पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने मौजूदा इमरान खान की अगुवाई वाली चीन की कठपुतली सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध अभियान चलाया है। इमरान खान के शासन में पाकिस्तान चीन का एक क्लाईंट राज्य बन चुका है और अब तो तुर्की के साथ दोस्ती करने के लिए अरब देशों को भी धोखा दे चुका है।
इसलिए, सऊदी अरब के नेतृत्व में अरब जगत, पाकिस्तान में इमरान खान सरकार को गिराने और सत्ता से बाहर करने की दिशा में काम करता दिखाई दे रहा है। वहीं चीन भी अपनी ताकत इस्लामाबाद के वफादार प्रधानमंत्री को बचाने में लगा रहा है। यानि सऊदी अरब और चीन के बीच मुक़ाबला शुरू हो चुका है और इस टकराव का रणक्षेत्र पाकिस्तान है। दोनों शक्तियाँ अपने अपने फायदे के लिए पाकिस्तान पर अपना कब्जा बनाए रखना चाहती हैं।
दरअसल, पाकिस्तान में मौजूदा सरकार के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर चुके हैं और विरोध प्रदर्शनों से देश की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं। पाकिस्तान में विपक्षी दलों की एक एसोसिएशन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) द्वारा कराये जा रहे इस बड़े पैमाने के विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से तत्काल हटा देना है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान की विपक्षी दलों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाने के लिए एक बहुदलीय बैठक आयोजित की थी, जिसमें नवाज शरीफ, मरियम नवाज और बिलावल भुट्टो जरदारी जैसे कुछ प्रमुख विपक्षी नेताओं ने भाग लिया था।
दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों ने पाकिस्तान पर अपने शासनकाल के दौरान पाकिस्तान सेना का समर्थन किया था, अब वही लोग देश के शासन में सेना के हस्तक्षेपों को कम करने की बात कर रहे हैं। Pakistan के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने इमरान खान सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि इमरान खान के शासन में सेना देश से भी ऊपर जा चुकी है।
TFI ने पहले भी बताया है कि कैसे सऊदी अरब और खाड़ी के अन्य देश पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल राहील शरीफ को पाकिस्तान की राजनीति में स्थान दिलाने के लिए ज़ोर लगा रहे थे जिससे वहां की राजनीति पर पकड़ बनाई जा सके।
इससे यह संकेत मिलता है कि अरब जगत इमरान खान से ऊब चुका है। वहीं चीन इमरान खान को सत्ता में बनाए रखना चाहता है जिससे वह अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखे। यही कारण है कि वह इमरान खान के भारत के खिलाफ सभी फैसलों पर समर्थन देता आया है।
हालांकि, सऊदी अरब पाकिस्तान में ऐसी सरकार बनाना चाहेगा, जो न तो चीन के सामने पूरी तरह से झुके और न ही यह होगा कि तुर्की एर्दोगन के करीब जाए। इमरान खान ने यही दो काम सबसे बेहतर तरीके से किया है जिससे सऊदी बुरी तरह चिढ़ गया है।
पाकिस्तान यहीं नहीं रुका और तो और Pakistan के विदेश मंत्री, शाह महमूद कुरैशी ने सऊदी अरब को लाइव टेलीविज़न पर धमकी दी और कहा कि पाकिस्तान अब अन्य “समान विचारधारा वाले” इस्लामी देशों की ओर देखेगा जो उनका कश्मीर मुद्दे पर समर्थन करेंगे।
इसके परिणामस्वरूप सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने Pakistan के सेनाध्यक्ष जनरल क़मर बाजवा के रियाद की यात्रा के दौरान उनसे मिलने से इनकार कर दिया था।
इसलिए, पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के पीछे अगर सऊदी अरब के हाथ होने की सूचना आती है तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। वास्तव में, Pakistan के विपक्षी दल भी दोबारा चुनाव कराने का आह्वान कर रहे हैं, जिसमें सशस्त्र बलों की भागीदारी और खुफिया एजेंसियों की भागीदारी को कम करना शामिल है। ऐसे में इमरान खान की सरकार को बचाने के लिए चीन सबसे पहले आएगा क्योंकि इमरान खान ने खुद को महत्वपूर्ण चीनी ऐसेट के रूप में कई बार साबित किया है। पाकिस्तानी में सऊदी अरब और चीन के बीच टकराव आने वाले समय में और बढ्ने की आशंका है।