अभिषेक बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं। आकाश आनंद उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे हैं, लेकिन अभिषेक और आकाश की स्थितियां काफी मिलती-जुलती हैं। ये दोनों ही राजनीति में अपने बुआ की बर्बादी को सुनिश्चित करने के लिए भरसक प्रयास करने वालों में प्रमुख हैं।
अभिषेक बनर्जी को राजनीति में स्थापित करने के लिए बुआ ममता ने खूब प्रयास किए, लेकिन हकीकत यह है कि अभिषेक की वजह से ममता को अधिक नुकसान हुआ है। वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती भी अब भतीजे को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं, लेकिन वंशवाद का दंश झेल रही राजनीति को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि जैसे अभिषेक ने ममता का करियर बर्बाद किया, कुछ उसी राह पर माया के भतीजे आकाश आनंद भी हैं।
और पढ़ें- चीन के मुद्दे पर केंद्र का समर्थन करने के बाद मायावती बनी इस्लामिस्टों और लिबरलों की दुश्मन नंबर-1
मायावती ने 2017 में अपने परिवार के सदस्यों को बीएसपी के भीतर कोई महत्वपूर्ण कार्यकारी पद रखने से रोक दिया था। वहीं 2019 में, उनके भतीजे को पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में नियुक्त करने के लिए इस नीति को उलट दिया गया, जबकि उनके पिता को बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में बहाल किया गया था। आकाश आनंद पहली बार साल 2019 में बीएसपी सुप्रीमो के जन्मदिन समारोह में जनता की नज़र में आए और उनके रवैए को देखकर कहा जा रहा था कि वो ही मायावती के उत्तराधिकारी होंगे।
आकाश आनंद ने बीएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में बुआ मायावती को राजनीति में बुरी तरह से विफल कर दिया है। उन्होंने अभी तक राजनीति में ज्यादा हिस्सा नहीं लिया है। आकाश को सबसे ज्यादा श्रेय बीएसपी की सोशल मीडिया रणनीति के लिए मिलता है और यह भी कहा जाता है कि उन्होंने मायावती को माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लाने के लिए राजी करने में अहम भूमिका निभाई है।
हालांकि, आकाश ने अभी तक बीएसपी के लिए राजनीतिक रूप से कोई महत्वपूर्ण योगदान नहीं दिया है। साथ ही उन कैडर की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं, जो चाहते थे कि भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर के बराबर आकाश आनंद खड़े हो सकें। इसकी बड़ी वजह यह है कि भीम आर्मी बीएसपी के वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी कर रही है।
और पढ़ें- “कोटा जाओ, यहां नाटकबाज़ी बंद करो”, यूपी में CAA का विरोध कर रही प्रियंका वाड्रा को मायावती ने लताड़ा
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब एक साल से भी कम समय बचा है। ऐसे में बीएसपी का कार्यकर्ता वर्ग इस बात पर सवाल पूछ रहा है कि आखिर चुनावों में नेतृत्व कौन करेगा। मायावती का रुख इन दिनों बीजेपी की तरफ खासा नर्म है। ऐसे में कार्यकताओं के मन में सवाल है कि क्या आकाश आनंद की यही नीति है ? साफ तौर पर कहा जा सकता है कि मायावती को वंशवादी राजनीति विनाश की ओर ले जा रही है। इतना ही नहीं अन्य सभी क्षेत्रीय दलों पर नजर डालें तो ये कहा जा सकता है कि उन्होंने पार्टी में परिजनों और बच्चों को स्थापित करने की नीति अपनाई और इसके चलते पार्टी ही बर्बाद हो गई। मायावती की स्थिति भी उसी दिशा का संकेत दे रही है।
हालिया परिस्थितियों को देखें तो अभिषेक बनर्जी के कारण पश्चिम बंगाल की राजनीति में टीएमसी की स्थिति और ज्यादा बेकार हो गई, क्योंकि वह अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं रख पाए। ममता बनर्जी भतीजा प्रेम में अंधी होकर उन्हें प्रमुखता देती चली गईं। कुछ ऐसी ही स्थिति अब मायावती की भी दिखाई दे रही है, क्योंकि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मायावती तो कहीं नहीं दिखाई दीं, लेकिन उन्होंने अपना सारा जिम्मा भतीजे आकाश को दे दिया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ही बीएसपी का कार्यकर्ता वर्ग बिखरा पड़ा है। इतना ही नहीं बीएसपी का कार्यकर्ता वर्ग आकाश को तवज्जो भी नहीं दे रहा है, जिसकी वजह से बसपा सुप्रीमो मायावती का राजनीतिक पतन होगा। यह सब ठीक उसी तरह हो रहा है, जैसा अभिषेक बनर्जी के कारण पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ हुआ था।