देश में अपनी गायकी से अमिट छाप छोड़ने वाली लता मंगेशकर के देहावसान ने इस क्षेत्र में एक रिक्त स्थान छोड़ दिया है। उनके निधन से पूरा राष्ट्र शोकाकुल है। लोग सोशल मीडिया के जरिए उन्हें याद कर रहे हैं। लेकिन हर समाज में कुछ राष्ट्रविरोधी नफरती लोग होते हैं और वह भारत में भी हैं। ध्यान देने वाली बात है कि जब लता मंगेशकर के निधन की खबर सामने आई, हर कोई सन्न रह गया। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर देश-विदेश की तमाम हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन काफी लोगों ने उनके निधन पर भी उनसे नफरत ही दिखाया। बहुत से लोगों ने अपनी कुंठित मानसिकता को सबके सामने रख दिया हैं। भारत के स्वघोषित लिबरलों ने भी अपने गन्दे विचारों को प्रदर्शित किया। लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत में रहने वाले ये लिबरल लता मंगेशकर से नफरत क्यों करते रहें? इसका उत्तर एकदम सरल और स्पष्ट है। इस आर्टिकल में हम आपको लिबरलों द्वारा लता मंगेशकर से नफरत करने के कारणों से अवगत कराएंगे!
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1. बचपन से ही राष्ट्रभक्त रहीं लता मंगेशकर
वर्ष 1929 में जन्मी लता मंगेशकर ने भारत को अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए और फिर दशकों में विकसित होते हुए देखा। उन्होंने बहुत कम उम्र में अपना करियर शुरू किया और सैकड़ों धुनों को अपनी आवाज दी। उन्होंने कई देशभक्ति गाने गाएं, जो आज भी लोगों की पसंद बने हुए हैं। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी’, दिवंगत महान गायिका के सबसे प्रिय देशभक्ति गीतों में से एक है। यह गीत वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि थी। दिल दहला देने वाली इस गाने के धुन ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू ला दिए थे।
वहीं, 1965 की फिल्म शहीद का “मेरा रंग दे बसंती चोला” एक ऊर्जावान गीत है, जो हर भारतीय के दिल में बसता है। इस गाने को मुकेश महेंद्र कपूर और लता मंगेशकर ने गाया था। यह आज भी देश के सबसे पसंदीदा गानों में से एक है। साथ ही वर्ष 1971 का गीत “जो समर में हो गया अमर”, स्वर कोकिला का एक और देशभक्ति गीत है। इस गीत के माध्यम से गायक द्वारा भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। यह महान गायक की आवाज में एक प्रार्थना गीत है।
इसके अलावा लता मंगेशकर और एआर रहमान के वंदे मातरम गाने पर पूरे देश का दिल है। यह गीत वर्ष 1997 में संगीतकार के स्टूडियो एल्बम के एक भाग के रूप में जारी किया गया था। यह मातृभूमि के लिए एक शक्तिशाली श्रद्धांजलि है। वहीं, लता मंगेशकर की सुरीली आवाज हर राष्ट्र प्रेमी के रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है। वीर ज़ारा का गाना सबको याद होगा। इस फ़िल्म का गाना “ऐसा देश है मेरा” एक बहुत प्रिय गीत है। इस गाने में लता मंगेशकर की आवाज फिल्म की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। ध्यान देने वाली बात है कि इस गाने को लता मंगेशकर ने 75 वर्ष की आयु में रिकार्ड किया था।
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2. लता मंगेशकर और POTA कानून
लता मंगेशकर ने अपने जीवन में कभी भी बुनियादी मूल्यों से समझौता नहीं किया और वह POTA कानून के समर्थन में रही। गायिका लता मंगेशकर, जो राज्यसभा की मनोनीत सदस्य थी, भले ही एक सक्रिय सांसद न रही हों, लेकिन उन्होंने आतंकवाद निरोधक विधेयक के पक्ष में मतदान किया था, जिसे वर्ष 2002 में संसद के एक दुर्लभ संयुक्त सत्र में पारित किया गया था। मंगेशकर को नवंबर 1999 में संसद के उच्च सदन के लिए भाजपा द्वारा नामांकित किया गया था और उन्होंने 21 नवंबर, 2005 को अपना कार्यकाल पूरा किया।
