एक कहावत है कि नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है, और कुछ नए-नए अंतरराष्ट्रीय न्यूज पोर्टल्स की स्थिति भी ऐसी ही होती है, जिसमें Zee Media Group का अंतरराष्ट्रीय पोर्टल WION (विऑन) भी शामिल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति पाने के लिए अक्सर कुछ संस्थान भारत के दक्षिणपंथी वर्ग के मुद्दों पर अंधी आलोचना करते रहते हैं, WION (विऑन) ने भी फैब इंडिया के दिवाली थीम ‘जश्न-ए-रिवाज़’ को लेकर हुई आलोचनाओं पर एक आर्टिकल प्रकाशित किया है। इस आर्टिकल में ये दिखाने की कोशिश की गई है कि सोशल मीडिया पर फैब इंडिया के विरुद्ध लोग बेवजह भड़क गए, जबकि भारत में कई ज्वलंत मुद्दे हैं, और जनता को उन पर चर्चा करनी चाहिए। स्पष्ट है कि विऑन, द प्रिंट जैसे मीडिया पोर्टल्स की राह पर निकल पड़ा है। ऐसे में यदि इस तरह के आर्टिकल्स प्रकाशित होना जल्द ही बंद न हुए, तो WION (विऑन) का बहिष्कार करने में दक्षिणपंथियों को ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
फैब इंडिया का डैमेज कंट्रोल
क्लोदिंग डेकोर और लाइफस्टाइल से संबंधित ब्रांड्स फैब इंडिया ने दिवाली को लेकर एक कैंपेन चलाया था, जिसे कंपनी ने ‘जश्न-ए-रिवाज’ नाम दिया था। इस कैंपेन को लेकर फैब इंडिया का खूब विरोध हुआ था ओर सोशल मीडिया पर फैब इंडिया को बायकॉट करने की मुहिम तक चल पड़ी थी। बीजेपी सांसद और पार्टी की युवा विंग के अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने इस मुद्दे पर फैब इंडिया पर जमकर हमला बोला था। लोगों ने ये तक कहना शुरू कर दिया कि कंपनी के कपड़ों या अन्य सामानों को न ही खरीदा जाए। ऐसे में हिंदुओं के बीच हुए इस संभावित नुकसान को देखकर कंपनी ने अपने कैंपेन को तुरंत न केवल बंद किया, अपितु एक नया ही कैंपेन लॉन्च किया जिसका नाम ‘झिलमिल सी दिवाली’ रखा गया है।
और पढ़ें- Fab India का ‘Jashn-e-Riwaz’ कैंपेन औंधे मुंह गिरा, जमकर मिली लताड़
विऑन ने दिया वामपंथी ज्ञान
फैब इंडिया ने कुछ गलत किया तो हिंदुओं ने लताड़ा, कंपनी ने अपनी की हुई गलती सुधार ली, लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे को जरूरत से ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे में Zee Media Group का अंतरराष्ट्रीय पोर्टल विऑन भी ज्ञान देने पर उतारू हो गया है। पोर्टल ने अपने लेख में कहा है कि एक ऐसे देश में जहां गरीबी, भूख, ईंधन की बढ़ती कीमतों, कोविड-19 के मामले और किसान आंदोलन के मुद्दे समाज के लिए मुसीबत हैं, उस वक्त में हम भारतीयों के पास अभी भी छोटी-छोटी बातों पर नाराजगी जताने का समय है। स्पष्ट है कि पोर्टल को फैब इंडिया का कारनामा एक बेहद साधारण बात लगती है, जो कि निश्चित तौर पर नहीं है।
WION का कहना है कि फैब इंडिया के कैंपेन में महिलाओं और एक पुरुष का एक समूह था, जिन्होंने ब्रांड के बेहतरीन कपड़े पहने थे- कुर्ता पायजामा जैकेट, कुर्ता और सुरुचिपूर्ण स्टोल और साड़ी के साथ स्कर्ट- सभी लाल और सोने के रंगों में थे, जो कि एक भारतीय पारंपरिक पोशाक का हिस्सा है। इस लेख का कहना है कि इस कैंपेन या विज्ञापन पर कुछ भी ऐसा नहीं था, जो हिंदू विरोधी हो। वहीं, इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा आलोचना करने वाले बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या पर भी विऑन ने खूब हमला बोला गया है। इसमें कहा गया कि कैंपेन में पुरुष मॉडल जिस कुर्ता पायजामा को पहने है, वह कुछ ऐसा है जिन्हें सूर्या को खुद संसद में अक्सर पहने देखा गया है। उन्हें नेहरू जैकेट में एक औपचारिक शर्ट और पतलून के साथ भी देखा गया है, जो कि एक ऐसा पहनावा है; जिसे हम भारतीयों ने पिछले 100 वर्षों में पश्चिम से उधार लिया है।
वहीं, साड़ी को लेकर भी WION (विऑन) ने भारतीय संस्कृति का उल्लेख किया है। आर्टिकल में लिखा है कि कि साड़ी में किसी अन्य मॉडल को पृष्ठभूमि में बैठे हुए दिखाया गया है, वह समस्या पैदा कर सकती थी, लेकिन साड़ी एक ऐसा पहनावा था जिसे दुनिया के लिए भारत का उपहार कहा गया है। वहीं, दिवाली को लेकर ज्ञान देते हुए WION ने कहा है कि भारत में दिवाली न केवल हिंदू अपितु अनेक धर्मों के लोग धूमधाम से मनाते हैं, इसलिए ये केवल हिंदुओं का त्योहार नहीं रह जाता है।
और पढ़ें- Brands विवादास्पद और नकारात्मक Ads को जानबूझकर बढ़ावा देते हैं क्योंकि वे ज्यादा बिकते हैं
फैब इंडिया को घेरा
WION (विऑन) ने अपने लेख के जरिए ये साबित करने की कोशिश की है कि सोशल मीडिया यूजर्स के दबाव में आकर फैब इंडिया ने जो कैंपेन वापस लिया, वो भी बेहद गलत है, और कंपनी को इतनी जल्दी किसी के भी दबाव में नहीं आना चाहिए। आर्टिकल का मर्म ये भी है कि मार्केटिंग और विज्ञापन का मतलब केवल अपने प्रोडक्ट्स की सेल बढ़ाना नहीं, अपितु समाज में बदलाव लाना भी होता है, और फैब इंडिया का पहले वाला ‘जश्न-ए-रिवाज’ कैंपेन कुछ ऐसा ही कर रहा था। पोर्टल ने इससे पहले तनिष्क के वापस लिए गये विज्ञापन को लेकर भी आलोचकों और दक्षिणपंथियों को घेरा है, जो कि WION (विऑन) की नई-नई बनी वामपंथी सोच को दर्शाता है।
विऑन का ये आर्टिकल पढ़कर कोई भी बड़ी आसानी से ये बोल सकता है कि ये किसी वामपंथी मीडिया का पोर्टल है, यद्यपि इसे चलाने वाला ZEE Media Group घोर दक्षिणपंथी माना जाता है। इन सबके बावजूद यदि विऑन इस तरह की रिपोर्ट लिख रहा है, जो स्पष्ट है कि पोर्टल की विचारधारा केवल अंतरराष्ट्रीय वामपंथी संगठनों की स्वीकृति पाने के लिए बदली गई है। ऐसे में नया वामपंथी बनने की कोशिश कर रहा विऑन अपने लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है, क्योंकि जिस तरह से The Print जैसे मीडिया संगठनों ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है, कुछ वैसा ही हाल विऑन का भी हो सकता है।