दुनिया के किसी भी कोने में किसी प्रकार का आतंकी घटना घटे, तार पाकिस्तान से ही जुड़ा पाया जाता है। यूरोप हो, अमेरिका हो, मध्य एशिया हो या अफ्रीका, भारत हो या श्रीलंका कोने कोने से आतंकी वारदात होने के खबरें आती हैं। इन वारदातों का घूम-फिर कर पाकिस्तान से ही कनेक्शन निकल आता है।
अभी हाल ही की एक घटना में लंदन ब्रिज पर एक आतंकी ने हमला कर 2 लोगों की हत्या कर डाला। दो लोगों की हत्या के साथ तीन अन्य को जख्मी करने वाले आतंकी की पहचान उस्मान खान (28) के रूप में की गई है। उसका किशोरावस्था पाकिस्तान में बीता था। हालांकि, उसका परिवार मूल रूप से गुलाम कश्मीर का रहने वाला है। गुलाम कश्मीर में उसने अपनी जमीन पर आतंकी प्रशिक्षण शिविर बना रखा था। लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर बम हमले की साजिश में उसे सात साल की सजा सुनाई गई थी। वह पिछले साल दिसंबर में पैरोल पर जेल से निकला था। वह ब्रिटिश संसद पर मुंबई जैसा हमला करना चाहता था।
इससे पहले लंदन ब्रिज पर ही जून, 2017 में तीन आतंकियों ने बड़ी आतंकी घटना को अंजाम दिया था। उन्होंने फुटपाथ पर पैदल चल रहे लोगों पर एक वैन चढ़ाने के बाद आसपास मौजूद लोगों पर चाकू से हमला कर दिया था। इस घटना में 11 लोग मारे गए थे। इस हमले का आरोपी खुरम शाज़द बट पाकिस्तान में जन्मा ब्रिटिश नागरिक था, जिसका परिवार झेलम से आया था।
एक वर्ष पहले ईरान के चाबहार पोर्ट पर हमला हुआ था। इस हमले का मुख्य आरोपी अंसार अल-फ़रघन, का संबंध जैश-ए-मोहम्मद से होने का संदेह था जिसमें दो पुलिसकर्मी मारे गए और लगभग 30 घायल हो गए थे।
यही एक घटना नहीं है जिसके तार पाकिस्तान से जुड़े थे। भारत में होने वाले लगभग सभी हमलों में पाकिस्तान का ही हाथ होता है। चाहे वो मुंबई हमला हो या उरी हमला हो, फिर पुलवामा में ही बम विस्फोट हो। पाकिस्तान आतंकवाद की फैक्ट्री बन चुका है। अगर हम पाकिस्तान के आतंकी संगठनों द्वारा किए गए हमलों को गिनने बैठ जाएं तो सुबह से शाम हो जाएगी लेकिन लिस्ट समाप्त नहीं होगी। पाकिस्तान भारत से तो मुस्लिमों के लिए एक अलग देश के रूप में अलग हुआ था लेकिन आज यह देश बचा ही नहीं बल्कि एक आतंकी सोच बन कर रह गया है। यह देश FATF की ब्लैक लिस्ट में जाने से बच गया इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है और यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान आधिकारिक तौर से आतंकवाद का समर्थन करता है।
पाकिस्तान ने भारत को कमजोर करने के लिए छद्म आतंकवादियों का इस्तेमाल किया। कश्मीर में भारत के खिलाफ लड़ने के लिए लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी)और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी संगठन पाकिस्तान सरकार के पसंदीदा हथियार रहे हैं। कश्मीर को भारत के नियंत्रण से छीनने का LeT का एजेंडा और पाकिस्तान के साथ उसका हाथ मिलाना, वहां की सरकार के अपने सामरिक हितों के अनुरूप था और उसने इस गुट को कई बरसों से व्यापक वित्तीय, लॉजिस्टिकल तथा सैन्य सहायता उपलब्ध करायी है। इस तरह की आतंकी हरकतों से हथियारों की दौड़ को बढ़ावा मिलता है।
इससे पाकिस्तान को मजबूरन अपनी आर्थिक क्षमता से बाहर जाकर परंपरागत हथियारों का जखीरा बढ़ाने तथा परमाणु हथियारों पर संसाधन खर्च करने पड़ते हैं। इससे उसकी अर्थव्यवस्था, जो विदेशी कर्ज के बोझ तले दबी है और जहां नागरिकों के पास आम सुविधाएं नहीं हैं, और अधिक गहरे कर्ज के दुष्चक्र में फंस चुकी है।
अंतत: अगर किसी देश का नुकसान होगा तो वह पाकिस्तान को ही होगा क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय दबाव पड़ते ही ये आतंकवादी समूह पाकिस्तान को निशाना बना सकते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान स्वयं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी कबूल कर चुके हैं कि उनके देश में अभी भी 30,000 से 40,000 आतंकवादी मौजूद हैं, जिन्हें अफगानिस्तान और कश्मीर के हिस्सों में ट्रेनिंग दी गई। एक अलग कार्यक्रम में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनके यहां 40 अलग-अलग आतंकवादी समूह हैं जो उनकी ही सीमा के भीतर काम कर रहे हैं।
पाकिस्तान दुनिया में अब एक नासूर बन चुका है जहां से आतंकवादी नाम की महामारी फैल रही है। अगर इसे काबू नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब यह आतंकी सोच चांद और मंगल ग्रह पर भी विस्फोट करने का प्लान बनना शुरू कर वहां भी शरीया कानून लगाना चाहेगा। इससे निपटने के लिए अगर विश्व के नेता एक साथ नहीं आए तो यह विश्व को एक युद्ध के उस मुहाने पर ले जाएगा जहां से लौटना मुश्किल होगा और इस हंसते-खेलते दुनिया में मानवता का नामो-निशान नहीं रह जाएगा।