जिस प्रकार से किसान आंदोलन के भागीदार गीदड़ भभकियों पे उतर आए हैं, ठीक उसी प्रकार से NIA ने भी इन अराजकतावादियों की कमर तोड़नी शुरू कर दी है। आंदोलन में शामिल खालिस्तानियों की पोल खोलने के लिए NIA ने 40 से अधिक लोगों को सम्मन किया है, जिसमें खालिस्तान समर्थक खालसा ऐड के कई उच्चाधिकारी और खालिस्तानी समर्थक अभिनेता दीप सिद्धू भी शामिल है।
द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार, “एक नए मामले में खालिस्तानी संगठन SFJ यानि Sikhs For Justice के विरुद्ध साक्ष्य जुटाने और रेफरेंडम 2020 के लिए उसे कठघरे में खड़ा करने के लिए 40 लोगों को सम्मन भेजा गया है। इनमें से कई ऐसे हैं, जो सीधा खालसा ऐड से संबंध रखते हैं, और एक सम्मन खालिस्तानी समर्थक अभिनेता दीप सिद्धू भी शामिल है”
खालसा ऐड कहने को मानवाधिकार की रक्षा में जुटा एक एनजीओ है, लेकिन वास्तव में इसका परमार्थ से बहुत ही कम लेना देना रहा है। इस संगठन पर आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल का दाहिना हाथ होने का भी आरोप लगाया है। वहीं दूसरी तरफ अभिनेता दीप सिद्धू किसान आंदोलन के प्रारंभ से ही न केवल अराजकता फैला रहा है, बल्कि उसने खालिस्तानी मांगों का समर्थन करते हुए भिंडरावाले जैसे कुख्यात आतंकी का भी महिमामंडन करने का प्रयास किया था।
लेकिन NIA इतनी आक्रामक क्यों हो रही है? इसके पीछे प्रमुख कारण है Sikhs for Justice की दिन प्रतिदिन बढ़ती सक्रियता, जो भारत की सुरक्षा के लिहाज से चिंताजनक भी है। अभी कुछ ही दिनों पहले SFJ ने एक वीडियो भी रिलीज किया था, जिसमें उसके सरगना, गुरपतवंत सिंह पन्नू सरदारों को भड़काते हुए दिखाई दे रहे हैं। जनाब कहते हैं, “26 जनवरी आ रही है और लाल किले पर हिन्दुस्तानी तिरंगा है। उसे हटाकर खालिस्तान का परचम लहराना है” –
https://www.youtube.com/watch?v=TxhZY7SmGfg
इसी के आधार पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि किसान आंदोलन में अलगाववादियों ने भी प्रवेश किया है
#Breaking | Center to file an affidavit in the SC confirming that there is evidence of 'Khalistani groups' infiltrating the farmers' protests.
Details by Harish. pic.twitter.com/Qz9pppFWG7
— TIMES NOW (@TimesNow) January 13, 2021
केंद्र सरकार के अनुसार, ये अराजक तत्व शाहीन बाग की पद्वति से प्रेरित होकर गणतंत्र दिवस पर एक समानांतर ट्रैक्टर परेड निकालना चाहते हैं, जो देश की सुरक्षा और गणतंत्र दिवस में हिस्सा ले रहे लोगों के लिए बेहद खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
जैसा कि TFI ने पहले रिपोर्ट किया था, दिसंबर 2020 में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार SFJ ने कई माध्यमों से भारत में विद्रोह को बढ़ावा दिया था, जिनमें से एक भारतीय सेना को सेवा दे रहे सिख सैनिक भी थे
इसीलिए NIA काफी आक्रामक तरह से जांच कर रही है, ताकि पूर्वोत्तर दिल्ली के दंगों की भांति एक बार फिर देश की राजधानी हिंसा की आग में न झोंकी जाए। NIA का संदेश स्पष्ट है – अब खालिस्तानियों की खैर नहीं।