दुनिया में अपनी आतंकी गतिविधियों के लिए अगर कोई देश बहुत ज्यादा बदनाम है तो वह है पाकिस्तान। पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर कोई भी देश भाव नहीं देता। आज के परिदृश्य में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की स्थिति धोबी के कुत्ते की तरह हो गई है या यूं कहें की उनकी हर तरफ से कुटाई हो रही है। पाकिस्तान की राजनीति की बात करें तो उसके प्रधानमंत्री इमरान खान अराजक, भ्रमित और बहुत अस्थिर हैं और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में उन्हें कोई सम्मान नहीं मिलता।
दरअसल, जब रूस यूक्रेन से युद्ध करने के लिए गया तो इमरान खान ने एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाने की कोशिश की और इसके लिए उन्होंने रूस का दौरा किया और पाकिस्तान की तटस्थता दिखाने की क्षमता दिखाई।
अब यहां गौर करिए कि एक तरफ तो पाकिस्तान रूस के साथ दोस्ती चाहता है तो वहीं दूसरी तरफ पश्चिम से भिक्षा चाहता था। लेकिन खान को तो हर तरफ से फटकार लगाई जा रही हैं, चाहे वह अमेरिका हो, यूरोपीय संघ हो या फिर रूस ही क्यों न हो।
इमरान खान का रूस का अनुचित दौरा
जब दो देश युद्ध कर रहे हों तो, एक प्रधानमंत्री के रूप में आपको क्या करना चाहिए? उनसे बचें, बिल्कुल। लेकिन बौड़म इमरान खान तो इमरान खान ठहरे। उन्होंने कर लिया रूस जाने का फैसला। 23 फरवरी को उन्होंने मास्को के साथ इस्लामाबाद के द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करने के लिए रूस का दौरा किया। वह विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में अधिक समन्वय के इच्छुक थे। फिर भी, अपनी यात्रा से केवल एक दिन पहले ही यूक्रेन में पाकिस्तान के राजदूत नोएल इज़राइल खोखर ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए इस्लामाबाद के समर्थन को रेखांकित किया था। पाकिस्तान वास्तव में क्या करने की कोशिश कर रहा था? कोई नहीं समझ सकता और इस बात की संभावना कम ही है कि इमरान खुद समझा सकें कि उनके दिमाग में आखिर चल क्या रहा था।
और पढ़ें:- UNSC में रूस के लिए भारत का समर्थन पुतिन द्वारा पाकिस्तान की बखिया उधेड़ने के एक दिन बाद आया है
हालांकि इमरान की अंतर्राष्ट्रीय शर्मिंदगी रूस में ही शुरू हो गई थी। अपनी यात्रा के दौरान मास्को के तरफ से कोई बड़ा गणमान्य नेता उन्हें रिसीव करने नहीं आया था। रूस और पाकिस्तान द्वारा जारी अलग-अलग प्रेस विज्ञप्ति में किसी समझौते या समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का उल्लेख भी नहीं था। इसलिए, खान की रूस यात्रा के दौरान वस्तुतः कुछ भी नहीं हुआ।
रूस ने भारत के खिलाफ नहीं की कोई टिप्पणी
इससे पहले कि रूसी नेतृत्व इमरान खान पर तरस खाते , पाकिस्तान के भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के मुद्दे को उठाने के प्रयास में भी वो विफल हो गए। जैसा कि अपेक्षित था, रूस ने भारत के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की और अंत में एक नियोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को रद्द कर दिया गया। अगर Imran Khan बिना किसी लाभ या हानि के रूस से वापस आने में कामयाब हो जाते तो शायद उसका उपहास नहीं किया जाता। लेकिन खान ने अंत में पश्चिम देशों के तरफ से निंदा को आमंत्रित किया। उदाहरण के लिए अमेरिका पाकिस्तान से खफा है।
पाकिस्तान पर भड़क रहा है अमेरिका!
दरअसल, पाकिस्तान के भीतर यह महसूस किया जा रहा है कि पुतिन के साथ खान की मुलाकात के बाद वाशिंगटन डीसी इस्लामाबाद पर अप्रत्यक्ष प्रतिबंध लगा देगा। वास्तव में, नेशनल बैंक ऑफ पाकिस्तान के खिलाफ फेडरल रिजर्व बोर्ड यानी एफआरबी के 55 मिलियन अमेरिकी डॉलर के जुर्माने को खान के द्वारा की गयी रूस की विवादास्पद यात्रा का नतीजा माना जा रहा है। इस बीच EU भी पाकिस्तान की खिंचाई कर रहा है। इस महीने की शुरुआत में अपनी रूस यात्रा की घोषणा के बाद इसने खान को दंडित करना शुरू कर दिया। यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने कथित तौर पर पिछले हफ्ते इंडो-पैसिफिक पर एक हाई-प्रोफाइल बहुपक्षीय सम्मेलन में आमंत्रित किए जाने के पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के अनुरोध को खारिज कर दिया।
और पढ़ें:- यूक्रेन-रूस युद्ध से दुनिया में धातु संकट होने जा रहा है और भारत के लिए यह बड़ा अवसर है!
विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के लिए उच्च प्रतिनिधि, जोसेप बोरेल फोंटेल्स के साथ आमने-सामने बैठक के लिए पाकिस्तान द्वारा एक अन्य अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया गया था। सूत्रों के अनुसार, बाजवा हाई-प्रोफाइल म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भी शामिल होना चाहते थे। हालांकि, आयोजकों ने उनकी इच्छा पूरी नहीं की और बताया कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ को पहले से ही अफगानिस्तान के मुद्दे पर बोलना था।
यही नहीं पाकिस्तान इतना कंफ्यूज देश है की उसे समझ ही नहीं आता की कब और किसके पक्ष में बोलना है। आपको बता दें कि पाकिस्तान और चीन एक साझेदार हैं और पाकिस्तान दक्षिण चीन सागर, ताइवान, शिनजियांग और तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर चीन का समर्थन करता आया है लेकिन आज के परिस्थिति में पाकिस्तान पर बढ़ते आर्थिक संकट और चीन पर अधिक निर्भरता के लिए अमेरिका के तरफ से दबाव के बाद पाकिस्तानी अधिकारी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को खत्म करने के लिए तैयार हैं।
और पढ़ें:- मीडिया को रोने दीजिए, भारत-रूस ट्रेड संबंध और मजबूत होने वाले हैं
एशिया टाइम्स ने अंदरूनी सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तानी अधिकारी जो पश्चिम के प्रति संवेदनशील रहते हैं, उन्होंने सीपीईसी को रद्द करने की पेशकश की है, अगर वाशिंगटन समान वित्तीय सहायता की पेशकश करता है।
पश्चिम देश पाकिस्तान को भाव ही नहीं देते!
यह इस्लामाबाद के लिए काफी बड़ी आपदा है। मेरा मतलब है कि एक समय था जब पाकिस्तान को पश्चिमी शक्तियों के करीब देश के रूप में देखा जाता था। लेकिन अब पश्चिम देश पाकिस्तान को भाव ही नहीं देते। और इमरान खान अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में उपहास का विषय बनते जा रहे हैं। वहीं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान ढोल बन कर रह चूका है। कोई भी देश उसकी जब चाहे बजा कर चला जाता है फिर भी पाकिस्तान अपनी गलत नीतियों को सही करने का प्रयास नहीं करता है।