुख्यमंत्री चुनती रही है। हाल ही में उन्होंने बहुप्रतीक्षित गुरुप्रिया पुल का लोकार्पण किया था। ये पुल काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि नवीन पटनायक के प्रयासों का ही नतीजा है कि इस पुल से 50 साल बाद मलकानगिरि के चित्रकोंडा वन क्षेत्र के 151 गांव के लोग मुख्य धारा से जुड़ सकें हैं। गांव वालों के चेहरे पर 50 साल बाद मुस्कराहट लौटी। दरअसल, बलिमेला रिजर्वायर के जलभराव के कारण ये क्षेत्र मुख्यधारा से अलग हो गया था औरशिक्षा, चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो गया था, लेकिन अब वो मुश्किल का दौर खत्म हो गया है।

२.) अमरिंदर सिंह

नवीन कमलनाथ अमरिंदर

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं तो कांग्रेस पार्टी से परन्तु कट्टर राष्ट्रवादी नेता हैं, उन्होंने राज्य में खालिस्तान की मांग की हमेशा आलोचना की है और इसके खिलाफ हमेशा ही उनका रुख मुखर रहा है। जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पंजाब दौरे पर आये थे तब अमरिंदर सिंह ने उनसे हुई बातचीत का दौरान खालिस्तान के मुद्दे को उठाया था। क्योंकि कनाडा सहित कई देशों से इनके लिए पैसा आता है। अमरिंदर सिंह ने पहले भी कई बार इस मुद्दे को उठाया है और पहले ही कह चुके हैं कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक नेताओं को शह मिलती है। गौरतलब हो की ट्रुडो अमरिंदर सिंह से शुरुआत में कन्नी कटा रहे थे लेकिन प्रधान मंत्री मोदी के द्वारा दिए गए ‘ कोल्ड शोल्डर’ बाद लाइन पर आ गए थे!

इसके अलावा पंजाब में नशे की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता को जाहिर किया है। उन्होंने राज्य में फैली ड्रग्स की महामारी को रोकने के लिए एक नया आदेश जारी किया। इस आदेश के मुताबिक राज्य में पुलिसकर्मियों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए डोप टेस्ट को अनिवार्य होगा। उनके ये प्रयास राज्य के लिए सराहनीय हैं।

३.) द्विपन पाठक

नवीन कमलनाथ अमरिंदर

असम में तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष द्विपन पाठक पार्टी से ऊपर देश की सुरक्षा को रखते हुए अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने असम में जारी एनआरसी के अंतिम मसौदे के जारी होने के बाद इसकी खूब आलोचना की और देश की सुरक्षा को ताक पर रखते हुए अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के पक्ष में मुखर रहीं। इस तथ्य से ममता बनर्जी भी अनजान नहीं कई अवैध अप्रवासी आतंकी संगठन से मिले हैं और इसका खुलासा कई बार ख़ुफ़िया एजेंसियों ने किया है। ममता बनर्जी के रुख को देखते हुए असम में तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष द्विपन पाठक ने पार्टी से इस्तीफा दिया और ममता के रुख के लिए उनकी आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि “ममता एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर असम के लोगों को गुमराह कर रही हैं। उन्होंने असम के लोगों के हित के बारे में कभी सोचा ही नहीं।” पाठक ने इससे ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की नीति को सामने रखा और खुद इस नीति में शामिल न होकर अपने कर्तव्य का पालन किया।

४.) ई के पलानीस्वामी

नवीन कमलनाथ अमरिंदर

विदेशी वित्त पोषित एनजीओ और पर्यावरणविद भारत के विकास के पक्ष में कभी नहीं रहे हैं। बड़ी एमएनसी और अन्य समूह इन गैर सरकारी संगठनों और पर्यावरणविदों को भारत में विकास परियोजनाओं को रोकने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फंड देते हैं। ये विकास विरोधी बल देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय है और लाखों करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं को रोकने के लिए काम कर रही है वो योजनाएं रोकने का प्रयास जिनसे गरीबों का जीवन बेहतर बनेगा। स्टरलाइट विरोध के दौरान ये गैर सरकारी संगठन पूरी तरह से उजागर हुए थे। इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने इस तरह के संगठनों पर शिकंजा कसने के लिए काम शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई एक्सप्रेसवे परियोजना का विरोध करने वालों के खिलाफ ठोस कदम उठाया था। उन्होंने कहा था कि, “चेन्नई एक्सप्रेसवे परियोजना किसी भी व्यक्ति के लाभ के लिए नहीं बल्कि तमिलनाडु के समग्र विकास के लिए है।” उन्होंने विकास कार्यों को सुचारू रूप से आगे बढाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। तमिलनाडु पुलिस ने गांव में हिंसा की आग को बढ़ाने के लिए गये पर्यावरणीय कार्यकर्ता पियुष मनुष और अभिनेता मंसूर अली खान को गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान खान ने उत्तेजक भाषण भी दिया था और कहा था कि अगर सरकार ने चेन्नई एक्सप्रेसवे परियोजना को नहीं रोका तो परिणाम बुरे होंगे यहाँ तक कि वो किसी भी अधिकारी को मारने में भी संकोच नहीं करेंगे। फिर भी इन भभकियों से न डरते हुए तमिलनाडु के सीएम ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया और राज्य के लिए विकास कार्यों को जारी रखा।

५.)  कमलनाथ

नवीन कमलनाथ अमरिंदर

टीडीपी द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन न करते हुए मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा में हिस्सा नहीं लिया, कमलनाथ ने कहा भी कि “मेरे लिए अविश्‍वास प्रस्‍ताव प्राथमिकता नहीं है।” कमलनाथ ने कहा था कि “मैंने पिछले 38 साल में बहुत सारे अविश्‍वास प्रस्‍ताव देखे हैं। मुझे इसका पूरा अनुभव है।” उन्हें अविश्वास प्रस्ताव के नतीजों के बारे में पता था यही वजह थी कि कमलनाथ ने अविश्वास प्रस्ताव में हिस्सा नहीं लिया और संसद के कार्यों में बाधा न बनने की जगह मध्य प्रदेश राज्य में पंचायती राज सम्‍मेलन को पहली प्राथमिकता दी।

ऐसे ही कई गैर-बीजेपी नेता हैं जिन्होंने हित की राजनीति से परे अपने राज्यों के विकास और अपने कर्तव्य को पहली प्राथमिकता दी। देश के विकास के लिए देश का हर राज्य हर कोना विकसित होना चाहिए।

Tags: अमरिंदर सिंहकांग्रेसनवीन पटनायकबीजेपीस्वतंत्रता दिवस
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