प्रधानमंत्री मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ अब रंग ला रहा है। कोरोना वायरस और चीन के व्यवहार के बाद दुनिया में भारत के प्रति और अधिक सकारात्मक रुख देखने को मिला है और भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की और आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में इलेक्टॉनिक्स के क्षेत्र में एक अच्छी खबर आयी है। मोदी सरकार की ‘प्रोडक्शन लिंक इनिशिएटिव (PLI) योजना के तहत दुनिया के प्रमुख मोबाइल निर्माता भारत का रुख कर रहे हैं। अप्रैल में शुरू हुई यह योजना भारत के स्मार्टफ़ोन सेक्टर को बढ़ावा तो दे ही रही है, महत्वपूर्ण ये भी है की इस योजना से जुड़ने वाले उत्पादकों में कोई भी चीन से जुड़ा नहीं है।
इसमें दक्षिण कोरिया की सैमसंग के साथ ही एप्पल की सहयोगी, ताइवान की कंपनी Foxconn, Wistorn और Pegatron शामिल हैं, जिन्होंने इस 6.65 बिलियन डॉलर की स्कीम में निवेश करने का फैसला लिया है। कुल 22 कंपनियों ने इस योजना के तहत आवेदन किया है जो भारत में 15 हजार और उससे ऊपर के दाम वाले मोबाइल सेगमेंट में कार्य करेंगी। वहीं भारतीय कंपनियों की बात करें तो इसमें LAVA, DIXON, BHAGWATI (MICROMAX) आदि नाम शामिल हैं। भारत सरकार की इस योजना से अनुमान लगाया जा रहा है की भारत भी जल्द ही चीन की तरह ‘मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब’ बन सकता है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि भारत सरकार की योजना को एक अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। प्रसाद ने एक ट्वीट में कहा कि इस योजना से आने वाले पांच सालों में 11.5 लाख करोड़ का उत्पादन होने की संभावना है, जिससे भारत करीब 7 लाख करोड़ का निर्यात कर सकेगा। यह योजना भारत में नौकरियों के नए अवसर पैदा करेगी। एक अनुमान के मुताबिक इससे भारत में करीब 10 लाख से अधिक नौकरिया पैदा होने की संभावना है, जिसमें 3 लाख नौकरियां सीधे जबकि 9 लाख नौकरियां अप्रत्यक्ष रूप से बनेंगी।
चीन की प्रमुख मोबाइल निर्माता कंपनी जैसे, OnePlus, Vivo, Oppo, Realme को इस योजना से बाहर रखना दर्शाता है कि कैसे भारत सरकार चीन को चीन को सुपल्ली चेन से बाहर खदेड़ने की योजना पर काम कर रही है। प्रसाद ने कहा कि निवेश और सुरक्षा के नियम पड़ोसी देशों को ध्यान में रखते हुए परिभाषित किये गए हैं। बिना किसी देश का नाम लिए प्रसाद ने कहा कि सुरक्षा और निवेश के नियमों को साथ में मिलाना आवश्यक है।
एक अनुमान के मुताबिक 2022 तक भारत में 82 करोड़ से अधिक लोग स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल कर रहे होंगे। इतना ही नहीं भारत का तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग भी मोबाइल निर्माताओं के लिए अपार संभावनाओं के द्वार खोल रहा है। यही कारण है कि दुनिया के सभी प्रमुख निर्माता भारत में निवेश के लिए लालायित हैं।
सैमसंग पहले से ही नोयडा में अपनी सबसे ‘बड़े मैन्युफैक्चरिंग प्लांट’ को चला रहा है। अब Apple अपनी 20 प्रतिशत निर्माण क्षमताओं को चीन से बाहर ले जाने पर विचार कर रहा है, और उसे PLI से बेहतर अवसर कहीं और नहीं मिल सकता। वैसे भी Apple पहले से ही भारत में अपने smatphone को बना रहा है जिमसे Foxconn के दो स्थानीय निकाय उसकी सहायता करते हैं और अब Wistorn और Pegatron जैसे अन्य सहयोगी निर्माता भी भारत में निवेश हेतु आ रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पहले ही भारत ने तरक्की करते हुए मोबाइल निर्माण के क्षेत्र में दुनिया में दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया है।अब सिर्फ चीन ही भारत से आगे है और वर्तमान परिदृश्य एवं सरकार की महत्वकांक्षी योजना को देखते हुए कहा जा सकता है कि जल्द ही भारत चीन को भी पीछे छोड़ देगा ।