पाकिस्तान और चीन दोनों ही भारत के शत्रु हैं जिनका ध्येय हमेशा से विस्तारवाद और अधिग्रहण करने का रहा है। इनकी संकुचित और संकीर्ण मानसिकता, और विस्तारवाद की लालसा किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में अब भारतीय नौसेना इनकी तुच्छ हरकतों का करारा जवाब देने के लिए अपनी लड़ाकू तकनीकों को सुदृढ़ करने में लग चुकी है और शीघ्र ही देश के लिए यह सुखद क्षण आने वाला है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय नौसेना ने मंगलवार को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ भारत के पहले स्वदेशी निर्मित नौसैनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम (एनएडीएस) के लिए “हार्ड किल” और “सॉफ्ट किल क्षमताओं” के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कदम ने जहाँ एक ओर भारत की सेना के विश्वास में बढ़ोतरी की है, तो वहीँ शत्रु देशों की स्थिति ऐसी कर दी है कि लगी आग Burnol से भी न बुझे।
यह सौदा, 27 जून को पाकिस्तान द्वारा जम्मू वायु सेना स्टेशन को निशाना बनाने के लिए छोटे ड्रोनों का इस्तेमाल करने के दो महीने बाद हुआ है। इसके बाद से ही रक्षा मंत्रालय ने अपनी सूझ-बूझ के अनुरूप इस अनुबंध का खाका तैयार करना प्रारम्भ कर दिया था। बीते मंगलवार को भारतीय नौसेना ने देश की पहली घरेलू रूप से निर्मित नौसैनिक एंटी-ड्रोन सिस्टम (एनएडीएस) की आपूर्ति के लिए राज्य के स्वामित्व वाली रक्षा फर्म भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे जो अब दुश्मन को ढ़ेर करने में सहायक होने वाला है।
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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित स्वदेशी NADS भारत के सशस्त्र बलों को हवाई वाहनों का पता लगाने, अवरोधन और नष्ट करने की क्षमता भी प्रदान करेगा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, काउंटर-ड्रोन तकनीक लक्ष्यों को बेअसर करने के लिए एक लेजर-आधारित Kill तंत्र का उपयोग करेगी। एक बयान में कहा गया है कि, “यह रणनीतिक नौसैनिक प्रतिष्ठानों के लिए ड्रोन के बढ़ते खतरे के लिए एक प्रभावी सर्वव्यापी काउंटर होगा।” जिस दिशा में रक्षा मंत्रालय बढ़ते हुए औचक निर्णय ले रहा है निश्चित ही भारत सीमाओं पर मजबूती प्राप्त करेगा और यह तब और जरुरी हो जाता है जब पड़ोसी देश में एक और शांति भंग करने वाला तत्व बढ़ गया है, जिसके हाथ में आज अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता है यानी तालिबान।
अब जब दुश्मनों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है तब भारत द्वारा सतर्कता में कोई कोर-कसर छोड़ने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता।
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भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की राह में, बीईएल, सेना और वायु सेना के एंटी-ड्रोन सिस्टम की आपूर्ति के लिए अनुबंधों पर हस्ताक्षर करेगा। ज्ञात हो कि, भारतीय सशस्त्र बलों ने सबसे पहले गणतंत्र दिवस परेड 2020, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पिछले साल मोटेरा स्टेडियम की यात्रा और इस साल प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम तैनात किया था।
इस तकनीक में लेजर-आधारित किल मैकेनिज्म के अलावा, सिस्टम 150 मीटर (0.09 मील) से एक किलोमीटर (0.6 मील) दूर माइक्रो-ड्रोन का पता लगाने और जाम करने के लिए इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर और रेडियोफ्रीक्वेंसी डिटेक्टरों का उपयोग करने की क्षमता है, जो दुश्मन के षडयंत्रों और साजिशी मंसूबों को त्वरित नेस्तनाबूत कर देता है।
अब ऐसी तकनीक से पड़ोस के कथित शांतिदूतों की घिग्घी क्यों नहीं बंधेगी! भारत, अब रक्षा क्षेत्र में एकाग्रचित होते हुए जिस प्रकार सीढ़ी दर सीढ़ी कुशलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है उससे देश के जनमानस में एक अलग ही उत्साह है। दुख के मेघ तो दुश्मन के घरों में छाए हुए हैं, जो काफी सुखद है।