TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    रणनीति और दृष्टि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व की असली पहचान

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    नरेंद्र मोदी: वडनगर से विश्व मंच तक, राजनीति के नए युग की कहानी

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    भारत-अमेरिका: टैरिफ युद्ध, कूटनीतिक खेल और बैकडोर डील की कहानी

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    हालात : भू-राजनीतिक टकराव का अखाड़ा बना दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे: मोदी की रणनीति, अमेरिका की बेचैनी और भारत का संतुलन

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    भारत का नया खेल: जानें ग्रेट निकोबार प्रोजेक्ट पर क्यों पैसे लगा रही सरकार

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    सीजफायर पर ट्रंप की किरकिरी, पाकिस्तान ने भी माना भारत का पक्ष

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    भूमध्यसागर में भारत की दहाड़: आईएनएस त्रिकंद ने बढ़ाया नौसैनिक परचम

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    सऊदी–पाकिस्तान रक्षा समझौता: भारत क्यों चिंतित नहीं?

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    यूएन में भारत का प्रहार: पाकिस्तान की असफलता और भारत की मजबूती का खुलासा

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

    जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत

    जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    पेरियार: मिथक, वास्तविकता और तमिल अस्मिता के साथ विश्वासघात

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    दिव्य और भव्य होगा हरिद्वार कुंभ 2027: सीएम धामी ने दिये ये निर्देश

    “रक्षा साझेदारी की नई उड़ान: भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57, रूस ने दिखाया भरोसा”

    भारत में ही बनेगा सुखोई Su-57 ! अमेरिका से तनाव के बीच रूस से आई ये खबर इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    “सेमीकॉन इंडिया 2025 में बोले पीएम मोदी, इनोवेशन और निवेश से भारत बनेगा टेक्नोलॉजी सुपरपावर

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    भविष्य की झलक: पीएम मोदी ने की टोक्यो से सेंदाई तक बुलेट ट्रेन की सवारी

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

मोपला नरसंहार: 1921 कोई अकेली घटना नहीं थी, 1836 से 1921 के बीच 50 से अधिक दंगे हुए थे

भाग-3

Aniket Raj द्वारा Aniket Raj
15 September 2021
in इतिहास
मोपलाओं

साभार: The Hindu

Share on FacebookShare on X

1921 में केरल के मलाबार में हुए हिंदुओं के नरसंहार पर TFI द्वारा प्रस्तुत सीरीज के पिछले अंकों में हमने देखा कि कैसे मलिक इब्न दिनार के नेतृत्व में 15 मुस्लिम प्रचारकों का दल क्रैंगानोर उतरा और वहीं से उद्भव हुआ मापिल्ला मुस्लिमों का। सहिष्णुता का स्वभाव है शरण देना इसलिए हमारी सहिष्णु संस्कृति ने सम्मान और स्वतंत्रता सहित उन इस्लाम प्रचारकों को इस पावन धरा पर बसाया। ये ही मोपला कहलाएं। परंतु, सर्वदा की तरह हमारी सहिष्णु संस्कृति को पुनः विश्वासघात मिला। हमारे इस उपकार के बदले 10 मस्जिद निर्माण मिले और उन मस्जिदों के माध्यम से मोपलाओं ने व्यापक स्तर पर गरीब हिन्दूओं को धर्मांतरित कराया। फलस्वरूप अप्रत्याशित जनसंख्या वृद्धि के कारण जनसांख्यिकी परिवर्तन हुआ। हम सभी जानते हैं कि जनसंख्या वृद्धि और इस्लामिक धर्मांधता में अनुपातिक संबंध है।

इस कारण मालाबार के मोपला मुसलमानों में इस्लामी ख़िलाफत का सिद्धांत पनपा। दूसरे अंक में हमने देखा कि कैसे इसी सिद्धांत ने हैदर-टीपू की बर्बरता को आमंत्रण दिया और फिर इसी बर्बरता और हिन्दू प्रतिकार के कारण उसका पतन हुआ। शासक तो गया पर सोच नहीं गयी। निर्वासित हिन्दू के न्यायोचित पुनर्वापसी ने मोपलाओं को आत्मग्लानि से भर दिया। इन घटनाओं ने मोपला को प्रतिशोध के लिए दुष्प्रेरणा दी। परिणाम स्वरूप, हिंदुओं का धार्मिक उत्पीड़न हुआ और समाज के चिरनिद्रा के कारण मोपला के रूप में इस प्रतिशोध की परिणीति हुई।

