देश की मीडिया और मनोरंजन उद्योग इस समय बहुत बड़ी मुसीबत में है। वुहान वायरस के कारण 1.7 लाख करोड़ रुपए मूल्य के इस उद्योग को काफी नुकसान हुआ है, विशेषकर उन प्रवासी मजदूरों को, जो इस उद्योग के साथ जुड़े हुए हैं। विश्वभर में लागू लॉकडाउन के कारण मॉल और सिनेमाघर बंद पड़े हैं, और जिस तरह का सरकारों का रवैया है, यह हॉल अगले कई महीनों तक बंद हो सकते हैं। इस कारण कई बड़े बजट फिल्म जैसे लाल सिंह चड्ढा, तख्त, राधे, सूर्यवंशी इत्यादि अधर में लटके हैं, और कुछ फिल्में तो ऑनलाइन रिलीज़ पर भी विचार कर रहे हैं। वर्तमान परिस्थतियों पर ध्यान दें, तो निस्संदेह बॉलीवुड फिल्म उद्योग को 2 से 3 तीन हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने वाला है।
प्रतिवर्ष भारत में लगभग 1000 फिल्मों का निर्माण होता है, जिसमें से 365 से अधिक फिल्मों तो केवल बॉलीवुड से निकलती हैं। अभी अप्रैल के सूची के अनुसार देखें तो 84 फिल्में अधर में लटकी हुई हैं, और यदि लॉकडाउन ऐसे ही बढ़ता रहा, तो और कई फिल्में इस सूची में शामिल होंगे।
प्रसिद्ध ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के अनुसार, “ जब यह महामारी शुरू हुई थी, तभी हमने 600 से 900 करोड़ रुपए के नुकसान की भविष्यवाणी की थी, पर अब ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह आंकड़ा कहां तक जाएगा। फिल्मकार यह नोटिस दे रहे हैं कि रिलीज़ को स्थगित किया जा रहा है, परन्तु यहां कोई अंदाज़ा नहीं है कि कब तक ऐसा होगा। यह जून तक भी चल सकता है, जुलाई तक भी चल सकता है, और अगस्त तक भी”।
आज अमेरिका हो या यूएई, यूके हो या फिर ऑस्ट्रेलिया, ये सब किसी भी बॉलीवुड फिल्म के 30-40 प्रतिशत कलेक्शन में अपना योगदान देते हैं। अब इनके बंद रहने से बॉलीवुड को अच्छा खासा नुकसान होने वाला है।
फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर अक्षय राठी का कहना है, “बड़े दुख की बात है कि हमने ग्रीष्म ऋतु के अवकाश का समय खो दिया, जो केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि विश्व भर में बड़ा महत्वपूर्ण समय माना जाता है। बड़ी फिल्में ओवरसीज मार्केट्स से भी अच्छा खासा पैसा कमाती है, और जिस तरह का माहौल है, मुझे नहीं लगता कि ये फिल्में तब तक बाहर आएंगी जब तक ग्लोबल बाज़ार नहीं खुलते, क्योंकि फिल्मकार उस क्षेत्र में समझौता नहीं करेंगे”।
इस लॉकडाउन के कारण फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर से लेकर सिनेमा हॉल ओनर, म्यूजिक डिस्ट्रीब्यूटर और मीडिया एवम् मनोरंजन उद्योग से जुड़े कई लोगों को निजी तौर पर बहुत नुकसान हुआ है। दिहाड़ी मजदूरों को इस समय सबसे ज्यादा समस्या हो रही है, क्योंकि उनके पास बड़े बड़े सितारों की भांति लाखों की जमा पूंजी तो है नहीं। इसी परिप्रेक्ष्य में प्रोड्यूसर्स गिल्ड से लेकर कई बड़े सितारों ने इन दिहाड़ी मजदूरों को वित्तीय सहायता और राशन पानी की व्यवस्था की है।
पिछले कुछ वर्षों में हॉलीवुड फिल्मों के प्रदर्शन से जुड़े कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स ने बहुत पैसा कमाया है। हालांकि मीडिया एवम् मनोरंजन उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा हिस्सा नहीं रखती है, परन्तु ये भारत के सॉफ्ट पॉवर का हिस्सा अवश्य है। इसको जितना नुकसान होगा, उससे भारत को भी काफी हद तक नुकसान होगा, जिसकी भरपाई करना बहुत मुश्किल है।