मामले की शुरुआत कर्नाटक में इसी साल जनवरी में हुई जब कुछ इस्लामिस्ट संगठनों ने हिजाब के नाम पर स्कूली छात्राओं को आगे किया और मामला उस समय तूल पकड़ा जब उडुपी के एक सरकारी कालेज में छात्राओं को हिजाब पहनने से रोका गया और उन्हें कालेज में आने नहीं दिया गया। इसके बाद इन छात्राओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसपर कोर्ट ने छात्राओं की याचिका को खारिज कर, अपने फैसले में कहा कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा कभी नहीं रहा है। स्कूल और कालेज में छात्रों को यूनिफार्म पहनना ही होगा और इस्लाम में भी हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है।
जहाँ एक तरफ कोर्ट का फैसला आने के बाद इस्लामिस्ट संगठन एक दम से बौखला गए है, वह खुले तौर पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए देखे गए, और मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की पैरवी कर दी। तो दूसरी तरफ कई इस्लामिस्ट कट्टरपंथी संस्थाएं एवम विदेशी फंड से चलने वाले कट्टरपंथी ने इसका व्हाइट वॉश करना भी शुरू कर दिया। आपको याद होगा की कैसे राणा अय्यूब जैसे कट्टरपंथी पत्रकारों ने हिंदुओ छात्र छात्राओं को भगवा आतंकवाद से जोड़ दिया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के बाद कई सारे नेताओ की टिप्पणी आई, जिसमें ओवैसी ने कहा कि हिजाब पहनना हमारा हक़ हैं? हाई कोर्ट के फैसले से वो मुत्तफ़िक़ नहीं है। कर्नाटका कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार ने भी कोर्ट के फैसले के उलट सरकार पर ही सवाल उठाए!
अब बात हत्या तक की होने लगी है
बताते चले कि तमिलनाडु के मदुरैई में एक वीडियो सोशल मीडिया में कल से वायरल हो रहा था, जिसनें तमिलनाडु तौहीद जमात नामक इस्लामिस्ट संगठन के सदस्य कोवई रहमतुल्लाह यह कहते हुए सुनाई दे रहा था कि झारखंड में जिस प्रकार मॉर्निंग वॉक के दौरान गलत फैसला देने वाले जज की हत्या हो गई है। जज को अप्रत्यक्ष तौर पर धमकी देते हुए वीडियो में कहा गया है कि हमारे समाज में कुछ लोग भावनाओं में बहके हुए हैं। वीडियो में आगे कहा गया है कि इन जजों के साथ अगर कुछ गलत होता है तो वो इसके जिम्मेदार नहीं होंगे।
मामले में फैसला सुनाने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के जजों को वाई श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। राज्य सरकार ने यह फैसला जजों को मिल रही धमकी के बाद लिया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने आज कहा कि हमने हिजाब पर फैसला देने वाले तीनों जजों को वाई श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है। उन्होंने साथ ही बताया कि डीजी और आईजी को विधानसौधा पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत की गहन जांच करने का निर्देश दिया गया है जिसमें कुछ लोगों द्वारा जजों को जान से मारने की धमकी की बात कही गई है।
We've decided to give 'Y' category security to all three judges who gave the Hijab verdict. I have instructed DG and IG to probe the complaint filed in Vidhanasoudha PS thoroughly in which some people gave life threats to the judges: Karnataka CM Basavaraj Bommai in Bengaluru pic.twitter.com/cQxFyfcfOL
— ANI (@ANI) March 20, 2022
पुलिस सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में कई कट्टर संगठनों के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, पिछले हफ्ते कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन की विशेष पीठ ने कक्षाओं में हिजाब की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए रेखांकित किया कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
ये भी देखना दिलचस्प होगा की बॉलीवुड से अमीर खान, शाह जैसे डरे हुए मुसलमानों से क्या प्रतिक्रिया आती है। एक प्रजातांत्रिक देश में हर धर्म मत मजहब को बराबर का अधिकार होता है और अपने मन मुताबिक रह सकता है, और उसे अगर तनिक भी गलत लगने पर वो बार बार कोर्ट कचहरी के दरवाजे खटखटा सकता है। उसके बाद भी संविधान और कोर्ट की दुवाएं देने वाले तमाम गिरोह फैसला आने के बाद उसे तुरंत ही एक सिरे से दरकिनार कर देते हैं। यही नहीं, अपने पक्ष के फैसलों को संविधान की जीत बता कर वाह वाही लूटने और अपने पक्ष के विरुद्ध फैसला आने पर जान से मारने की धमकी देना। खैर उम्मीद है की देश की न्याय प्रणाली कानूनों में सुधार को लेकर और गौर से विचार विमर्श करेंगे।