कोरोना ने दुनिया के लगभग सभी देशों में अपने पाँव पसार रखे हैं। इसी वजह से सभी देशों के बीच हवाई सेवा भी बंद है, लेकिन इस लॉकडाउन का भी उपयोग भारत अपने फायदे के लिए कर रहा है और कई छोटे बड़े राष्ट्रों से अपने राजनयिक रिश्ते बढ़ा रहा है। भारत के इस कूटनीति का नेतृत्व स्वयं विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे हैं।
कोरोना जैसी महामारी में भारत ने 100 से अधिक देशों को कई प्रकार से मदद की है, किसी को मेडिकल स्टाफ भेजकर, तो किसी को HCQ दवा भेज कर। इस लॉकडाउन में भारत ने कई देशों के साथ अपनी बातचीत कि विभिन्न प्रकार से आगे बढ़ाया है, चाहे वो कैरेबियन, प्रशांत महासागर क्षेत्र के द्वीप देश हो या फिर अफ्रीकी द्वीप देश।
पूरा देश कोरोना से लड़ने में व्यस्त है लेकिन देश के विदेश मंत्री और पूर्व राजनयिक जयशंकर चुप चाप अपनी चाले चल रहे हैं और भारत को बड़े और छोटे दोनों प्रकार से राष्ट्रों के बीच एक शक्ति का केंद्र बनाने में लगे हैं।
छोटे देशों को अपने पाले में करने की रणनीति में उन्होंने ग्रेनाडा के विदेश मंत्रियों के साथ-साथ St. Vincent and the Grenadines – दो छोटे कैरेबियाई द्वीप देशों के मंत्रियों के साथ बातचीत की, जो परंपरागत रूप से भारत के मित्र राष्ट्र में नहीं हैं।
लेकिन यही पर एस जयशंकर बाकी विदेश मंत्रियों से अलग हैं और वे नई दिल्ली को COVID-19 संकट के दौरान अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अधिक नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन देशों को महामारी के समय में स्वास्थ्य सहयोग का वादा कर रहा है जिससे इन देशों का भारत को समर्थन मिलेगा। यही नहीं उन्होंने कैरेबियन कम्युनिटी (CARICOM) के लिए उन्होंने सेंट लूसिया के अपने समकक्ष के साथ भी बातचीत की।
Such a strong sentiment of friendship and solidarity.
Great to talk with FM Louis Straker of St. Vincent and the Grenadines. India will support more community development projects. Friends must help each other in economic recovery.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 30, 2020
Caught up with good friend FM Peter David of #Grenada. Glad to learn that their #coronavirus response has been effective. Our conversation covered health cooperation and development partnership.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 29, 2020
Discussed with FM Sarah Flood-Beaubrun of #StLucia our engagement with the #CARICOM. India will be a reliable partner on medicines. Agreed that in the post #corona situation, we need to focus on recovery challenges. CARICOM has an important place in India's foreign policy.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) May 1, 2020
उन्होंने प्रशांत महासागर के क्षेत्र में भी अपने कूटनीतिक चालों से संकट को एक अवसर में बदल दिया। विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि , “वर्चुअल कूटनीति को अगले स्तर पर ले जाना है। क्षेत्रीय समीक्षाओं की शुरू कर दी गयी है। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, पापुआ और न्यू गिनी और प्रशांत द्वीप देशों में हमारे उच्चायुक्त और राजदूतों के साथ वीडियो समीट किया।”
Taking virtual diplomacy to the next level.