संबंधितपोस्ट

मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार: जिहादी जल्लादों ने उसकी बहन को उठाना चाहा तब हाथ में हंसिया ले अकेले कूद पड़ी नारायणी

मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार का सच: इस्लाम न अपनाने पर 10,000 हिंदुओं की हत्या कर दी गई

मोपला हिंदू विरोधी नरसंहार: क्यों आवश्यक है “मोपला नरसंहार दिवस”

और लोड करें

इस अंक में हम उन्हीं दंगों का सच जानेंगे जो मलाबार नरसंहार के पूर्व घटित हुईं और उन पर प्रकाश डालेंगे ताकि आपको मोपला दंगों और उसके पीछे की बर्बर इस्लामी सिद्धांत को समझा सकें।

मोपला नरसंहार पर विशेष सीरीज के इस अंक में बताऊंगा कि कैसे टीपू सुल्तान की मौत के बाद हिंदुओं की मलाबार वापसी ने मोपिल्ला मुस्लिमों को हिंदुओं के खिलाफ जिहाद के लिए दुष्प्रेरणा दी। इस अंक में 50 से अधिक उन दंगों का भी सच जानेंगे जिसे 1836 से 1921 के बीच हिंदुओं के विरुद्ध किया गया था।

टीपू की मौत और हिंदुओं के पुनर्वापसी के कारण मोपला मुस्लिम औपनिवेशिक सत्ता पर क्रोधित थे, पर कुछ कर नहीं सकते थे। ऊपर से अंग्रेजों ने टीपू के परिवार को उसके बारह बच्चों सहित पेंशन से निर्वासित कर दिया था। अपने क्रूर और धर्मांध नायक की ऐसी दुर्दशा देखकर मोपला मुस्लिम और क्रोधित हुए। वे इस्लामिक कट्टरता की ओर और मुखर हुए। प्रथम विश्व युद्ध में ऑटोमन साम्राज्य का पतन और ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता द्वारा ऑटोमन साम्राज्य के शासक और मुस्लिम जगत के खलीफा मुस्तफा कमाल पाशा को पदच्युत करने की घटना से राष्ट्रवाद के पवित्र भावना की जगह खिलाफत का उदय हुआ। हमारे राजनेताओं ने छद्मराष्ट्रवाद  के नाम पर ऐसी जिहादी विचारधारा का संरक्षण किया। इस संरक्षण से मोपलाओं को शह मिला। सहिष्णु और सभ्य हिन्दू समाज ने उनके इस उन्माद और पशुता के झंझावातों को झेला। यह विद्वेष दंगे, विभाजन, धार्मिक उत्पीड़न और इस्लामिक क्रूरता के माध्यम से शनैः शनैः प्रकट होते रहे।

मोपला सिर्फ एक कट्टर इस्लामी खिलाफत की स्थापना की लिए किए गए धार्मिक नरसंहार से अधिक कुछ नहीं है जिसका नियंत्रण पाकिस्तान के हाथों में था ठीक वैसे ही जैसे आज का तालिबान है। युद्ध करने के पुरस्कार स्वरूप पशुता और अराजकता की खुली छूट मिली। इस विभीषिका के फलस्वरूप ‘जो कुछ मिले सब तुम्हारा चाहे वो फसल हो या हिन्दू स्त्रयों का शील ही क्यों न हो’ सिधान्त का पालन हुआ।

सिर्फ, बल से ही नहीं अपितु छलपूर्वक सामाजिक असुरक्षा और वैमनस्य का दोहन कर ग़रीब हिंदुओं को व्यापक पैमाने धर्मांतरित किया गया। जिहाद के नाम पर उनकी सम्पति और स्त्रियों को लूटने के लिए दुष्प्रेरित किया गया। यही तालिबानी सोच उन 50 से भी अधिक सांप्रदायिक दंगों का कारण बनी और फिर अपने उत्कर्ष को प्राप्त कर अगस्त के मोपला नरसंहार में परिणित हुई। कुछ लोग इसमें राष्ट्रवाद और भूमि सुधार का अंश डालकर मज़हबी नशे को धार्मिक नैवेद्य में परिवर्तित करने का सतत षड्यंत्र रच रहें है। इस अंक में तथ्यों और तर्कों को प्रस्तुत कर मोपला पर आपके वैचारिक भ्रमजाल को तोड़ेंगे। आइये, नरसंहार के माध्यम जनसांख्यिकीय परिवर्तन कर बलपूर्वक इस्लामिक निरंकुशता की स्थापना का सतत प्रयास के कुछ प्रमाण और मानक उदाहरण देखते हैं। कालीकट, केरल के तत्कालीन सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर दीवान बहादुर सी. गोपालन नायर ने ‘द मोपला रिबेलियन, 1921‘ नामक पुस्तक में तथ्यों और भीषण घटनाओं की पूरी श्रृंखला को लिखा है।

