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भारत में रिवर्स ब्रेन ड्रेन का प्रभाव दिखना शुरू हो चुका है, थोड़ी प्रतीक्षा कीजिए!

प्रतीक्षा का फल मीठा ही होगा!

Yashwant Singh द्वारा Yashwant Singh
30 January 2022
in अर्थव्यवस्था
Indian Startups

Source- TFIPOST

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ब्रेन ड्रेन के बारे में आपने बहुत कुछ सुना होगा। भारत इस बीमारी का दंश एक लंबे समय से झेल रहा है लेकिन अब जो हो रहा है, उससे यह लग रहा है कि भारत में रिवर्स ब्रेन ड्रेन का प्रारंभ हो चुका है। ये पूर्ण रूप से रुका नहीं है, परंतु हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। भारत में कुछ नया हो रहा है। भारत में भारत की प्रतिभा रुक रही है। लोग अपने प्रतिभा को लेकर आशान्वित हैं और भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की चहुंमुखी प्रगति इस दिशा में सोने पर सुहागा के समान काफी लाभकारी सिद्ध हो रही है। अब भारत में स्टार्टअप्स, प्रगति का नया पर्याय सिद्ध हो रहे हैं और शीघ्र ही भारत में स्टार्टअप्स के लिए अमेरिका और चीन से अधिक अनुकूल और अधिक लाभकारी वातावरण होने की संभावना है। वो कैसे?  इसके कई प्रमुख कारण हैं। 

1. चीन से भारत आ रहे हैं निवेशक

चीन की डगमगाती अर्थव्यवस्था से परिचित विदेशी निवेशक एक ऐसे अर्थव्यवस्था की तलाश में हैं, जो उनके लिए विशाल भी हो और चीन की भांति उन्हें घुटन और असहजता न दे। ऐसी स्थिति में उनका ध्यान भारतीय बाजारों की ओर है। इसी दिशा में अनेक विदेशी निवेशकों ने भारत में निवेश की शुरुआत भी कर दी है। निवेशक दौड़ दौड़कर भारत आ रहे हैं। ध्यान देने वाली बात है कि चीन में निवेशक कुछ ही क्षेत्र में सीमित हैं।

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2. अमेरिका के बिगड़े नियम कानून

अर्थशास्त्र के जनक एडम स्मिथ का कहना था कि “यदि व्यापार की कोई शाखा या श्रम का कोई विभाजन जनता के लिए फायदेमंद हो, तो प्रतिस्पर्धा जितनी अधिक मुक्त और सामान्य होगी, यह हमेशा उतना ही अधिक होगा।” स्मिथ का यह कथन आज के परिप्रेक्ष्य में इसलिए भी प्रासंगिक है, क्योंकि भारत के बाजार, विशेषकर स्टार्टअप उद्योग को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे भारतीय बाजार पर कोरोनोवायरस महामारी का कोई विशेष असर नहीं पड़ा है और वह सम्पूर्ण विश्व के लिए एक असरदार विकल्प के रूप में उभरना चाहता है। ध्यान देने वाली बात है कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माने जाने वाले अमेरिका की समृद्धि इस समाए ढलान पर है। वर्ष 2021 के भारतीय शेयर बाजार में केंद्रीय बैंकों द्वारा सहायक घरेलू नीतियों और दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सिनेशन योजना के आधार पर एक ऐतिहासिक उछाल देखने को मिला है।

कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी और आव्रजन संबंधी मुद्दों तथा अनिश्चित कारोबारी माहौल के कारण, अमेरिका ने कई प्रतिभाशाली भारतीयों को लौटने के लिए मजबूर किया है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, कड़ी वीजा व्यवस्था और अमेरिका में अवसरों के बंद होने से रिवर्स ब्रेन ड्रेन होना शुरू हो गया है।

यही नहीं, भारतीय स्टार्ट-अप और सॉफ्टवेयर उत्पाद कंपनियां उन इंजीनियरों और प्रोग्रामर्स को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, जो या तो लॉकडाउन के कारण भारत में फंसे हुए हैं या फिर उन्हे एच-1बी वीजा धारक होने के कारण नौकरी से निकाल दिया गया। स्टार्ट-अप और सॉफ्टवेयर कंपनियां इसे अपने प्रतिभा आधार को समृद्ध करने के अवसर के रूप में देख रही हैं। यूं कहें तो भारत आपदा को अवसर में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। एचआर फर्मों और उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि वे उन लोगों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो वीजा प्रसंस्करण की अनिश्चितताओं के कारण घर वापस आ रहे हैं।

