दक्षिण चीन सागर में चीन ने अपनी हरकतों से एक नया दुश्मन पाल लिया है, और उसका नाम है इंडोनेशिया! इंडोनेशिया अब तक दक्षिण चीन सागर के मुद्दे पर चीन से सीधे टकराव से बचता रहता था, लेकिन अब लगता है कि इंडोनेशिया की जोको विडोडो सरकार का धैर्य जवाब देता जा रहा है। इसीलिए अब समुद्र में इंडोनेशिया की नेवी विस्तारवादी नीति का पालन करने वाली चीनी नौसेना का डटकर मुक़ाबला कर रही है।
दरअसल, पिछले कुछ समय से इंडोनेशिया और China के बीच जलसीमा विवाद को लेकर तनाव काफी बढ़ गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले दिनों इंडोनेशिया के Natuna द्वीपों के आसपास इंडोनेशिया के Exclusive Economic Zone में चीनी कोस्टगार्ड का एक जहाज करीब दो दिनों तक घूमता रहा। SCMP की एक रिपोर्ट के मुताबिक बाद में इंडोनेशिया की नेवी ने उस जहाज़ को अपने EEZ से बाहर निकाला।
इंडोनेशिया की जलसीमा की सुरक्षा करने वाली एजेंसी Bakamla Wisnu Pramandita के मुताबिक “चीनी जहाज़ पर मौजूद अधिकारियों ने कहा कि वे चीन के अधिकार क्षेत्र के पानी में ही हैं। हमने उनके दावों को खारिज कर दिया और कहा कि वे इंडोनेशिया के EEZ में हैं।” इंडोनेशिया और चीन के बीच Natuna द्वीप बड़े तनाव का कारण बन रहे हैं। अब तक इंडोनेशिया सक्रिय रूप से दक्षिण चीन सागर से जुड़े किसी विवाद में अपनी नाक नहीं घुसाना चाह रहा था, लेकिन चीन के विस्तारवाद ने अब इंडोनेशिया को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया है।
China अपनी विवादित 9-डैश लाइन के दावों के अंतर्गत इंडोनेशिया के Natuna द्वीपों को अपना बताता है। पिछले साल के अंत में China ने यहाँ अपना दावा मजबूत करने के लिए कुछ चीनी मछुआरों और कोस्टगार्ड के जहाजों को भेजा था, जिन्हें बाद में इंडोनेशिया की नेवी द्वारा बाहर निकाला गया।
दक्षिण चीन सागर के अन्य हिस्सों की तरह ही Natuna के आसपास भी चीनी आक्रामकता बढ़ती ही जा रही है, जो इंडोनेशिया को पसंद नहीं आ रहा है। इंडोनेशिया दक्षिण चीन सागर में अपनी जलसीमा को लेकर एकदम दृढ़ है और वह मानता है कि समुद्री जलसीमा को लेकर China और इंडोनेशिया के बीच कोई टकराव नहीं है। Natuna द्वीपों के आसपास चीनी कोस्टगार्ड द्वारा घुसपैठ के बाद भी इंडोनेशिया सरकार ने चीनी दूतावास से इसपर स्पष्टीकरण मांगा है, जो दिखाता है कि चीन की इन हरकतों को इंडोनेशिया ऐसे ही स्वीकार नहीं करने वाला।
इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय के मुताबिक “हमने चीनी राजदूत को यह स्पष्ट बता दिया है कि समुद्री जलसीमा को लेकर China और इंडोनेशिया के बीच कोई टकराव नहीं है।” इतना ही नहीं, अब इंडोनेशिया चीनी नौसेना द्वारा घुसपैठ का मुक़ाबला करने के लिए अपनी नेवी की तैनाती को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। Bangkok पोस्ट के मुताबिक दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों के पास इंडोनेशिया की नेवी patrolling को बढ़ाने वाली है।
कूटनीतिक स्तर पर भी इंडोनेशिया चीनी हरकतों का उपयुक्त जवाब दे रहा है। इंडोनेशिया का आधिकारिक रुख यही है कि दक्षिण चीन सागर में उसकी भूमिका नहीं है। ऐसे में जब भी China किसी “विवादित” जलसीमा पर चर्चा के संबंध में इंडोनेशिया सरकार को प्रस्ताव भेजता है, तो उसे इंडोनेशिया नकारने में समय नहीं लगता। इंडोनेशिया सरकार UN में भी दक्षिण चीन सागर में अंतर्राष्ट्रीय नियम UNCLOS को लागू करने और इसके सम्मान की मांग करती रहती है।
इस प्रकार इंडोनेशिया ने बड़ी ही चालाकी से China को Natuna द्वीपों को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनने दिया है। वहीं इशारों ही इशारों में अब तक इंडोनेशिया की सरकार चीन के विस्तारवाद को भी निशाना बनाती आई है। इंडोनेशिया ने हाल ही में चीन को चिढ़ाने के लिए वर्ष 2016 के “Arbitral ruling” का भी हवाला दिया था और China को UNCLOS को मानने को कहा था। इंडोनेशिया अब तक तो दक्षिण चीन सागर विवाद में सीधे तौर पर शामिल होने से दूर ही रहता था, लेकिन China ने अपनी हरकतों से इस देश को भी अपना दुश्मन बना लिया है। दक्षिण चीन सागर के बढ़ते विवाद के दौर में China का यह कदम उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है।