हिंदुओं के विरुद्ध दंगों की अनवरत कथा

वर्ष 1836 से लेकर 1921 के बीच में मोपला के मुस्लिमों द्वारा लगभग 50 हिंसक गतिविधियों का उल्लेख किया गया है। इनमें से एक दर्जन से अधिक घटनाएँ तो केवल 1836 के पश्चात हुई हैं, और इन सभी हिंसक घटनाओं में एक बात समान थी – ये सब ग्रामीण क्षेत्रों में हुए। लगभग सभी गतिविधियां कालीकट और पोन्नानी के बीच के क्षेत्र में सीमित थीं, एवं इनमें तीन को छोड़कर समस्त घटनाओं में हिन्दू पीड़ित और मोपला के मुस्लिम शोषक थे। ये उपद्रव बहुत मामूली थे और कई तो नियंत्रित भी कर लिए गए, क्योंकि आक्रान्ताओं की संख्या सीमित थी और केवल तीन बार ही तीस से अधिक मोपलाओं ने एक हमले में भाग लिया। कैंब्रिज प्रेस के शोध में इस तथ्य को उद्धृत किया गया है।

1852 में, टी एल स्ट्रेंज के अध्यक्षता में गठित विशेष समिति ने अपने अन्वेषण में पाया कि इन विद्रोह का मुख्य कारण इस्लामी प्रचारकों द्वारा धर्मांतरण और धर्म के आधार पर सामाजिक विभेद पैदा करना था। इतना ही नहीं मामला इतना संवेदनशील था कि स्ट्रेंज को मोपला आक्रोश अधिनियम, 1854 पारित करना पड़ा और इस को लागू करने के लिए एरनाड में विशेष पुलिस बल की भी नियुक्ति करनी पड़ी।

  • अक्टूबर 1843 में 7 मोपलाओं ने एक साथ, धारदार हथियार से अपने हिन्दू सैन्य साथियों पर हमला कर दिया था।
  • 4 जनवरी 1852 दो सौ मोपलाओं की भीड़ द्वारा समर्थित चोरियोट मयन और चौदह अन्य लोगों ने कलात्तिल केशवन तंगल के घर और परिवार को उजाड़ दिया, मंदिरों को तोड़ दिया, तथा वहाँ उपस्थित सभी 18 लोगों की नृशंस हत्या कर घरों को जला दिया।
  • 17 सितंबर 1865 को तीन मोपला मुस्लिमों ने एक शंगु नायर की हत्या कर दी थी। पहले तो यह सामान्य हत्या प्रतीत होती है परंतु इसकी योजना कई दिनों पूर्व ही बनाई गयी थी और कारण था धर्म। इसी प्रकार की घटना 1873, 1877, 1879, 1880, 1883, 1884 में भी हुईं।
  • 1 मई 1885 मापिल्लाओं का एक समूह जिसमें टीवी वेरन कुट्टी और ग्यारह अन्य शामिल थे, कुट्टी करियानंद नामक एक चेरुमन (दास जाति) के घर पर हमला कर दिया, उसकी पत्नी और उनके चार बच्चों की हत्या कर दी, और घर को अग्नि के हवाले कर दिया और पास के एक मंदिर का भी विध्वंश कर दिया।
द मोपला रिबेलियन, 1921
  • 1894 में तो पांडिकड़ में मोपलाओं का एक गिरोह घूमता रहता था। वे रास्ते में आने वाले नायरों और ब्राह्मणों पर हमला करके और उन्हें मारने के अलावा मंदिरों को अपवित्र और जलाने का कुकृत्य भी करते थे। सेना और पुलिस ने सभी को गोली मार दी।
  • 1896 का विध्वंश तो अत्यंत विनाशकारी था। विभीषिका लंबी अवधी तक चलती रही। उच्च वर्ग के हिंदुओं विशेषकर ब्राह्मणों पर 99 बार हमले हुए। दिन प्रति दिन मोपलाओं की क्रूरता बढ़ती गयी और पूरा प्रदेश आतंकित किया गया, हिंदुओं की हत्या कर दी गई या उनकी शिखाएँ काट दी गयी तथा उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया। मंदिरों का विध्वंश किया गया। आंकड़ों के अनुसार 352 मोपलाओं ने 29 बार में इसे पूरा किया। 1849 और 1896 के धार्मिक शोषणकाल में भाग लेनेवाले 40 प्रतिशत मोपलाओं की औसत आयु करीब 23 वर्ष थी। अर्थात इस्लामी चरमपंथ ने भावी पीढ़ी को अपने नियंत्रण में ले चुका था।
  • 1896 में तो मोपलाओं ने मंजेरी मंदिर पर बलपूर्वक अधिकार कर लिया। इस मध्य पुलिस अभियान में मरने वाले मोपलाओं ने स्वर्गम, हूर और जिहाद के संदर्भ में बातें की। इस्लामिक चरमपंथ किस स्तर तक उनके मन मस्तिष्क पर हावी था, आप अनुमान लगा सकते हैं। इन सभी घटनाओं का सी. गोपालन नायर ने ‘द मोपला रिबेलियन, 1921’ में क्रमानुसार उल्लेखित किया है।
  • इसी प्रकार फरवरी 1919 में, एक पूर्व मोपला हेड-कांस्टेबल के नेतृत्व में कट्टरपंथियों के एक समूह ने मंदिरों में तोड़फोड़ की, उनके रास्ते में आने वाले लगभग हर ब्राह्मण और नायर की हत्या कर दी।
द मोपला रिबेलियन, 1921

