चीन के विदेश मंत्री वांग यी जो पूरी दुनिया से चीन के रिश्तों को सुधारने में जुटे रहते हैं लेकिन असल में उनकी पूरी दुनिया में बेइज्जती हो रही है। ये उनके लिए एक बेहद मुश्किल समय है। जब पूरी दुनिया में चीन को लेकर नकारात्मक माहौल है तो ऐसे में विदेश मंत्री का उनका पद उपहास की संज्ञा बन गया है। शी जिनपिंग भी बेहद शातिर हैं जो कि ऐसे अपमानित करने वाले दौर में पीछे की कुर्सी में बैठ गए हैं और वैश्विक अपमान सहने का पूरा जिम्मा वांग यी को सौंप दिया है। पूरी दुनिया के देश कूटनीतिक रूप से उन्हें ढोलक की तरह बजा रहे हैं।
वांग यी को यूरोप यात्रा के बाद और जापान यात्रा के लिए इंतजार करना पड़ रहा है जो कि उनके लिए फायदेमंद भी नहीं है। इसके अलावा अब वो आसियान के 5 देशों कंबोडिया, मलेशिया, लाओस, सिंगापुर और थाईलैंड की यात्रा पर हैं। इंडो- पैसेफिक से लेकर हर एक भौगलिक क्षेत्र में चीन और वांग यी को आलोचनाओं का सामाना करना पड़ रहा है। इस मामले में सबसे बड़ा उदाहरण तटस्थ ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक रवैए को देखा जा सकता है जो कि चीन के लिए पिछले काफी वक्त से बदल चुका है और वो क्वाड को दिन-ब-दिन मजबूत कर रहा है।
इसके अलावा दुनिया के कई देशों ने भी चीन के लिए आलोचनात्मक रुख अखतियार कर लिया है। सभी विपक्षी देश चीन में उइगर मुस्लिमों के साथ अत्याचार, हॉन्ग-कॉन्ग में दमनकारी रवैए और तिब्बत समेत ताइवान के मुद्दे पर चीन को घेर रहे हैं। इसके अलावा चीन का लगभग सभी पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद है जो कि दुनिया के बड़े धड़े को China के खिलाफ खड़ा करता है।
वांग यी की हाल ही में हुई यूरोप यात्रा भी कुछ खास सफल नहीं रही है। सामूहिक से लेकर द्विपक्षीय तक के सभी मामलों में चीन को नुकसान ही हुआ है। यहां तक कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल जो कि चीन की समर्थक मानी जाती थी वो भी चीन को मानवाधिकार के मुद्दे पर लताड़ने लगी हैं। हालांकि, मर्केल अपनी छवि सुधारने की कोशिश में हैं, लेकिन China के खिलाफ जर्मनी का ये रुख अब वांग यी समेत चीन के लिए मुसीबतों का एक नया सबब होगा। चेक रिपब्लिक जैसे छोटे राष्ट्र भी चीन से आंख मिलाने लगे हैं जो कि चीन की कूटनीति के लिए बेहद घातक है।
चीन को चारों तरफ से अपमान का सामना करना पड़ रहा है और उसके विदेश मंत्री वांग यी की हालत ऐसी हो गयी है जो भी आता है बेइज्जती करके चला जाता है। इन सब के बावजूद वांग यी को आसियान के 5 देशों की यात्रा पर भेजा जा रहा है जिसकी बड़ी वजह इन देशों में अमेरिका के बढ़ते प्रभाव को माना जा रहा है। थाइलैंड, मलेशिया और सिंगापुर हमेशा ही चीन विरोधी ही रहे हैं। ऐसे में वांग यी आसियान के इन देशों में ये पैगाम लेकर जा रहे हैं कि आसियान को बाहरी देशों के खिलाफ चीन के साथ मिलकर लड़ना चाहिए जबकि हकीकत ये है कि ये सभी देश खुद चीन के खिलाफ मोर्चा खोल के बैठे हैं।
वांग 5 में से 4 दुश्मन देशों का सामना करने जा रहे हैं। संभव है कि उन्हें इस दौरान कई तरह की आलोचनाओं का सामना भी करना पड़े। इन चार देशों ने अमेरिका के साथ मेकांग नदी पर बनेने वाले बांध को लेकर एक डील की है। वांग थाईलैंड के सभी बड़े अधिकारियों से मिलने के साथ ही वहां के राष्ट्रपति से भी मिल चुके हैं। वो अपने पिटारे में निवेशों का जखीरा लेकर गए थे लेकिन इन आर्थिक हितों के लालच के बावजूद उन्हें हताशा ही हाथ लगी है क्योंकि चीन के साथ कोई भी खड़ा होने को तैयार नहीं है। ये सारे तथ्य दिखाते हैं कि China के विदेश मंत्री की यात्रा असल में कितनी विफल रही है।
आसियान देश लगातार क्वाड देशों के साथ भी अपने रिश्तों को मजबूत कर रहे हैं जो कि चीन के लिए एक झटका है क्योंकि China क्वाड के खिलाफ आसियान को नाटो की तरह पेश करना चाहता था।
वांग यी अपनी हर यात्रा में अमेरिका को दक्षिण एशिया के लिए एक खतरा बताते रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी नीतियों का कोई लाभ नहीं हुआ है। असल में चीन के विदेश मंत्री के तौर पर शी जिनपिंग ने वांग यी को पूरी दुनिया द्वारा अपमानित होने का जिम्मा दे दिया है जिसे वांग पूरी शिद्दत स निभा रहे हैं।