3. भारत में मजबूत हो रहे हैं अवसर

भारत में बढ़ते अवसरों और साथ ही महामारी के प्रभाव के कारण वर्ष 2020 के दौरान भारी संख्या में देश के उद्यमियों ने वापसी की है। भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय आर्थिक विभाग अपने लक्ष्य को प्राप्त कर रहा है और नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। अब नए स्टार्टअप्स की ही बात कर लीजिए। भारत में स्टार्टअप को लेकर एक नया जोश है। भारत में नए-नए तौर तरीकों से नए-नए व्यापार खुल रहे है। वर्ष 2021 से पहले पूरे भारतीय इतिहास में 30 यूनिकॉर्न स्टार्टअप खुले थे, लेकिन 2021 में ही अकेले 41 यूनिकॉर्न स्टार्टअप खुले हैं। ध्यान देने वाली बात है कि वर्ष 2018 में आठ यूनिकॉर्न स्टार्टअप ने नाम बनाया, वर्ष 2019 में इनकी संख्या 9 और वर्ष 2020 में इनकी संख्या 11 रही, लेकिन वर्ष 2021 में 42 यूनिकॉर्न देखे गए हैं, जो उसके पिछले साल की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है।

पिछले कुछ वर्षों से ऐसे स्टार्टअप्स के बढ़ने के कई कारण रहे हैं। पिछले दशक में अमेरिका और अन्य यूरोपीय बाजारों में लगभग शून्य ब्याज दरों की वजह से वैश्विक बैंकिंग प्रणाली में लिक्विडिटी की कमी देखी गई है। इसने वैश्विक पूंजी को भारत जैसे अन्य बाजारों में उच्च विकास दर का पीछा करने के लिए प्रेरित किया है। निजी इक्विटी फर्म जनरल अटलांटिक में भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रबंध निदेशक और प्रमुख संदीप नाइक ने कहा, “तीन कारकों ने यहां हमारी विकास की कहानी को आगे बढ़ाया है।” नाइक ने कहा कि भारत में विकास की कहानी का एक हिस्सा “वैश्विक लिक्विडिटी की दीवार” है, जिसमें निवेशक विकास का पीछा कर रहे थे।

नाइक ने कहा, “भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को शुरू हुए अभी तीन से चार साल हुए हैं, क्योंकि जियो ने डेटा और स्मार्टफोन को सस्ते और व्यापक आबादी के लिए सुलभ बनाया है।” उन्होंने आगे कहा, यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब भारत का “युवा, आत्मविश्वास से भरे उद्यमियों का उत्पादन कर रहा है, जो अपने 20 और 30 के आयु वर्ग में हैं और अधिक जोखिम लेने की भूख के साथ आगे बढ़ रहे हैं।” यानी भारतीय बाजार बुलिश हो गया है।

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1 साल में स्टार्टअप्स ने जुटाए $40 बिलियन

इसके अलावा, प्रारम्भिक निवेशकों ने शानदार लाभ देखा है, जिससे अन्य निवेशकों से देश में अधिक पूंजी आकर्षित करने में मदद मिली है। इस साल 42 यूनिकॉर्न द्वारा जुटाई गई राशि कोई मामूली राशि नहीं है। VCCircle के डेटा और रिसर्च प्लेटफॉर्म VCCEdge द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, इन 42 यूनिकॉर्न ने निजी इक्विटी (PE) और वेंचर कैपिटल (VC) फर्मों से कुल मिलाकर 12.5 बिलियन डॉलर से अधिक की नई पूंजी जुटाई है। इसके अलावा, वर्ष 2021 में स्टार्टअप द्वारा जुटाई गई कुल पूंजी का अनुमान $40 बिलियन से अधिक है।

कुछ स्टार्टअप्स ने इस साल कई बार पूंजी जुटाई। नतीजतन, Meesho, OfBusiness, Cred और Razorpay जैसे स्टार्टअप्स का मूल्यांकन एक साल में तीन या चार गुना तक बढ़ गया है। जिस देश में कभी रिलायंस को लाइसेंस के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती थी, आज उसी देश में अब स्टार्टअप्स का मेला सा लग चुका है। उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली गैर-लाभकारी संस्था TiE- दिल्ली तथा प्रबंधन और रणनीति सलाहकार ज़िनोव द्वारा तैयार की गई अक्टूबर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025 तक 100 यूनिकॉर्न सहित 62,000 स्टार्टअप की मेजबानी करने के लिए तैयार है।

इसके अतिरिक्त अर्ली-स्टेज वेंचर कैपिटल फंड 3one4 कैपिटल का अनुमान है कि वर्ष 2025 में स्टार्टअप्स की संख्या बढ़कर 100,000 हो जाएगी और इसी अवधि में 150 से अधिक यूनिकॉर्न होंगे। 3one4 Capital के अनुसार, भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम का मूल्यांकन वर्ष 2025 तक तीन गुना बढ़कर $1 ट्रिलियन पहुंचने की संभावना है। ध्यान देने वाली बात है कि भारत स्टार्टअप के मामले में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा देश है। ऐसे में भारत में हर उद्यमी सकारात्मक है और भारत में अपने प्रतिभा के दम पर राज कर सकता है। आने वाला समय देश के स्टार्टअप्स का है, जो देश की प्रगति में भी चार चांद लगाएंगे, और देश के ब्रेन ड्रेन को कम करने में भी भरपूर योगदान देंगे।

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Tags: मोदी सरकारयूनिकॉर्नस्टार्टअप
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