इस्लामिक कट्टरवाद के खिलाफ एक्शन लेने के बाद दुनिया भर के कट्टरवादी सोच को समर्थन करने वाले देश अब खुल कर फ्रांस का विरोध करने लगे हैं। तुर्की और पाकिस्तान इस रेस में सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं और फ्रांस के सामानों का बहिष्कार करने के लिए सोशल मीडिया पर ट्रेंड चला रहे हैं। इस्लामिक कट्टरवाद सिर्फ फ्रांस की समस्या नहीं है, बल्कि भारत इस सोच का दंश कई वर्षों से झेल रहा है। ऐसे समय में कट्टरवाद के खिलाफ इस लड़ाई में अब भारत को भी फ़्रांस का समर्थन करना चाहिए ताकि आतंकी गतिविधियों के लिए मशहूर तुर्की और पाकिस्तान अपने मकसद में कामयाब न हो सकें।
दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के इस्लामिक कट्टरवाद को समाप्त करने के बयान के बाद तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने उन्हें अपने दिमाग की जांच कराने को कह दिया था जिसके बाद फ्रांस ने अपने राजदूत को अंकारा से बुला लिया। फ्रांस के इस कदम के बाद तुर्की और पाकिस्तान फ्रांस पर टूट पड़े और इमरान खान ने भी फ्रांस का बहिष्कार करने का आह्वान कर दिया। तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन मुस्लिम ने भी पैगंबर मोहम्मद के फ्रांस में प्रदर्शित होने वाले चित्रों पर फ्रांसीसी वस्तुओं के बहिष्कार की मांग की।
Turkish President Tayyip Erdogan joined others in parts of the Muslim world demanding a boycott on French goods over images being displayed in France of the Prophet Mohammad https://t.co/a9egX9RbuN pic.twitter.com/q3wBfx904m
— Reuters (@Reuters) October 27, 2020
इसके साथ ही पाकिस्तान ने फ्रांस के राजदूत मार्क बेर्टी को समन किया और कड़ी आपत्ति जाहिर की। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हाफिज चौधरी ने कहा कि फ्रांस के राजदूत को विशेष सचिव (यूरोप) के जरिए एक डोजियर दिया गया है और उनके सामने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून और राष्ट्रपति मैक्रों की टिप्पणी को लेकर पाकिस्तान ने विरोध दर्ज कराया है।
अरब देशों में भी इसी के कारण फ्रांस के खिलाफ माहौल बनने लगा है और वहां भी फ्रांस के सामानों के बहिष्कार की खबर सामने आ रही है। हालांकि, फ्रांस ने दोनों ही देशों के इस कदम पर सख्त रुख अपनाते हुए अपने कदम पीछे न खींचने की बात की। फ़्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘बहिष्कार की बेबुनियाद’ बातें अल्पसंख्यक समुदाय का सिर्फ़ एक कट्टर तबक़ा ही कर रहा है।
फ्रांस के इस रुख ने इमरान खान को इस्लाम के नाम पर डूबती अर्थव्यवस्था से अपनी जनता का ध्यान भटकाने मौका भी दे दिया है। पाकिस्तान ने फ्रांस के खिलाफ एक्शन का ढिखावा करते हुए फ्रांस के राजदूत को समन किया और अपना विरोध जताया। इससे पहले इमरान खान ने फ़ेसबुक को पत्र लिखकर इस्लाम के खिलाफ वालों को बैन करने की बात कही थी जिसमें उन्होंने फ्रांस का उदाहरण दिया था। एक तरह से देखा जाए पाकिस्तानी तुर्की के आईटी सेल बन चुका है, और सोशल मीडिया पर फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान कर रहे हैं।
https://twitter.com/tayyabrza/status/1320970553147166722
#boycottfrance #boycottfrenchproducts https://t.co/U3nRo7Vpjw
— Abdul Qayyum (@AbdulQa90394714) October 27, 2020
ये टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं जब तुर्की और पाकिस्तान खुद आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने और वैश्विक शांति को भंग करने के लिए अक्सर निशाने पर लिए जा रहे हैं। दोनों देश आतंकवाद के जाने-माने प्रायोजक हैं और यही कारण है कि इस्लामवादियों पर नकेल कसने के लिए फ्रांस की आलोचना कर रहे हैं। पाकिस्तान आतंकवादियों की गतिविधियों का सिर्फ वित्तपोषण ही नहीं करता, बल्कि आतंकियों के भर्ती में भी मदद करता रहा है और इसके नागरिक फ्रांस में भी आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। व्यंग्य समाचार पत्र चार्ली हेब्दो के पेरिस कार्यालयों के बाहर छुरा घोंपने की घटना में पाकिस्तान से आया एक व्यक्ति का नाम सामने आया था।
ये दोनों देश दुनिया के मुस्लिम देशों के बीच इस्लाम की रक्षा के नाम पर अपना वर्चस्व साबित करना चाहते हैं और इसीलिए फ्रांस पर मिल कर हमला कर रहे हैं तथा अन्य को भी उकसा रहे हैं।
अंकारा और इस्लामाबाद चरमपंथी आतंकवादी गतिविधियां सिर्फ फ्रांस ही नहीं, बल्कि भारत समेत कई देश झेलते रहे हैं। अब इमैनुएल मैक्रों ने इस्लामवादियों और कट्टरपंथियों को सबक सीखना आरंभ किया है तो तुर्की और पाकिस्तान दोनों ही उग्र हो गये हैं।
मैक्रों ने एक भावनात्मक संबोधन में कहा था कि, “हम इस लड़ाई को जारी रखेंगे। हम इस स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए जारी रखेंगे, यह लड़ाई उस गणतंत्र की रक्षा के लिए है जिसके आप (सैमुअल पैटी) चेहरे बन गए हैं। ”
Duke Metternich ने कहा था कि “जब फ्रांस छींकता है तो पूरे यूरोप को सर्दी जुकाम हो जाता है।” यह कथन आज भी सत्य है और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस्लामवादी अलगाववादियों और चरमपंथियों के खिलाफ कैसे व्यापक कार्रवाई कर रहे हैं, यह पूरे यूरोप में एक मिसाल कायम कर रहा है। यूरोप मैक्रों के नेतृत्व में इस्लामिक चरमपंथ के खिलाफ एकजुट होने के बाद भारत को भी अब खुलकर फ्रांस को समर्थन देना चाहिए। तुर्की और पाकिस्तान दोनों ही मिलकर भारत में कट्टरवाद को बढ़ावा देने और देश को अस्थिर करने के प्रयास करते हैं। भारत का फ्रांस के साथ खड़े होने से न सिर्फ इस कट्टरवादी विचारधारा से लड़ाई में मजबूती मिलेगी, बल्कि भारत के अंदर इस सोच का समर्थन करने वालों को भी संदेश जाएगा कि अब बहुत हो चुका, अब भारत ऐसी विचारधारा को देश के अंदर से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार है।