अपनी एजेंडावादी पत्रकारिता कर वामपंथी गुट की आंखों का तारा बन चुके पत्रकार राजदीप सरदेसाई अपनी निम्न स्तर की पत्रकारिता की वजह से अक्सर चर्चा में रहते हैं। कई बार तो वो पक्षपाती पत्रकारिता के लिए शर्मिंदगी का सामना भी कर चुके हैं। फिर भी वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। और तो और बड़े ही शर्मनाक तरीके से वो अन्य पत्रकारों को ये सिखाने की कोशिश करते हैं कि उन्हें किस तरह के सवाल भाजपा से खासकर पीएम मोदी से पूछने चाहिए। खैर, हर मोदी विरोधी को गले लगाने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई से उम्मीद भी यही थी। अब इनकी दोहरी पत्रकारिता पर इनके संस्थान के सहयोगी पत्रकार भी सवाल उठाने लगे हैं लेकिन इसपर बात करने से पहले उनकी एक रीसेंट कवरेज पर नजर डाल लेते हैं। 19 मई को यानि की आज पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लोकसभा चुनाव शुरू हो गये हैं लेकिन इससे पहले राजदीप सरदेसाई पहुंच गये वाराणसी। खुद को निष्पक्ष कहने वाले राजदीप सरदेसाई जैसे पत्रकार अपना कैमरा लेकर एजेंडा चलाने वाराणसी पहुंच गये लेकिन उनका ये दांव उन्हीं पर भारी पड़ गया। दरअसल, उन्हें हर सवाल का जवाब जनता से मिला लेकिन एक सवाल जब जनता ने पूछा उनका चेहरा लाल पड़ गया।
अब लोकसभा चरण का आखिरी मतदान है और वाराणसी भी उन शहरों में से एक है जहां मतदान हो रहे हैं तो राजदीप सरदेसाई अपना एजेंडा साधने से कैसे पीछे रहते। हालांकि, जब वाराणसी पहुंचे होंगे तो उन्हें पहले की तुलना में बदलाव भी नजर आया होगा लेकिन फिर भी वो आम जनता से मोदी ने क्या किया है, कहा है विकास, बताइए।। जैसे सवाल किये।
दरअसल, जैसे ही चुनाव प्रचार की रफ़्तार वाराणसी में थमी वो चाय पर चर्चा के नाम पर आम जनता के बीच पहुंचे और सीधे सवाल करते हैं कि क्या ये सही है कि आपने इसे बीजेपी का गढ़ बना दिया है.. तो उन्हें जवाब मिलता है ये पत्रकारों, साहित्यों शिक्षकों समेत सभी का गढ़ है। इसके बाद वो सवाल करते हैं कि गुजरात से पीएम मोदी यहां आये साल 2014 में और एक बार फिर से वो यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। क्या आप बता सकते हैं अब तक क्या बदलाव आये हैं? पॉजिटिव भी नेगेटिव भी दोनों बताइए इसपर चाय पर चर्चा पर बैठे एक शख्स ने कहा, आप साल 2014 में भी यहां आये होंगे..आपको तब और आज में काफी बदलाव नजर आया होगा। यहां सडक से लेकर घर तक बदलाव हुआ है। आज वाराणसी के सोच में बदलाव हुआ है। उनके हर सवाल पर उन्हें तगड़ा जवाब मिला लेकिन वो राजदीप कहां मानने वाले थे वो बार बार पीएम मोदी के खिलाफ कुछ सुनने की उत्सुकता में अब मार्केटिंग से काशी को जोड़ दिया और पूछा कि अब मारकेटिंग से ज्यादा काशी को काम की जरूरत है इसपर एक शख्स ने कहा, ‘अभी आपने कहा कि ये कांग्रेस का कभी गढ़ हुआ करता है। जरा आप कांग्रेस के समय के एक कार्य को गिना दीजिये…आप तो सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं..। मैं आपको गिनवा दूंगा कैंसर हॉस्पिटल यहां बना, मडुवाडीह बना, गंगा पहले से साफ़ हो चुकी है..