भारत और ऑस्ट्रेलिया ने हाल ही में Mutual Logistics Support Agreement यानि MLSA पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के बाद भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं को एक दूसरे के military bases इस्तेमाल करने की छूट मिल गयी थी। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच भारत के अंडमान और निकोबार द्वीपों और ऑस्ट्रेलिया के कोकोस द्वीपों को लेकर भी समझौता होने की खबरें सामने आई थीं। अब अगर उन समझौतों को आज के भारत-चीन विवाद के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो समझ में आता है कि कैसे भारत अब ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर हिन्द महासागर में पूर्णतः Naval blockade को अंजाम दे सकता है, जिससे चीन की अर्थव्यवस्था को ऐसा करारा झटका पहुंचेगा, कि वह आने वाले कई सालों तक उससे उबर नहीं पाएगा।
दरअसल, चीन अपने व्यापार के एक बड़े हिस्से के लिए केवल और केवल हिन्द महासागर पर निर्भर है। हिन्द महासागर में पूर्व की ओर दो बड़े ट्रेडिंग रूट्स हैं। एक है मलक्का स्ट्रेट और एक है स्ट्रेट ऑफ सुंडा! इनमें से मलक्का स्ट्रेट तो दुनिया के सबसे व्यस्त ट्रेडिंग रूट्स में गिना जाता है, जिसके माध्यम से विश्व का कुल 25 प्रतिशत समुंद्री व्यापार किया जाता है। मलक्का स्ट्रेट से चीन भी बड़े पैमाने पर व्यापार करता है। चीन समुन्द्र के रास्ते अपना करीब 70 प्रतिशत व्यापार करता है, और उसका एक बड़ा हिस्सा मलक्का स्ट्रेट से होकर गुजरता है। इसी के साथ चीन के कुल कच्चे तेल आयात का करीब 85 प्रतिशत हिस्सा मलक्का स्ट्रेट से होकर ही गुजरता है।
ऐसे में अगर भारत चाहे तो अपनी नेवी का इस्तेमाल कर आसानी से मलक्का स्ट्रेट को ब्लॉक कर सकता है, जिसका सीधा असर चीन पर पड़ेगा क्योंकि उसके कुल व्यापार का बड़ा हिस्सा ब्लॉक हो जाएगा। इसमें तेल भी शामिल होगा जो युद्ध के समय किसी भी देश की सबसे बड़ी जरूरत होता है। हालांकि, ऐसी स्थिति में चीन स्ट्रेट ऑफ सुंडा का इस्तेमाल करना चाहेगा। स्ट्रेट ऑफ सुंडा मलक्का स्ट्रेट के दक्षिण-पूर्व में Indonesia के जावा और सुमात्रा द्वीपों के बीच में पड़ती है।
हालांकि, अब भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ कोकोस द्वीपों के इस्तेमाल को लेकर भी समझौता कर लिया है। कोकोस द्वीप पर ऑस्ट्रेलिया के military bases हैं, जिसकी सहायता से भारत की वायुसेना और नेवी आसानी से स्ट्रेट ऑफ सुंडा को भी ब्लॉक कर सकती है। यानि चीन का यह विकल्प भी अब बंद हो गया है। वैसे तो हिन्द महासागर में भारत की वायुसेना और नेवी अकेले ही चीन की हेकड़ी निकालने के लिए काफी है, लेकिन अगर ऑस्ट्रेलिया भी भारत का साथ देता है, तो चीन के लिए किसी भी सूरत इस blockade को तोड़ना आसानी नहीं होने वाला। अगर यह blockade चीन के लिए 3 से 4 महीने भी लागू कर दिया जाता है, तो उसके बाद चीन के सारे oil reserves खत्म हो जाएंगे और चीन की अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ जाएगी।
अंडमान और कोकोस, दोनों ही द्वीपों की लोकेशन बड़ी ही अहम है, क्योंकि एक तरफ जहां अंडमान straits of Malacca के मुहाने पर स्थित है, तो वहीं कोकोस द्वीप इंडोनेशिया के straits of Sunda के पास स्थित हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया अब मिलकर इन दोनों द्वीपों को संभालते हैं। रोचक बात यह है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया, दोनों के साथ ही China का बड़ा विवाद चल रहा है। एक तरफ जहां भारत-तिब्बत बॉर्डर पर China भारत को गुंडागर्दी दिखाने से बाज़ नहीं आ रहा है, तो वहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी चीन ने आर्थिक युद्ध का ऐलान किया हुआ है। ऑस्ट्रेलिया के कई इम्पोर्ट्स पर चीन ने आयात कर को कई गुना बढ़ा दिया है।
चीन लगातार जापान, अमेरिका, ताइवान और भारत जैसे देशों के साथ तनाव को बढ़ा रहा है, और ऐसी स्थिति में भारत और China का बड़े पैमाने पर युद्ध होता है, तो चीन के लिए सिर्फ भारत पर फोकस कर पाना बड़ा मुश्किल होगा। ऐसे में भारत को समुन्द्र के साथ-साथ ज़मीन पर चीन को धूल चटाने में कोई खास कठिनाई पेश नहीं आने वाली है। चीन को भारत के खिलाफ कोई भी आक्रामकता दिखाने से पहले इन तथ्यों को दिमाग में भर लेना चाहिए।