पिछले कुछ समय से तुर्की भारत के विरुद्ध प्रोपगैंडा फैलाने में कुछ ज़्यादा ही सक्रिय है। एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की ने अपने सेक्यूलर पहचान को मीलों पीछे छोड़ते अपनी धर्मांधता को जगजाहिर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। यदि ये बात केवल तुर्की तक सीमित रहती तो शायद ही कोई इसपर ध्यान देता, परंतु अब तुर्की की विषैली सोच भारत को नुकसान पहुंचा रही है, और अब वह भारत के विरुद्ध हर असामाजिक तत्व को बढ़ावा देने को तैयार है।
एर्दोगन के नेतृत्व में अब तुर्की भारत के विरुद्ध एक साजिश के अंतर्गत वैश्विक स्तर पर प्रोपगैंडा को बढ़ावा देने को तैयार है, विशेषकर कश्मीर के मुद्दे पर। इस उद्देश्य के अंतर्गत तुर्की मीडिया पहले से ही सक्रिय है, और अगर ज़ी न्यूज़ की माने, तो अब तुर्की अपने भारत विरोधी प्रोपगैंडा को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तानी पत्रकारों और कश्मीरी मीडिया विशेषज्ञों को बड़ी संख्या में तैनात कर रहा है। ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, “अनाडोलू एजेंसी और TRT चैनल पहले अमेरिकियों और अंग्रेज़ों को अपने एजेंसी में भर्ती के लिए प्राथमिकता देती है। लेकिन एर्दोगन द्वारा कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के पश्चात तुर्की अब बड़ी संख्या में पाकिस्तानियों को अपने चैनलों में नियुक्ति देने लगा है, जिन्हें कट्टरपंथी इस्लाम में पूर्ण विश्वास है।”
ज़ी न्यूज़ इस विश्लेषण में पूरी तरह से गलत भी नहीं है, क्योंकि अनाडोलू एजेंसी में 11 कॉपी एडिटर्स में से 5 तो अकेले पाकिस्तान से हैं। TRT के diplomatic एडिटर मोहसिन पाकिस्तानी मूल का नागरिक है। तुर्की मीडिया आउटलेट्स में पाकिस्तानियों की भर्ती में वृद्धि इस समय उफ़ान पर है, और ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि एर्दोगन इन कट्टरपंथियों के जरिये अपनी देश की जनता को बरगलाने पर तुला हुआ है।
परंतु तुर्की इतने पर नहीं रुका है, बल्कि वह उन कश्मीरियों को भी भर्ती करने में लगा हुआ है, जो भारत से बेहद घृणा करते हैं। तुर्की मीडिया इसीलिए जानबूझकर कश्मीरी अलगाववादियों को अपने मंच पर स्थान दे रहा है, ताकि कश्मीर मुद्दे के जरिये तुर्की इस्लामिक जगत का बेताज बादशाह बन सके।
इससे पहले टीएफ़आई पर हमने रिपोर्ट किया था कि कैसे तुर्की युवा कश्मीरी विद्यार्थियों और भारतीय मुस्लिमों को अपने यहाँ आकर पढ़ने के लिए लुभावनी छात्रवृत्ति प्रदान कर रहा है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने तुर्की के उस योजना का पर्दाफ़ाश किया है, जो तुर्की मीडिया, शैक्षणिक संस्थानों और एनजीओ के जरिये भारत विरोधी प्रोपगैंडा को बढ़ावा दे रहा है, जिसके बारे में हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में प्रकाश भी डाला है।
इसके अलावा पिछले कई महीनों में तुर्की पाकिस्तान के अलावा भारत विरोधी गतिविधियों के लिए गढ़ के रूप में सामने आया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि तुर्की ने कश्मीरी अलगाववादियों की वित्तीय रूप से काफी सहायता की है, लेकिन अभी हाल ही में पता चला है कि तुर्की केरल के जरिये करोड़ों रुपयों का निवेश कर भारत के विरुद्ध केरल में रह रहे मुसलमानों को भड़काने और केरल के युवाओं की आईएसआईएस में भर्ती कराने में लगा हुआ है।
अब तक भारत ने केवल तुर्की के गतिविधियों का विरोध ही किया है। परंतु अब समय आ चुका है कि इस देश का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाये, ठीक उसी तरह जैसे पाकिस्तान और चीन का बहिष्कार किया जा रहा है, ताकि तुर्की की रीढ़ की हड्डी यानि उसकी अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचे। अगर भारत को इस समय किसी से खतरा है, तो वो पहले पाकिस्तान, फिर तुर्की और सबसे ज़्यादा चीन से है।