विश्व इतिहास में आपने प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय युद्ध और शीत युद्ध के बारे में जरुर सुना होगा। भारत में आपको साल 1965, 1971 और 1999 का करगिल युद्ध भी याद होगा। इन सभी युद्धों का एक विस्तृत इतिहास रहा है। इन युद्धों से परे एक और युद्ध है, जो पिछले दो साल से भारत में चल रहा है। यह युद्ध गुजराज राज्य के किसानों से जुड़ा हुआ है किन्तु आज इस दो साल पुराने युद्ध का अंत हुआ है। इस युद्ध का नाम है “आलू युद्ध।” दरअसल, आलू युद्ध कहने का अर्थ है कि PPV &FR (Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Authority)) ने बीते शुक्रवार को PepsiCo इंडिया को आलू की किस्म ‘FL-2027’ के लिये मिला पंजीकरण प्रमाणपत्र (पेटेन्ट) निरस्त कर दिया।
PepsiCo को लगा झटका
बता दें कि 2 वर्ष पहले जब PepsiCo ने किसानों पर FC-5 बीजों का उपयोग करके फसल उगाने के ‘अधिकारों का उल्लंघन’ करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद PepsiCo इंडिया ने 9 किसानों पर 1.05 करोड़ रुपये का मुकदमा दायर किया। PepsiCo इस किस्म से उगाए गए आलू का उपयोग अपने लोकप्रिय उत्पाद ‘लेज़ चिप्स’ बनाने के लिए करती है। PepsiCo के कदम के बाद, गुजरात और अन्य राज्यों के किसान संगठनों ने बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ एक अभियान शुरू कर दिया था और किसानों की तरफ से तत्काल सरकारी हस्तक्षेप की मांग की गई थी।
हालांकि, अब 2 साल बाद इस कानूनी युद्ध का फैसला आया है। PepsiCo को झटका देते हुए, भारत ने आलू की एक किस्म के लिए पेटेंट रद्द कर दिया है, जो पहले PepsiCo के आलू चिप्स यानि लेज़ लिए विशेष रूप से उगाई जाती थी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह आदेश शुक्रवार को प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटीज एंड फार्मर्स राइट्स (PPV & FR) अथॉरिटी द्वारा पारित किया गया है।
ये मामला जितना मामूली दिखता है, उतना है नहीं। साल 2019 में ही किसान संघों के विरोध के कारण, कंपनी द्वारा एक महीने के भीतर मुकदमा वापस ले लिया गया था। बाद में, किसान अधिकार कार्यकर्ता कविता कुरुगंती ने पेटेंट को रद्द करने के लिए PPV & FR में याचिका दायर की थी क्योंकि भारत किसी भी प्रकार के बौद्धिक अधिकार या बीज किस्मों के पेटेंट की अनुमति नहीं देता है।
किसानों की हुई जीत
PPV & FR अब कुरुगंती की याचिका से सहमत हो गया है और उसने FC-5 बीजों पर पेटेंट रद्द कर दिया है। कुरुगंती ने द हिन्दू को बताया, “यह फैसला भारतीय किसानों के लिए एक ऐतिहासिक जीत है। इसे किसी अन्य बीज या खाद्य निगम को भारत में कानूनी रूप से दी गई किसानों की बीज स्वतंत्रता का उल्लंघन करने से रोकना चाहिए।”
वहीं, किसान बीज अधिकार मंच के कपिल शाह ने द हिंदू से बात करते हुए कहा कि, “हम मानते हैं कि प्राधिकरण और सरकार की जिम्मेदारी है कि PPV & FR अधिनियम के तहत प्रत्येक आवेदक और पंजीकरण कराने वाले को पता चले कि उनके अधिकार, किसानों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं कर सकते हैं।” हालांकि, रद्द करने के फैसले PepsiCo के प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया, “हम PPV & FR अथॉरिटी द्वारा पारित आदेश से अवगत हैं और इसकी समीक्षा करने की प्रक्रिया में हैं।”
साल 2019 में PepsiCo द्वारा मुकदमा दायर करने वाले किसानों में से एक बिपिन पटेल भी थे। उन्होंने इस सन्दर्भ में कहा है कि, “आदेश भारत के किसानों के लिए एक बड़ी जीत है, और किसी भी फसल की खेती करने के उनके अधिकार की पुष्टि करता है।”
ऐसे में, किसानों के हित में लिया गया यह फैसला स्पष्ट करता है कि पेटेंट का खेल भारत में नहीं चलेगा। कंपनी चाहे किसी भी क्षेत्र से हो, आपको भारत का कानून मानना पड़ेगा। भारत ने PepsiCo को यही समझाने की कोशिश की है, बस अच्छे शब्दों में वह आलू युद्ध का फैसला लग रहा है। वहीं, इस फैसले के बाद भारत के किसान अब कहीं का भी बीज इस्तेमाल कर सकते हैं।