सारनाथ से लंका तक रोड बन गयी। एक पूल 17 सालों से बन रहा था जो योगी के शासनकाल में पूरा हुआ। आपका सवाल तो यही हुआ कि सचिन ने 100 सेंचुरी मारी लेकिन आप कह रहे हैं और उन्होंने किया क्या है..? अब इससे राजदीप की बोलती बंद हो गयी तो उन्होंने मुद्दे को ही घुमा दिए ..और हिंदू राष्ट्रवाद, नोटबंदी पर घुमा दिया लेकिन इसपर भी उन्हें करारा जवाब दिया। वो फिर भी ऐसे व्यक्ति की तलाश में निकले कि कोई तो मोदी विरोधी मिले लेकिन अफ़सोस उन्हें ऐसा कोई नहीं मिला..तब उन्होंने इसे भी इलेक्शन कैंपेन का नाम दे दिया। धर्म जाति तो उनके इस कवरेज में और बांटने का काम शुरू कर दिया।
वैसे राजदीप सरदेसाई के मन में भरे पीएम मोदी के प्रति भरी नफरत ही है जो वरिष्ठ पत्रकार अंजना ओम कश्यप को ये सुझाव देते हैं कि उन्हें किस तरह के सवाल पीएम मोदी और भाजपा से पूछने चाहिए.. आप खुद देखिये ..इस ट्वीट को:
RT iAnkurSingh: Rajdeep Sardesai giving lectures on how to ask questions to anjanaomkashyap.
I agree, Anjana shld learn taking interviews from sardesairajdeep, like the tough questions he asked from Sonia Gandhi. pic.twitter.com/YzD6CfpY4Q
— Ranjitsinh Chudasama (@bk_chudasama) May 18, 2019
लेकिन वो खुद यूपीए की चेयरपरसन से सास-बहु वाले सवाल पूछते हुए नजर आये जिसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल भी किया गया था।
एक पत्रकार हैं। ऑन एअर सवाल पूछने का कोचिंग सेंटर खोल लिया है। एक बार मशहूर इंटरव्यू में सास बहू से आगे वो सवाल पूछ नहीं पाए। सबको सर्टिफ़िकेट देना इनका काम है। दरवाज़े के बाहर खड़े होने की छटपटाहट !
— Anjana Om Kashyap (@anjanaomkashyap) May 18, 2019
अब उनकी सहयोगी वरिष्ठ पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने ही राजदीप सरदेसाई की कथित ‘निष्पक्ष’ पत्रकारिता पर सवाल उठा दिए हैं और राजदीप पर हमला करते हुए कहा कि “एक पत्रकार हैं। ऑन एअर सवाल पूछने का कोचिंग सेंटर खोल लिया है। एक बार मशहूर इंटरव्यू में सास बहू से आगे वो सवाल पूछ नहीं पाए। सबको सर्टिफ़िकेट देना इनका काम है। दरवाज़े के बाहर खड़े होने की छटपटाहट !” अंजना ने राजदीप सरदेसाई की उसी सास-बहु वाले सवाल को लेकर उनपर निशाना साधा और उनकी पत्रकारिता की पोल खोल दी।
News Today: Rahul Gandhi running away to contest in a seat where the majority is a minority says PM Modi: are we back to Hindu-Muslim election rhetoric? Who benefits from polarised politics? That’s the main debate on @IndiaToday at 9 pm
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 1, 2019
कई मौकों पर राजदीप सरदेसाई की पत्रकारिता में दोहरे मापदंड हमें साफ नज़र आते हैं। एक तरफ तो वे भाजपा के नेताओं के बयानों को तोड़-मरोड़ कर उनमें अपना एंगल डालने की कोशिश करते हैं तो वहीं कांग्रेस के नेताओं के खुलेआम सांप्रदायिक बयानों पर वे लगातार चुप्पी साधे रहते हैं। पत्रकारिता का ऐसा निम्न स्तर अति निंदनीय है और किसी भी लोकतंत्र के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है।