कुछ घटनाओं की पुनरावृत्ति प्रशासन पर बड़े सवाल खड़े करती है, और हैदराबाद में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा कोरोना प्रोटोकॉल का लगातार हो रहा उल्लंघन इसका उदाहरण है। बाजारों और मस्जिदों तक से प्रतिदिन खबरें सामने आती हैं कि भारी भीड़ कोरोना संक्रमण की वजह बन सकती हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। पुलिस प्रशासन ने क्या कार्रवाई की? इसका किसी के पास कोई हिसाब नहीं है। खास बात ये है कि देश में कोरोना संक्रमण के लिए पीएम मोदी की नीतियों की आलोचना करने वाले हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी अपने क्षेत्र में नियमों की धज्जियां उड़ते देख मुंह में दही जमाए बैठे हैं। ये ज़ाहिर करता है कि प्रशासन द्वारा लोगों को कुछ ज्यादा ही छूट दे दी गई है।
देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के कारण प्रतिदिन करीब साढ़े तीन लाख नए मामले सामने आ रहे हैं, और दैनिक मौतों का आंकड़ा 4,000 तक पहुंच चुका है। ऐसे में जब कोरोना प्रोटोकॉल के पालन की सबसे अधिक आवश्यकता है, तो उस वक्त में हैदराबाद से लगातार इनके उल्लंघन की खबरें आ रही हैं। एक बार फिर यही हाल हैदराबाद के चारमीनार के आस-पास से सामने आया है जहां ईद की खरीदारी करने के लिए बाजार ठसाठस भर गए। एक तरफ जहां कोरोना काल में दो गज दूरी की का संदेश दिया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर यहां बाजारों में पैर रखने तक की जगह नहीं है।
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हैदराबाद में लॉकडाउन लगा हुआ है, चार घंटे के लिए मार्केट खुलती है, ताकि लोग जरूरी सामान ले सकें। हालांकि, यहाँ स्थिति बेहद ख़तरनाक हो गईं है। ईद के दौरान जब मार्केट खुलने की छूट मिल रही है, तो लोग बिना कुछ सोचे-समझे निकल रहे हैं। सरकार का कहना है कि लोगों को नमाज़ भी घर से ही पढ़नी चाहिए, लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सरकार के आदेशों की खुलकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। हैदराबाद के सांसद जो लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलकर उन्हें कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, वो इस मुद्दे पर बस लोगों से अपील करके अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
कुछ दिन पहले भी हैदराबाद के इसी चारमीनार से ऐसी ही भीड़ की भयानक तस्वीरें सामने आईं थीं, जो कोरोनाकाल में किसी का भी दिल दहला दें। ऐसा नहीं है कि उसके बाद प्रशासन ने कोई सबक लिया, बल्कि ईद से पहले जुमे की नमाज के दिन लोगों ने हैदराबाद की ही मक्का मस्जिद में हजारों की संख्या में जुटकर नमाज़ अदा की। खास बात ये भी है कि यहां जुटे लोगों ने मास्क तक नहीं लगाया था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक बार फिर ऐसी ही खबरें आना दिखाता है कि कहीं-न-कहीं इन लोगों को प्रशासन द्वारा संरक्षण मिला हुआ है।
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एक तरफ तेलंगाना में कोरोना के एक्टिव केस करीब 60,000 से ज्यादा हैं, तो दूसरी ओर इस भीड़ को देखकर भी तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की आंखे नहीं खुली हैं। इन दोनों का नगर निगम में गठबंधन है, शायद इसीलिए लोगों को अराजकता फ़ैलाने की छूट मिल गई है। इस स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि इस मुद्दे पर तुष्टीकरण का खेल चल रहा है, जिसमें नुक़सान आम जनता का ही है।