Began the first of a series of regional reviews. A good video conference with our High Commissioners and Ambassadors in Australia, New Zealand, Fiji, Papua & New Guinea and the Pacific Island countries. pic.twitter.com/EqdaWcJfyK
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 30, 2020
इसके अलावा जब बात इंडो-अफ्रीका संबंधो को नई उचाईओं पर ले जाना हो तो उन्होंने इसके लिए पूरा एक दिन लगाया और ट्वीट किया कि आज अफ्रीका केन्द्रित दिन था। इस दौरान उन्होंने बुर्किना फासो, कोमोरोस, युगांडा और माली के विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत की।
यानि देखा जाए तो पृथ्वी का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो जयशंकर की आंखो से बचा हो। सुपर शक्तियों के साथ अपने संबद्धों को मजबूत करने के चक्कर में भारत ने किसी भी छोटे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश को अपने पाले में करने से नहीं चुका। यही कारण है कि जयशंकर ने कोमोरोस विदेश मंत्री के साथ बातचीत की, क्योंकि वेनिला द्वीप के इस देश की रणनीतिक स्थिति काफी महत्वपूर्ण है और यह उस क्षेत्र में चीन के ऊपर बढ़त लेने में मददगार हो सकता है।
A SAGAR friendship reaffirmed. Wonderful talking to FM Mohamed El Amine Souef of #Comoros. Our health cooperation and development partnership will surely grow further.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 25, 2020
अपने कूटनीति को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने मध्य अमेरिका में पनामा के विदेश मंत्री के साथ बातचीत की, और खाड़ी में भी उन्होंने ओमान में अपने समकक्ष को मदद का आश्वासन दिया। बता दें कि ओमान एक ऐसा देश है जहां भारत की रणनीतिक बंदरगाह स्थापित करने की योजना बना रहा है।
Pleasure to talk to FM @aferrerl of #Panama.Complimntd him on the decisive&effective response of his govt to #coronavirus.Our medical shipmnts wl be arrvng shortly.Appreciatd tht Panama wants to mk India 1 of its priority partners.Thankd him fr taking care of the Indian community
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 28, 2020
Very pleased to speak with FM Yusuf Alawi. Appreciated #Oman’s taking care of the Indian community there. As trusted partners, assured him of India’s support in the collective fight against #coronavirus.
— Dr. S. Jaishankar (Modi Ka Parivar) (@DrSJaishankar) April 23, 2020
एस जयशंकर एक पेशेवर राजनयिक हैं और इस संकट के दौरान वह उसी निपुणता के साथ काम कर रहे हैं। उन्हें किसी राजनेता की तरह काम नहीं करना जो सिर्फ अपने PR के लिए दिखावा करता है।
उनकी रणनीति स्पष्ट है- बड़ी शक्तियों के साथ मजबूत संबंध बनाना, लेकिन रणनीतिक महत्व वाले छोटे देशों विशेष रूप से द्वीप देशों पर से भारत का पकड़ नहीं खोना। जयशंकर के नेतृत्व में भारत ने दुनिया के सभी हिस्सों में स्थित छोटे देशों को अपनी ओर आकर्षित कर चुका है। यही एक व्यापक विदेश नीति की पहचान है।
यह उन्हें पता है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में किसी प्रस्ताव पर मतदान दिन छोटे प्रतीत होने वाले देश अचानक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। जब मतदान एक देश, एक वोट के सिद्धांत पर होता है, तो ऐसे सभी देश अचानक अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
ऐसे समय में जब पाकिस्तान और उसका सहयोगी चीन संयुक्त राष्ट्र में भारत की सभी आकांक्षाओं पर पानी फेरने की इक्छा रखता हो तब इन देशों महत्व नई दिल्ली के लिए बढ़ जाता है। आज की गयी मदद कल जरूर काम आएगी।
वैश्विक क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव के साथ, भारत को दुनिया भर में अपने पदचिह्न का विस्तार भी करना होगा, चाहे वो कैसे भी हो। रणनीतिक स्थानों पर सैन्य अड्डे स्थापित करना हो या रणनीतिक जलमार्गों में किसी द्वीप को अपने पाले कर अपने हितों को सुरक्षित करना, भारत को सभी विकल्प खुले रहना होगा।
अभी तक देखा जाए तो विदेश मंत्री के तौर पर एस जयशंकर ने बेहतरीन काम किया है और उन्होंने बड़े और छोटे देशों के साथ बातचीत कर यह सुनिश्चित किया है कि भारत दुनिया भर में आर्थिक और सामरिक संबंधों को सुरक्षित करें। वास्तव में जयशंकर एक प्रोफेशनल की तरह वैश्विक राजनीति में भारत को मजबूत बना रहे हैं, बिना किसी राजनीतिक फेम की लालच किए.