कर्नाटक देश में सबसे अधिक एफडीआई आकर्षित करने वाला राज्य बन गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में अप्रैल से जून महीने के बीच में देश में आए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 48% हिस्सा कर्नाटक में निवेश हुआ है। कर्नाटक के उद्योग मंत्री मुरुगेशनी रानी ने बताया कि कर्नाटक ने 3 महीने में 62,085 करोड़ रुपये का एफडीआई आकर्षित किया है। कर्नाटक देश में एफडीआई आकर्षित करने के मामले में प्रथम स्थान पर रहा जबकि दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है जो कर्नाटक से लगभग आधी मात्रा में, यानी 30,141 करोड़ रुपये एफडीआई के रूप में आकर्षित कर सका है।
कर्नाटक के इस प्रदर्शन के पीछे कर्नाटक सरकार की उद्योग समर्थक नीतियां रही हैं। कर्नाटक सरकार ने लक्ष्य रखा है कि वह 2025 तक भारत के तीसरे सबसे बड़े निर्यातक राज्य के रूप में कर्नाटक को स्थापित कर सके। इसके लिए कर्नाटक सरकार ने प्रतिवर्ष 10% की इंडस्ट्रियल ग्रोथ रेट का लक्ष्य रखा है तथा अगले 5 वर्षों में औद्योगिक विकास के द्वारा 20 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही कर्नाटक में इन 5 वर्षों में 5 लाख करोड़ रुपए का एफडीआई निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
कर्नाटक सरकार उठा चुकी है कई कदम
महत्वपूर्ण बात यह है कि कर्नाटक सरकार पहले से विकसित जिलों के स्थान पर उन जिलों को प्राथमिकता दे रही है जो अब तक पिछड़े रहे हैं। इसके लिए जिलों को उनके औद्योगिक विकास के आधार पर जोन में बांटा गया है। इसके लिए Special Investment Region एक्ट पास किया गया है जिसके द्वारा 100 वर्ग किलोमीटर के इंडस्ट्रियल टाउन विकसित किए जाएंगे। सरकार टेक्सटाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों तक सभी क्षेत्रों में औद्योगिक विकास की संभावना तलाश रही है। कर्नाटक सरकार के कर्नाटक उद्योग मित्र ‛KUM’ योजना ने औद्योगिक इकाइयों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया है। KUM जो कि कर्नाटक सरकार की इंडस्ट्रियल प्रमोशन आर्म ‛IPA’ है, उसे National investment promotion and facilitation agency ने भारत की सर्वश्रेष्ठ IPA माना है। इतना ही नहीं सरकार पहले से आवंटित ऐसी औद्योगिक भूमि, जिसका अभी तक पूर्ण उपयोग नहीं किया जा सका है, उसे पुनः अधिग्रहित करने के लिए योजना बना रही है जिससे नए उद्योगों को भूमि आवंटन किया जा सके। औद्योगिक विवादों को सुलझाने के लिए इंडस्ट्रियल अदालत की स्थापना की जाएगी।
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सरकार राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में नए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित कर रही है। हुबली के हावेरी जिले के शिग्गांव में टैक्सटाइल पार्क खोलने की योजना है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि यह इंडस्ट्रियल कॉरिडोर 1,000 एकड़ में फैला होगा। साथ ही केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु की तरह ही कर्नाटक में डिफेंस इंडस्ट्री स्थापित करने और नया डिफेंस कॉरिडोर बनाने का अनुरोध किया गया है।
उद्धव के नेतृत्व में महाराष्ट्र की हो रही गिरावट
एक और जहां महाराष्ट्र में वुहान वायरस की मार अब भी औद्योगिक इकाइयों को प्रभावित किए हुए हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है वहीं दूसरी ओर कर्नाटक दिन प्रतिदिन विकास के नए स्तर को छू रहा है। फडणवीस सरकार के दौरान महाराष्ट्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के मामले में भारत के राज्यों प्रथम स्थान पर आता था। लगातार 4 वर्षों तक प्रथम स्थान पर रहने वाले महाराष्ट्र में देश का 44% एफडीआई आकर्षित होता था। उद्धव सरकार में यह घटकर 23% रह गया है। इसमें से भी अधिकांश निवेश फडणवीस सरकार के दौरान किए गए समझौतों के कारण हो रहे हैं।
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महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा जब सत्ता में थी तब भी शिवसेना स्थानीय किसानों और लोगों के विरोध को मुद्दा बनाकर हर महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को अटकाने का प्रयास करती थी। रत्नागिरी न्यूक्लियर पावर प्लांट, नाणार ऑयल रिफायनरी प्लांट, आरे मेट्रो प्रोजेक्ट इसके उदाहरण हैं। एक और तो शिवसेना भाजपा के शासन में हर महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को भटकाती रही और अब जब स्वयं सरकार चला रही है, तो उसके शासन में उद्योगों को सरकारी अक्षमता के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है। एफडीआई तो केवल एक पहलू है, वर्ष 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि महाराष्ट्र का निर्यात वर्ष 2018-19 में 5,08,975 करोड़ रुपये से गिरकर 3,51,096 करोड़ रह गया था। यह स्थिति तब थी जब वुहान वायरस ने दुनिया को अपनी चपेट में नहीं लिया था। वहीं कर्नाटक की बात करें तो पिछली कांग्रेस समर्थित कुमारस्वामी सरकार जहाँ लोकप्रियता के फेर में इंडस्ट्री की उपेक्षा कर रही थी वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार में कर्नाटक के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने का काम किया है।