लता ताई शायद ही कभी राज्यसभा की कार्यवाही में शामिल होती थी। हालांकि, तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री प्रमोद महाजन ने राज्य सभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या की उपस्थिति सुनिश्चित की थी, जब 21 मार्च, 2002 को आतंकवाद रोकथाम अध्यादेश को बदलने के लिए सदन ने आतंकवाद रोकथाम विधेयक पर मतदान किया गया था। तब लता मंगेशकर सदन में उपस्थित हुई थी और उन्होंने POTA के समर्थन में मतदान किया था। एक आरटीआई में यह पता चला कि अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कभी भी एक सांसद के रूप में प्राप्त भत्ते और चेक को नहीं छुआ। दस्तावेज़ से पता चला कि वेतन लेखा कार्यालय से मंगेशकर को किए गए सभी भुगतान वापस कर दिए गए थे।
3. राम जन्मभूमि को दिया आवाज
बताते चलें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रविवार की सुबह महान गायिका लता मंगेशकर के निधन पर दुख व्यक्त किया, उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने श्री राम भजन रिकॉर्ड किया था और उन्हें भेजा था, जब वह वर्ष 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक अपनी राम रथ यात्रा शुरू करने वाले थे।
उन्होंने अपने कार्यालय द्वारा जारी एक शोक पत्र में कहा, “लता जी लोकप्रिय गायकों के बीच मेरी हमेशा से पसंदीदा रही हैं और मैं उनके साथ एक लंबे जुड़ाव को साझा करने के लिए भाग्यशाली महसूस करता हूं। मुझे वह समय याद है, जब उन्होंने एक सुंदर श्री राम भजन रिकॉर्ड किया था और मुझे भेजा था, जब मैं सोमनाथ से अयोध्या तक अपनी राम रथ यात्रा करने वाला था।”
उन्होंने “राम नाम मैं जादू ऐसा, राम नाम मन भाये, मन की अयोध्या तब तक सूनी, जब तक राम ना आए” गीत को आंदोलन से जोड़ा और बाद में यह उनकी यात्रा का थीम गीत बन गया। जब राम जन्मभूमि का फैसला आया था, तब लता मंगेशकर जी ने खुलेआम उसका समर्थन किया था।
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4. वीर सावरकर की रही प्रशंसक
बहुत कम लोग ही ये जानते हैं, लेकिन लता मंगेशकर ने सावरकर को ‘भारत माता का सच्चा सपूत’ करार दिया था और उन्हें पिता के समान बताया। अपने जीवनकाल के दौरान, वीर सावरकर को लता मंगेशकर द्वारा ‘तात्या’ के रूप में संदर्भित किया गया था, जो एक पिता के लिए सम्मान में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। पिछले साल, लता मंगेशकर ने स्वतंत्रता सेनानी की जयंती पर याद करते हुए कहा था कि वीर सावरकर का नाम मंगेशकर परिवार के दिलों में अंकित है। उन्होंने यह भी ट्वीट किया था कि वह ‘महान और बहुआयामी व्यक्तित्व’ को उनकी ‘जयंती’ पर सम्मानित कर रही हैं।
खबरों की माने तो लता मंगेशकर ने अपनी किशोरावस्था में समाज सेवा का प्रण लिया था और वह राजनीति में आना चाहती थी, देश सेवा के प्रति उनका जुनून देखने लायक था। इसके लिए वह क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के साथ विचार-विमर्श और परामर्श कर रही थी। एक समय ऐसा भी आया जब लता मंगेशकर समाज के लिए गायन छोड़ने जा रही थी। उस वक्त सावरकर ने उनसे मिलकर, उन्हें समझाया और उन्हें उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर की याद दिलाई, जो उस समय भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रसिद्धि पर थे। अब इतने कारण तो काफी हैं लिबरल गैंग की बैंड बजाने के लिए और यही कारण है कि स्वर कोकिला को लेकर लिबरल इतना जहर उगल रहे हैं!