National Commission for Protection of Child Rights यानि NCPRC ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों का डेटा Unicef और गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझा करने के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है। NCPCR के मुताबिक उसे मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों द्वारा Unicef और कुछ NGOs के साथ अनाथ हुए बच्चों का डेटा साझा करने की रिपोर्ट्स मिली है, जिसके बाद दोनों राज्यों की सरकारों को पत्र लिखकर ऐसा ना करने की नसीहत दी गयी है।
बता दें कि पिछले कुछ समय में सोशल मीडिया पर अनाथ हुए बच्चों से जुड़ी जानकारी को पोस्ट किया जा रहा है। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने से संबन्धित प्रचार सामाग्री भी देखने को मिल रही है। इसपर NCPCR ने गहरी चिंता जताई है और राज्य सरकारों को किसी गैर-सरकारी संस्था के साथ अनाथ हुए बच्चों का डेटा साझा ना करने को कहा है।
इसपर NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने साफ़ किया कि बच्चों से जुड़ा डेटा किसी भी बाहरी एजेंसी के साथ साझा नहीं किया जा सकता है। उनके मुताबिक “देश में दो ऐसी सरकारी संस्थाएं हैं, जिनके साथ यह डेटा साझा किया जा सकता है। एक है महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और दूसरा है खुद NCPCR! इन्हीं के पास इन बच्चों से संबन्धित अधिकार और ज़िम्मेदारी है। अगर बच्चों का डेटा Unicef और गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझा किया जाता है तो इससे बच्चों का अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल का खतरा बढ़ जाएगा और इस डेटा का अनुचित उपयोग भी किया जा सकता है।”
NCPCR ने कोविड महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के डेटा को UNICEF के साथ साझा करने पर रोक लगा दी है। NCPCR का कहना है कि इस तरह की जानकारी किसी बाहरी एजेंसी के साथ साझा करना हमारे देश के बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। pic.twitter.com/OLBDy9P3YL
— Mahima Pandey (@Mahimapandey90) June 23, 2021
राज्यों को लिखे गए पत्र में आगे लिखा गया है “अनाथ हुए बच्चों का डेटा किस प्रकार इस्तेमाल किया जाएगा, इसको लेकर हमें बहुत चिंताएँ हैं। यह साफ़ नहीं है कि भारत सरकार की किस संस्था ने यूएन की एजेंसी को भारतीय बच्चों का डेटा प्राप्त करने का अधिकार दिया है?”
कोरोना महामारी के दौरान देशभर में अनाथ हुए बच्चों के भविष्य की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। उनकी देखभाल हेतु केंद्र सरकार और राज्य की कई सरकारों द्वारा कई योजनाओं का ऐलान कर दिया गया है। ऐसे में NCPRC की चिंता है कि कहीं ये अनाथ बच्चे गलत हाथों में ना चले जाएँ, ताकि ये बच्चे किसी गैर-जिम्मेदार व्यक्ति के लिए सिर्फ आर्थिक लाभ कमाने का जरिया ना बन जाएँ।
अनाथ हुए बच्चे अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों का सबसे आसान शिकार होते हैं। इन अनाथ बच्चों को कब्जे में लेकर कई बार इनकी तस्करी कर दी जाती है तो कई बार इन्हें अवैध गतिविधियों में धकेल दिया जाता है। देशभर में हुए CAA प्रदर्शनों के दौरान भी यही देखने को मिला था। दिसंबर 2019 में NCPCR ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर नसीहत दी थी कि जो भी लोग इन प्रदर्शनों में बच्चों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह पूरी तरह अवैध है और उन लोगों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
Juvenile Justice Act की धारा 83(2) के तहत अगर कोई भी व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह अवैध गतिविधियों में बच्चों का इस्तेमाल करता पाया जाता है तो उसे अधिकतम 7 साल की जेल की सज़ा और 5 लाख का जुर्माना भरना पड़ सकता है। NCPCR अब यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोरोना की मार झेल चुके बच्चे अब अनाथ होने के बाद गलत हाथों में ना चले जाएँ! इसीलिए NCPCR की ओर से अब सब राज्यों को अनाथ बच्चों से जुड़ा डेटा किसी के साथ भी साझा न करने की नसीहत दी गयी है।