इसी के बाद 28 अप्रैल 1920 को मंजरी में आयोजित मालाबार जिला सम्मलेन में खिलाफत आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ। 30 अप्रैल 1920 मोपला दंगो के सबसे बड़े चरमपंथी और तथाकथित नेता अब्दुल्ला कुट्टी मुसलियारी ने खिलाफत के समर्थन में उत्तेजक भाषण दिया। अगले दिन पन्नूर मस्जिद में अब्दुल्ला कुट्टी मुसलियारी को ऐसी धर्मांध पुनरावृति करने से नायर और तियार समुदाय के लोगों ने रोक दिया। निरंकुश इस्लामिक शासन की स्थापन में हिन्दू बाधक बने। मोपला मुसलमानों ने प्रतिशोध में गाँव के हिन्दू अधिगरि के पूजास्थल को ध्वस्त कर दिया। कृषक विरोध और छद्मराष्ट्रवाद की मिथ्या अवधारणा गढ़ने वाले वामपंथियों को ध्यान देना चाहिए – मंदिर तोडा गया, फसल और ज़मीन का अधिग्रहण नहीं हुआ था।

तब 1921 में हुआ हिंदुओं के नरसंहार का वह तांडव जिसे मलाबार नरसंहार या मोपला नरसंहार कहा जाता है। इस नरसंहार को अगले अंक में विस्तृत रूप से देखेंगे।

निष्कर्ष

मोपला नरसंहार के प्रामाणिक उल्लेखों में से एक दीवान बहादुर सी. गोपालन नायर की पुस्तक ‘द मोपला रिबेलियन 1921’ है जिसके एक उद्धरण के अक्षरसः हिंदी अनुवाद से आप मोपला दंगों के सारांश को समझ जायेंगे :-

… यह केवल कट्टरता नहीं थी, यह कृषि संबंधी परेशानी नहीं थी, यह गरीबी नहीं थी, जिसने अली मुसलियार और उनके अनुयायियों को प्रेरित किया। सबूत निर्णायक रूप से दिखाते हैं कि यह खिलाफत और असहयोग आंदोलनों का प्रभाव था जिसने उन्हें अपने अपराध के लिए प्रेरित किया। यह वही है जो वर्तमान को पिछले सभी प्रकोपों ​​​​से अलग करता है। उनका इरादा, हालांकि यह प्रतीत हो सकता है, बेतुका था, ब्रिटिश सरकार को नष्ट करना और हथियारों के बल पर खिलाफत सरकार को प्रतिस्थापित करना। (विशेष न्यायाधिकरण, कालीकट की फाइल पर 1921 के केस नंबर 7 में निर्णय।) …

