राजदीप सरदेसाई को वामपंथी धड़े का बड़ा पत्रकार माना जाता है। कह सकते हैं कि राजदीप वामपंथी पत्रकारों के नेता हैं। अब नेता होने के नाते लेफ्ट का एजेंडा चलाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है, ऐसे में वामपंथी पत्रकार राजदीप अपनी एजेंडेबाजी से कभी नहीं चूकते। अब देखिए, लव जिहाद को ही उन्होंने अपनी अदालत में क्लीन चिट दे दी है। वामपंथी पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने जज राजदीप सरदेसाई बनकर फैसला दिया है कि लव जिहाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं, बल्कि इसका जश्न मनाया जाना चाहिए।
हालांकि, ये बात दूसरी है कि राजदीप की इस बात पर हर कोई हंस रहा है और अब हम और आप लोगों की हंसी रोक भी कैसे सकते हैं, और रोकें भी क्यों जब बंदा खुद ही अपनी बेइज्जती कराने पर तुला है। राजदीप सरदेसाई ने एक आर्टिकल लिखा और उसमें कहा कि लव जिहाद मुस्लिमों के ख़िलाफ़ है, यानी यहां एक बात तो साफ है कि मुस्लिम लव जिहाद कर रहे हैं इसे राजदीप स्वीकार करते हैं तभी तो उन्होंने कहा कि लव जिहाद मुस्लिमों के खिलाफ है।
उनके मुताबिक लव जिहाद केवल मुस्लिमों के प्रति नफरत को जाहिर करने का शब्द बनकर रह गया है। उन्होंने लव जिहाद के खिलाफ बने कानून को प्रेम विरोधी और संविधान के खिलाफ बताया है। यही नहीं कश्मीर के हालिया सिख युवतियों के साथ हुए लव जिहाद के कांड को भी राजदीप ने एक फर्जी एजेंडा बताया है। अपने लेख में राजदीप सरदेसाई ने हजारों लव जिहाद की घटनाओं के संबंध में एक शब्द नहीं लिखा। राजदीप की बोलती उन घटनाओं पर नहीं खुलती जिनमें लव जिहाद करके हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। हजारों ऐसी घटनाएं हैं जिनमें लव जिहाद किया गया, लेकिन राजदीप इसका जश्न मनाने की बात कर रहे हैं।
राजदीप ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने सबसे पहले लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया था। राजदीप का कहना है कि लव जिहाद के लिए एक अलग कानून की कोई आवश्यकता नहीं थी। राजदीप के मुताबिक कानून के तहत उन जोड़ों को ही टारगेट किया जाता है जिनमें युवक मुस्लिम व युवती हिंदू होती है।
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राजदीप कश्मीर में सिख युवतियों के साथ हुए लव जिहाद को बीजेपी का एजेंडा बता रहे हैं। हालांकि, ये बात अलग है कि जिस मीडिया संस्थान में वो काम करते हैं यानी इंडिया टुडे और आजतक, उसी मीडिया संस्थान ने इन घटनाओं की विस्तृत रिपोर्टिंग की और लोगों को बताया कि कैसे कश्मीर में लव जिहाद का केस हुआ।
वामपंथी राजदीप सरदेसाई ने कश्मीर के लव जिहाद के कांड को दिल्ली में बैठे बीजेपी और कट्टर दक्षिणपंथियों का फर्जी एजेंडा बताया है। उन्होंने कहा कि कानूनों से प्रेम का अपराधीकरण हो गया है। राजदीप चाहते हैं कि महिलाएं खुद तय करें कि उन्हें किससे शादी करनी हैं, किसी भी अन्य राजनीतिक और सामाजिक व्यक्ति को इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। यकीनन, राजदीप की बात सही हैं लेकिन जब धोखा हो, तब क्या?
जब मोहित, सोनू, अतुल, और राजदीप नाम बताकर हिंदू लड़कियों से शादी कर ली जाए और बाद में धर्म परिवर्तन कराने का दवाब डाला जाए, तब क्या ? जब सैकड़ों केसों में लव जिहाद साबित हो जाए, हिंदू लड़की को मार दिया जाए, तब क्या ? राजदीप ने अनेक मुस्लिमों और हिन्दुओं के बीच हुए अंतर्धार्मिक सफल विवाहों का उदाहरण दिया, लेकिन उन्होंने इस देश में सैकड़ों-हजारों उन हिंदू लड़कियों को भुला दिया जोकि लव जिहाद से पीड़ित हैं।
चलिए छोड़ देते हैं राजदीप ने क्या कहा- सीधे कानून की बात करते हैं। जितने भी बीजेपी शासित राज्यों में लव जिहाद का कानून है, उसमें साफ लिखा है कि जब कोई व्यक्ति अपना धर्म छिपाकर किसी महिला या पुरुष के साथ विवाह करता है, तो वो लव जिहाद की श्रेणी में आता है। खास बात ये है कि शादी के बाद ही वो शख्स महिला पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाता है।
ये कानून किसी एक विशेष धर्म के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए है, अब कानून बनने के बाद सबसे ज्यादा केस मुस्लिम समाज से संबंधित युवकों के ही आ रहे हैं तो जाहिर है कि उनके द्वारा लव जिहाद का रैकेट चलाया जा रहा है। हाल ही में आगरा से भी एक पूर्व आईएएस अधिकारी की विधवा बेटी के साथ हुए लव जिहाद और धर्मांतरण का केस सामने आया था, जोकि राजदीप और उनके जैसे वामपंथी पत्रकारों के लिए लव जिहाद और धोखाधड़ी का सटीक उदाहरण है क्योंकि उस केस का आरोपी एक नहीं बल्कि कई घटनाओं को अंजाम दे चुका है।
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अभी तक इसको लेकर केवल हिन्दू समाज के लोग ही बोल रहे थे, लेकिन कश्मीर में सिख युवतियों के साथ हुए कांड के बाद ये मामला सिखों के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है। सच ये है कि राजदीप सरदेसाई ने एजेंडे का और हिंदुओं से नफरत का इतना मोटा चश्मा लगा रखा है कि लव जिहाद का सच वो देखना ही नहीं चाहते, क्योंकि वो भी जानते हैं कि लव जिहाद का सच बहुत ही क्रूर है।