दशकों पुरानी कांग्रेस पार्टी आज भारत में एक असंगत पार्टी बन कर रह गई है। कांग्रेस पार्टी की इस हालात का एक बहुत बड़ा कारण है पार्टी की चुनावी रणनीति। पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रक्रिया में है और कांग्रेस पार्टी फिर से अपने पुराने विफल एजेंडे को चुनाव में भुनाना चाहती है। राहुल गांधी एक बार फिर चुनाव में राफेल डील के मुद्दे को सामने लेकर आए हैं।
बता दें कि, इससे पहले कांग्रेस राफेल का मुद्दा 2019 लोकसभा चुनाव के साथ-साथ कई राज्य के चुनावों में भी उठा चुकी है। इसके बावजूद जनता ने कांग्रेस की निराधार बातों के ऊपर ध्यान नहीं दिया था, जिसके परिणाम स्वरूप कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
हाल में ही राफेल मामले को लेकर फ़्रांस की एक पत्रिका ने दावा किया है कि, राफेल डील को पूरा कराने के लिए एक बिचौलिया को 11 लाख यूरो (करीब 9.48 करोड़ रुपए) की दलाली दी गई थी। रिपोर्ट के अनुसार फ्रेंच की भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी (AFA) ने 2018 को पेमेंट के बारे में पता चला था और उसके बाद राफेल जेट की निर्माता कंपनी Dasault से जवाब मांगा था, लेकिन Dasault ने जवाब देने से इंकार कर दिया था।
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रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी अपना पुराना राफेल का राग अलापने में लग गई है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”क्या डसॉल्ट की ओर से दिखाया गया 11 लाख यूरो का क्लाइंट को गिफ्ट वास्तव में मध्यस्थ को दी गई दलाली है। दो सरकारों के बीच हुई डील में या भारत में किसी भी रक्षा खरीद में अनिवार्य रक्षा प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए मध्यस्थ और कमीशन की मंजूरी की अनुमति कैसे दी जा सकती है ?”
रणदीप सुरजेवाला ने आगे कहा, ”क्या भारत के सबसे बड़े रक्षा सौदे में पूर्ण और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता नहीं है, ताकि पता लगाया जा सके कि वास्तव में कितनी रिश्वत और दलाली दी गई और यदि दी गई तो भारत सरकार में किसे ? कांग्रेस पार्टी ने यह भी पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर देश को जवाब देंगे ?”
कांग्रेस द्वारा लगाए गए इस आरोप के जवाब में केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “फ्रांस के जर्नल ने ये बात कही है, लेकिन उसमें सुसेन गुप्ता का नाम आया था। सुसेन गुप्ता कौन है, ये वही है जिसे हमारी सरकार के समय गिरफ्तार किया था और उसका संबंध कांग्रेस के किन-किन लोगों से है। सलमान खुर्शीद ने तो कहा था कि वो सुसेन गुप्ता के परिवार को जानते हैं। मुझे लगता है कि पहले राहुल गांधी ही बिना तैयारी के बोलते थे, लेकिन अब उनके प्रवक्ता भी ऐसा बोलने लगे हैं।”
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बता दें कि, कांग्रेस ने साल 2019 में राफेल के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक घसीटा था, जिसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, “हमें नहीं लगता कि राफेल विमान सौदा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने या बेवजह जांच का आदेश देने की जरूरत है।” सुप्रीम कोर्ट के बाद CAG ने भी राफेल सौदे में किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं पाया था। हालांकि, CAG ने अपनी रिपोर्ट में ऑफ-सेट डील को लेकर चिंता जताई थी, लेकिन साथ में यह भी कहा कि, 2016 की डील कांग्रेस के 2007 वाले डील से 9 प्रतिशत कम में तय हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट और CAG की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस राफेल के मुद्दे को लेकर चुप थी। उदाहरण के लिए बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने राफेल का मुद्दा एक बार भी नहीं उठाया था। लेकिन अब फ्रेंच पत्रिका में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए राफेल डील को फिर से चुनाव के बीच लाने का प्रयास किया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ऐसा पहली बार कर रही है। इससे पहले 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा को राफेल डील के बहाने से राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर घेरेने की कोशिश कर चुकी है, लेकिन भाजपा जनता के सामने विस्तृत सच लेकर आई थी। उस दौरान भाजपा ने कांग्रेस सरकार में हुए बोफोर्स घोटाला और अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले को भी जनता को याद दिलाया था।
जैसे भारत में तमाम वामपंथी पोर्टल है जैसे द क्विंट, द वायर, द प्रिंट, द लौरा, द लहसन
जो हर हफ्ते कोई न कोई सनसनीखेज खबर छापते हैं और हर हफ्ते किसी न किसी कोर्ट में लिखित माफी मांगते हैं
ऐसे ही फ्रांस में वामपंथियों के तमाम पोर्टल हैं उन्हीं में से एक पोर्टल है जिसका नाम है मीडिया पार्ट
उस मीडिया पार्ट पोर्टल में एक खबर छपी फ्रांस की कंपनी दशा एविएशन ने भारत में राफेल डील के लिए 1 मिलीयन यूरो किसी मिडिलमैन को दिया
अपने दावे के पक्ष में उस पोर्टल ने कोई डॉक्यूमेंट दस्तावेज नहीं दिए जबकि यूरोप अमेरिका में यदि कोई कंपनी किसी डील के लिए ब्राइब देती है तब उसे लीगल माना जाता है और वह उसे अपनी बैलेंस शीट में भी दिखाती है अमेरिका में तो दलाली को एक लीगल पेशा माना जाता है लेकिन दशा एविएशन के बैलेंस शीट में भी इसका जिक्र नहीं है कोई भी कंपनी 1 मिलीयन यूरो यूं ही नहीं एडजस्ट कर सकती है जबकि इस कंपनी के मालिकों में खुद फ्रांस सरकार और यूरोप के कुछ और देश भी है
अगस्तावेस्टलैंड में अगस्तावेस्टलैंड की बैलेंस शीट पर मिशेल को पैसे देने का एंट्री था बोफोर्स में भी बोफोर्स कंपनी की बैलेंस शीट में एंट्री थी
खैर यह बातें छोड़िए जब मैंने थोड़ा पता लगाया कि इस मीडिया पार्ट के मालिक कौन है तब पता चला कोई एडवे प्लेेनेल है
यह पूरी जिंदगी इस्लामिक देश अल्जीरिया में रहे अपने कैरियर की शुरूआत ही फ्रांस की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र रिवॉल्यूशनरी कम्युनिस्ट लीग अखबार से किया तीन दशक तक कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र से जुड़े रहे उसके बाद जब कम्युनिस्ट पार्टी आफ फ्रांस ने अपना एक पोर्टल मीडिया पार्ट बनाया तब ये उसमें पार्टनर बन गए
बस आप समझ जाइए जब राफेल पर भारत का विपक्ष सुप्रीम कोर्ट से लेकर जनता के दरबार में फेल हो गया तब उसने अपने फ्रांस के अपने पार्टनर कम्युनिस्ट पार्टी आफ फ्रांस से मिलकर कितना घटिया खेल खेला और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इस फर्जी पोर्टल के खबर पर घाघरा उठा कर डांस कर रहे हैं अबे हिजड़ों तुम नाचो हम मौज करेंगे