कोरोना के बाद द्वीप देश ताइवान सबसे मजबूती से चीन के सामने चुनौती पेश कर रहा है। सबसे पहले दिसंबर 2019 में कोरोना का मुद्दा उठाने वाला ताइवान अब चीन के लिए नासूर बन चुका है। यही कारण है कि समय-समय पर चीन ताइवान के खिलाफ सैन्य शक्ति इस्तेमाल करने का डर दिखाता रहता है। कभी अपने फाइटर जेट भेज कर तो कभी समुद्री रास्ते से। हालांकि, ताइवान दिन प्रतिदिन एक क्षेत्र में इतना ताकतवर हो चुका है कि चीन के लिए अब उसके खिलाफ सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करना नामुमकिन है और अगर चीन हमला करना चाहे भी तो उसे कई देशों के कोपभाजन का शिकार बनना पड़ सकता है। यह क्षेत्र है सिलिकॉन चिप के निर्माण का। अगर यह कहा जाए कि ताइवान अब चीन के खिलाफ सिलिकॉन शील्ड से सुरक्षित है तो गलत नहीं होगा। ताइवान की सिलिकॉन शील्ड हर साल मजबूत होती जा रही है।
दरअसल, सिलिकॉन आधारित उत्पाद, जैसे कंप्यूटर और नेटवर्किंग सिस्टम किसी भी विकसित देश का आधार बनते हैं। आज यही अमेरिका, जापान और अन्य विकसित देशों में डिजिटल अर्थव्यवस्था का मूलभूत आधार हैं। पिछले एक दशक में, ताइवान अमेरिका और जापान के बाद तीसरा सबसे बड़ा सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर उत्पादक बन कर उभरा है। अगर चीन ताइवान के खिलाफ सैन्य आक्रमण करता है तो इन उत्पादों की आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा दुनिया से कट जाएगा। अचानक सिलिकॉन और सॉफ्टवेयर पर निर्भर वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी अर्थव्यवस्था में व्यवधान का खतरा बढ़ा देगा।
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इससे अमेरिका, जापान और यूरोप में सूचीबद्ध प्रौद्योगिकी कंपनियों के बाजार मूल्य से खरबों डॉलर का सफाया हो जाएगा। एसर, क्वांटा कंप्यूटर और ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग जैसी ताइवान की कंपनियों के कारखानों या सप्लाई लाइनों को नुकसान पहुंचाने का चीनी प्रयास आईबीएम, डेल कंप्यूटर, एचपी और सिस्को सिस्टम्स सहित विशाल अमेरिकी फर्मों के खिलाफ एक अप्रत्यक्ष लेकिन घातक कार्रवाई होगी जो कि ताइवानी कंपनियों पर निर्भर हैं।
ताइवान की अर्थव्यवस्था को बाधित करने या नष्ट करने के लिए कोई भी सैन्य कार्रवाई करने से पहले चीन को दस बार सोचना होगा।
बता दें कि “सिलिकॉन शील्ड” पहली बार 2000 के अंत में क्रेग एडिसन द्वारा गढ़ा गया था, जिन्होंने अपनी पुस्तक “सिलिकॉन शील्ड: ताइवान्स प्रोटेक्शन अगेंस्ट चाइनीज अटैक” में तर्क दिया था कि दुनिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में द्वीप देश का उदय किसी भी संभावित चीनी आक्रमण के खिलाफ “एक निवारक” के रूप में काम करेगा।
चीन धमकी देकर ताइवान पर दबाव बनाता रह गया, लेकिन ताइवान को दुनिया के लिए एक प्रौद्योगिकी प्रदाता के रूप में उदय को रोकने में असमर्थ रहा है। ताइवान अब डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए हार्डवेयर का एक प्रमुख स्रोत है। इससे न सिर्फ ताइवान को एक पहचान मिली है बल्कि विश्व के बड़े देश भी इस छोटे से देश पर निर्भर हैं।
ताइवान के अधिकांश प्रभुत्व का श्रेय ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी या TSMC को दिया जा सकता है, जो दुनिया की सबसे बड़ी फाउंड्री है। इस कंपनी के मुख्य ग्राहकों में Apple, Qualcomm और Nvidia जैसी प्रमुख प्रौद्योगिकी फर्म हैं। ट्रेंडफोर्स के आंकड़ों से पता चलता है कि TSMC ने पिछले साल वैश्विक स्तर पर कुल फाउंड्री राजस्व का 54% हिस्सा लिया था। लगभग 550 बिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ, यह दुनिया की 11वीं सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में शुमार है। ताइवान के चिप उत्पादन में व्यवधान से दुनिया भर में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण निर्माताओं को सालाना 490 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।
दूसरों को संदेह है कि चीन ताइवान के तकनीकी कौशल का लाभ उठाने के लिए अपने प्रयासों में तेजी ला सकता है। चीन के चिप्स बनाने के प्रयास विफल हो गए हैं क्योंकि चीन के पास इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक बौद्धिक संपदा तक पहुंच नहीं है। रिपोर्ट की मानें तो चीन इसके लिए ताइवानी युवाओं को आउटसोर्स कर रहा है।
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दुनिया को चाहिए कि ताइवान के हाई-टेक इंडस्ट्री के पक्ष में मजबूती से खड़ा हो जिससे ताइवान को चीनी आक्रमण से बचाया जा सके। यही नहीं सेमीकंडक्टर व्यवसाय पर ताइवान की पकड़ – बीजिंग द्वारा आक्रमण के लगातार खतरे के बावजूद – वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक चोक प्वाइंट को भी दर्शाता है जिसपर हमले की स्थिति में अमेरिका, जर्मनी, जापान जैसे देशों को एक्शन लेना ही पड़ेगा, क्योंकि एक्शन ना लेने की स्थिति में कार इंडस्ट्री से लेकर फोन निर्माण तक ठप हो सकता है। चीन द्वारा ताइवान पर सैन्य कार्रवाई Quad देशों के लिए खतरा पैदा कर सकता है। अमेरिका में आयोजित Quad सम्मेलन में भी इस पर परिचर्चा हुई। निक्केई की एक रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त बयान में बताया गया कि Quad के सदस्य राष्ट्र इस बात की पुष्टि करते हैं कि हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सेवाओं के लिए लचीला, विविध और सुरक्षित प्रौद्योगिकी आपूर्ति श्रृंखला उनके साझा हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में ये सभी देश भी एक साथ चीन के खिलाफ एकजुट होने से नहीं कतराएंगे। कुल मिलाकर अगर यह कहा जाए कि ताइवान का सिलिकॉन शील्ड चीन की नींद हराम कर रहा है तो कुछ गलत नहीं होगा।