कोरोना के बाद चीन की नाक में दम करने वाला ताइवान लगातार वैश्विक स्तर पर अपनी मौजूदगी बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, जिससे चीन चिढ़ा हुआ है। इसी क्रम में चीन के दबावों के बावजूद ताइवान ने पूर्वी अफ्रीकी देश सोमालीलैंड से कूटनीतिक संबंध स्थापित किए हैं।
दरअसल, ताइवान ने औपचारिक रूप से पूर्वी अफ्रीकी देश सोमालीलैंड के साथ सम्बन्धों की शुरुआत करते हुए वहाँ एक प्रतिनिधि कार्यालय खोला है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सोमालीलैंड में उद्घाटन समारोह का नेतृत्व ताइवान के प्रमुख दूत Lou Chen-hwa और सोमालीलैंड के विदेश मंत्री यासीन हागी मोहम्मद ने किया।
बता दें कि, सोमालीलैंड Horn Of Africa के पास एक स्वायत्त देश है जो सोमालिया से 1991 में स्वतंत्र हो कर बना है। इस देश को भी अंतराष्ट्रीय समुदाय ताइवान की तरह एक देश का दर्जा नहीं देता। ताइवान ने चीन को एक और सदमा देते हुए इस देश के साथ अपने संबंध स्थापित करने और एक दूसरे के देश में representative offices खोलने की घोषणा 1 जुलाई को की थी।
जब यह खबर चीन तक पहुंची, तो उसने धमकी और लालच देकर सोमालीलैंड को लुभाने की कोशिश की। चीन के राजदूत ने सोमालीलैंड को ताइवान के रिश्तों को समाप्त करने को कहा और इसके बदले सड़क और हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं और एक संपर्क कार्यालय की स्थापना करने का लालच दिया। परंतु रिपोर्ट के अनुसार सोमालीलैंड के राष्ट्रपति Muse Bihi Abdi ने इस चीनी प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। यही नहीं, उन्होंने तुरंत ताइवान के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूत करने के कदम को और तेज़ करने का आदेश दे दिया।
Chinese ambassador to Somalia went to Somaliland to meet Prez Bihi. As soon as he started putting on the "warrior diplomacy" act & threatening Somaliland, Bihi stood up and gave him marching orders.
A few hours later Bihi instructed his MFA to begin process to recognise Taiwan. pic.twitter.com/XVdWG8KBmF
— Rashid Abdi (@RAbdiAnalyst) August 4, 2020
Representative offices खुलने के बाद अब दोनों देशों में औपचारिक संबंध शुरू हो चुके हैं और दोनों देशों ने कई मोर्चों पर एक दूसरे की मदद करने का आह्वान किया है। सोमालीलैंड, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक देश के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है, वह भी ताइवान की तरह ही दुनिया में अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहता है। ताइवान ने भी जानबूझ कर ही सोमालीलैंड के साथ अपने रिश्तों को को बढ़ाने का निर्णय लिया, जिससे चीन को एक बड़ा झटका लगे। वर्तमान में ताइवान के दुनिया भर के केवल 15 देशों के साथ राजनयिक संबंध हैं, और चीन के दबाव के कारण अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति दर्ज कराने में संघर्ष कर रहा है। सोमालीलैंड के साथ बेहतर रिश्तों से अन्य देशों का ताइवान पर भरोसा बढ़ेगा, जिससे राजनायिक संबंध में और अधिक विस्तार होने की संभावना बढ़ेगी।
यह चीन के लिए चिंता का विषय है क्योंकि सोमालीलैंड की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। सोमालीलैंड की सीमाएं जिबूती से लगती हैं, जो चीन का एकमात्र विदेशी बेस है। जिबूती में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का सपोर्ट बेस 2017 में स्थापित किया गया था और यह चीनी नौसेना को स्वेज नहर से पश्चिमी भारतीय महासागर तक नजर बनाए रखने में मदद करता है। अगर सोमालीलैंड के साथ ताइवान के रिश्ते मजबूत होते हैं तो अन्य देशों से भी सोमालीलैंड के रिश्ते अच्छे होते जाएंगे, जिसका फायदा कोई भी चीन विरोधी देश उठा सकता है और वहाँ अपना बेस स्थापित कर सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार सोमालीलैंड के राष्ट्रपति को अमेरिका के TAIPEI ACT खास कर Section 3 में भी बेहद दिलचस्पी है, जो यह कहता है कि जो भी देश ताइवान के साथ संबंध बढ़ा रहे हैं या मजबूत कर रहे हैं, उसके साथ अमेरिकी सरकार अपनी आर्थिक, सुरक्षा और राजनयिक जुड़ाव को बढ़ाने पर विचार कर सकती है। अगर इस देश का ताइवान के माध्यम से अमेरिका के साथ भी संबंध शुरू हो गया तो यह चीन के लिए दोहरी हार होगी।
इसी कारण से चीन तिलमिलाया हुआ है। ताइवान का बढ़ता प्रभाव चीन पचा नहीं पा रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने ताइवान और सोमालीलैंड के मामले पर सोमालिया को भी बीच में घसीटने लगे। उन्होंने कहा कि ताइवान सोमालिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमतर कर रहा है। ताइवान और सोमालीलैंड के बीच आधिकारिक एजेंसी स्थापित करने या किसी तरह के आधिकारिक समझौते का चीन विरोध करता है।
अब ताइवान ने वैश्विक कूटनीति में चीन को एक बड़ा झटका दे दिया है। अब यह देखना है कि चीन ताइवान पर दबाव बनाने के लिए कैसी चाल चलता है।