स्मरण रहे, 1920 में मोहनदास करमचंद गांधी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया। अपने सिद्धांतों के सफलता हेतु राष्ट्रवाद की तिलांजलि देते हुए गांधी ने ख़िलाफत को समर्थन दिया, जिससे मोपलाओं के हिंसक गतिविधियों तो और बल मिला। नृशंस मोपला नरसंहार के पूर्व हुए ये 50 दंगे कोई माला में पिरोये रत्न नहीं है। अपितु, काफ़िर रहित-जग हेतुक-सदा युद्धरत अर्थात जिहाद के माध्यम से ‘’देवों के देश’’ को दारुल इस्लाम में परिवर्तित करने का सतत प्रयास था। मोपला के दंगे इस्लामिक कट्टरपंथ का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

हम प्रयासरत हैं कि इस घटना को भावी पीढ़ी के लिए आदर्श सीख बना सकें। भारत में इस्लामिक कट्टरपंथ को अभी तक वैसा संरचनात्मक आधार तो नहीं मिला है, पर मोपला जैसी ऐतिहासिक घटनाएं वैचारिक रूप से इनके विद्यमान होने का संकेत देती रहती है। इस अंक के माध्यम से आपको सत्य से अवगत कराना था। अगले अंक में हमारा प्रयास इस पक्ष पर रहेगा कि कैसे ओटोमन साम्राज्य के पतन के कारण खिलाफत आंदोलन हुआ जिसके बाद मलाबार में हिंदू विरोधी नरसंहार हुआ। प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश राज से इस्लामिक इतिहास के आदर्श ऑटोमोन साम्राज्य के ख़लीफ़ा मुश्तफ़ा कमाल पाशा की अपमानजनक पराजय ने मालाबार के मोपला मुसलमानों को आत्मग्लानि और धार्मिक विद्वेष से भर दिया। इसी विद्वेष के अंकुर से किस प्रकार मोपला दंगो के अंकुर फूटे इसका रोचक इतिहास समझेंगे। ऑटोमन साम्राज्य अर्थात तुर्की के शासक की पराजय किस तरह इस्लामिक एकता और सहानुभूति को राष्ट्रहित से ऊपर कर देती है, इसका मार्मिक इतिहास कहेंगे। तब तक के लिए साधुवाद।

भाग 1 – मोपला नरसंहार: कैसे टीपू सुल्तान और उसके पिता हैदर अली ने मोपला नरसंहार के बीज बोए थे

भाग 2- मोपला नरसंहार: टीपू सुल्तान के बाद मोपला मुसलमानों और हिंदुओं के बीच विभाजन का कारण 

Tags: खिलाफत आंदोलनमालाबारमोपला नरसंहार
शेयर75ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

पेप्सिको ने केरल से समेटा कारोबार, उत्तर प्रदेश में प्लांट किया स्थापित

अगली पोस्ट

सुनील भारती मित्तल- वो व्यक्ति जिनकी उपलब्धि को कम सराहा गया

संबंधित पोस्ट

पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव
इतिहास

पाकिस्तान का असली चेहरा: आतंकवाद की राज्य-नीति और भारत का उभरता नैरेटिव

18 September 2025

पाकिस्तान का जन्म ही असुरक्षा और कट्टरता की ज़मीन पर हुआ था। 1947 के बाद से ही उसने अपनी राजनीतिक असफलताओं को छुपाने और जनता...

अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प
AMERIKA

अमेरिका का रक्तपिपासु सभ्यता-नैरेटिव और भारत का शांतिपूर्ण विकल्प

18 September 2025

दुनिया का इतिहास अक्सर विजेताओं के शब्दों में लिखा गया है। लेकिन कभी-कभी, अगर हम गहराई से देखें तो इस इतिहास की तहों में रक्त,...

जंगलराज की जड़ें: बिहार के अंधेरे दौर की शुरुआत
इतिहास

जंगलराज : लालू-राबड़ी राज की स्याह विरासत

18 September 2025

बिहार की राजनीति में जब “जंगलराज” शब्द उभरा, तो यह किसी विपक्षी नेता की गढ़ी हुई परिभाषा नहीं थी। यह उस दौर की सच्चाई थी,...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

What Pakistan Planned After Hyderabad’s Surrender Will Shock You| Untold Story of Op Polo

What Pakistan Planned After Hyderabad’s Surrender Will Shock You| Untold Story of Op Polo

00:03:43

Inside the Waqf Case: What SC’s Interim Order Really Means?

00:19:34

Where Is Kerala Heading? | The Shocking Truth of CPM’s Hate Towards Hindus

00:05:16

How China’s Military Reach Rises on the Backs of Its Silenced Citizens?

00:08:27

Why Congress Wants to Erase Chhatrapati Shivaji Maharaj from Public Memory?

00:06:37
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited