भारत के ऑनलाइन डिजिटल मार्केट मे विदेशी companies की प्रभाव बढ़ता जा रही है, जिसका मुकाबला भारत के उद्योगपति जैसे मुकेश अंबानी ओर रत्न टाटा जमकर कर रहे हैं। अभी amazon और रिलायंस कानूनी लड़ाई लड़ रहे है, इसके बीच टाटा ने 1mg फ़ार्मा कंपनी के साथ डील कर ली है। यही नही, amazon को grocery मार्केट मे टक्कर देने के लिए टाटा big basket में भी हिस्सेदार बन गया है।
जनवरी 2021 में टाटा ग्रुप ने $200-250 मिलियन के साथ 1mg में 55 प्रतिशत की हिस्सेदारी ली थी, इस फैसले के कुछ महीनों पहले ही रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने 620 करोड़ निवेश करके Netmeds में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी ली थी।
फ़ार्मा उद्योग में बिज़नेस टेक जाइंट कंपनियों की प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है और amazon इस होड़ में किसी से भी पीछे नहीं है। हाल हीं में ये खबर आई थी कि Amazon, हिंदुस्तान के सबसे बड़े रीटेल ड्रग स्टोर चेन Apollo को खरीदने के पूरी तैयारी कर रहा है। साथ ही Pharameasy ने अपने प्रतियोगी Medlife को acquire करने के लिए भी कमर कस ली है।
पिछले कुछ सालों में विदेशी उद्योग हिंदुस्तान के ऑनलाइन बाज़ार में अपना एकाधिकार बना रहे थे, जैसे की Wallmart ने भारतीय Flipkart को acquire कर लिया, उसके बाद Paytm में चीनी कंपनी Alibaba में 25 परसेंट का निवेश और Amazon का फ्युचर ग्रुप में निवेश करना बहुत चिंताजनक साबित हो रहा था, ऐसे में भारतीय जाइंट्स का आगे आना और विदेशी कंपनियों को खुले में चुनौती देना प्रशंसानीय कदम है।
भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां दुनिया की सबसे बेहतरीन कंपनियों में शुमार है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोरोना vaccine है, इसके अलवा HCQ जो कोरोना से लड़ने में कुछ हद तक सक्षम है, उसका भी सबसे बड़ा निर्यातक हिंदुस्तान ही है।
जब भारत की pharmacy निर्यात इतने ऊंचे स्तर पर है तो यह बात जाहिर है कि इस क्षेत्र में retail निवेश होगा। जिसके चलते दुनिया भर के उद्योगपतियों की नज़र अब हिंदुस्तान पर है, लेकिन उनसे आगे हमारे देश के अपने ‘business giants’ निकाल गए। जिसका परिणाम यह हुआ की टाटा ने 1mg में निवेश किया, रिलायंस ने netmeds में निवेश किया ।
‘भारतीय बिज़नेस जाइंट’ विदेशी उद्योगों से लड़ाई में अकेले नही है, उनके साथ भारत सरकार भी है। भारत सरकार ‘e-commerce’ के लिए नियम बना रही है यह उसका ये कदम काफी सरहनीय है।